
प्रशांत पोळ
बलवंतराय मेहता...
इस नाम से कुछ स्मरण हो रहा है..? आपने यह नाम सुना है? शायद नहीं। गलती आपकी नहीं हैं। इस देश को चेतनाहीन और निस्तेज बनाने वाली तत्कालीन सरकारों ने, इस नाम के बारे में हमें कभी बताया ही नहीं।
आज से ठीक 60 वर्ष पहले बलवंतराय मेहता यह नाम भारत के क्षितिज पर बिजली जैसा चमका, कौंधा, और सदा के लिए बुझ गया..!
1965 के सितंबर में पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया। 1 सितंबर 1965 को जम्मू के अखनूर सेक्टर में पाकिस्तानी सेना ने हमला किया। इस हमले का उद्देश्य था, कश्मीर की आपूर्ति रेखा को ध्वस्त करना। भारत ने इस हमले का करारा जवाब दिया।
यह युद्ध, जिसे पाकिस्तान ने 'ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम' नाम दिया था, 23 सितंबर 1965 तक चला। इसमें पाकिस्तान ने भारत के विरोध में, कश्मीर के साथ ही पंजाब, राजस्थान, और गुजरात की सीमा पर भी मोर्चा खोला था। संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से 23 सितंबर को युद्ध विराम हुआ।
इस युद्ध में 19 सितंबर को एक अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी।
उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे, बलवंतराय मेहता। हितेंद्र भाई देसाई के बाद बने वह गुजरात के दूसरे मुख्यमंत्री थे। लोकतंत्र के विकेंद्रीकरण में उनका दृढ़ विश्वास था। इसलिए, उन्होंने पंचायती राज व्यवस्था का ब्लूप्रिंट तैयार किया था।
मुख्यमंत्री बलवंतराय मेहता, गुजरात की पश्चिमी सीमा का जायजा लेने कच्छ जा रहे थे। उनके बीचक्राफ्ट लाइट विमान में उनकी पत्नी सरोजबेन, दो स्टाफ के सदस्य, एक पत्रकार, एक क्रू और एक पायलट थे। वैमानिक जहांगीर इंजीनियर, अनुभवी पायलट थे।
यह विमान जब कच्छ के पास पहुंचा, तभी पाकिस्तान एयर फोर्स के F-86 सेबर जेट विमान ने बलवंतराय मेहता के विमान पर गोलियां दागी। पायलट जहांगीर इंजीनियर, सभी प्रकार के संकेत दे रहे थे, कि यह नागरिक विमान है, वायु सेना का नहीं। फिर भी, भारतीय सीमा के अंदर आकर, पाकिस्तानी वायु सेना के उस विमान ने, पहले दाएं पंखे पर गोलियां दागी और बाद में बाएं पंखे पर। विमान का संतुलन गड़बड़ा गया। विमान सीधे 3000 फीट ऊंचाई से नीचे जा गिरा। गुजरात के मुख्यमंत्री सहित सात लोग मौके पर ही मारे गए।
इस घटना की क्या प्रतिक्रिया हुई..? कुछ विशेष नहीं। या यूं कहें, कुछ भी नहीं।
जरा सोचिए, पाकिस्तानी वायु सेना का विमान हमारी सीमा के अंदर आकर, हमारे मुख्यमंत्री के विमान को गिराकर चला जाता है...
और हम फिर भी शांत रहते हैं..!
सत्ता में बैठे हुए नेतृत्व ने, हमारे क्षात्रतेज को, हमारी क्षमता को, हमारे स्वाभिमान को ही खोखला बनाकर रख दिया था..!
(बाद में, अर्थात घटना के 40 वर्ष के बाद, वर्ष 2011 में उस पाकिस्तानी वायुसेना के वैमानिक कैस हुसैन ने, भारतीय वैमानिक जहांगीर इंजीनियर की बेटी को पत्र लिखा। इस पत्र में उन्होंने मान्य किया कि 'उनको यह जानकारी थी कि यह नागरिक विमान है तथा इसमें गुजरात के मुख्यमंत्री प्रवास कर रहे हैं। किंतु फिर भी, उस विमान को गिराने के आदेश, पाकिस्तानी वायु सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने दिए थे'।
कैस हुसैन जीवन के अंतिम दिनों तक इस अपराधबोध के साथ जी रहे थे। इसलिए उन्होंने अपने किए पर माफी मांगी थी।)
इस बीच झेलम से, रावि, ब्यास, चिनाब से, नर्मदा, तापी से बहुत सारा पानी बह गया। दिनदर्शिका के पन्ने फड़फड़ा कर पलटते रहे..
पाकिस्तान के अंदर फल-फूल रही आतंकवादी, भारत विरोधी गतिविधियों की कमर तोड़ने के लिए, भारतीय वायु सेना ने 27 फरवरी 2019 को पाकिस्तान के अंदर घुसकर जबरदस्त एयर स्ट्राइक किया। बालाकोट के जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय पर किए गए इस हमले में, लगभग 300 आतंकवादियों को समाप्त किया गया।
इस ऑपरेशन के दौरान वायु सेना के विंग कमांडर, अभिनंदन वर्धमान का विमान पाकिस्तान की सीमा में जा गिरा। अभिनंदन सकुशल थे, किंतु उन्हें पाकिस्तानी सेना ने गिरफ्तार किया।
लेकिन अब का भारत अलग था। बदला हुआ था। ठीक दूसरे दिन, 28 फरवरी 2019 को, डरे हुए पाकिस्तान ने, ससम्मान विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को भारत लौटा दिया..!
अभी कुछ महीने पहले, जब भारत ने पाकिस्तानी आतंकवाद के विरोध में 'ऑपरेशन सिंदूर' प्रारंभ किया था, उस दौरान बीएसएफ का कांस्टेबल पूर्णम कुमार शॉ, फिरोजपुर सेक्टर में गश्त लगाने के दौरान, गलती से पाकिस्तान की सीमा में चला गया. पाकिस्तानी सेना ने उसे गिरफ्तार किया। किंतु पाकिस्तान ने, 14 मई 2025 को सम्मान कांस्टेबल पूनम कुमार शॉ को भारत के सुपुर्द किया।
गुजरात के मुख्यमंत्री बलवंतराय मेहता को पाकिस्तान ने तय करके मारा था। वो 'इंडिया' था.. सारे देश को निस्तेज और डरपोक बनाने वाली सरकारें उन दिनों दिल्ली पर राज कर रही थी।
लेकिन विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान और पूर्णम कुमार शॉ को पाकिस्तान ने ही तुरंत ससम्मान वापस लौटाया।
कारण, यह 'भारत' हैं, 'इंडिया' नही..!
(आगामी 'इंडिया' से 'भारत' तक पुस्तक के अंश)