राष्ट्रभक्ति जोश और जुनून का दूसरा नाम - अखिल भारतीय विधार्थी परिषद

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    08-Jul-2025
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ABVP Sthapna Diwas
 
 
 
सुरेंद्र शर्मा - 
 
 
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद भारत ही नहीं विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन है, जिसके आज 60 लाख से अधिक सदस्य हैं देश भर में 6 हजार से अधिक परिसर इकाइयां हैं। अभाविप नाम आते ही स्मृति पटल पर एक तस्वीर उभर कर आती है ऐसे छात्र-छात्राओं की जिनके लिए देश सर्वोपरि है जो समाज के लिए कुछ अलग हट कर करना चाहते हैं जिनके मन में संकल्प होता है "शिक्षा जीवन के लिए जीवन वतन के लिये" देश में राष्ट्रभक्ति के जज्बा जोश और जुनून का नाम है अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद।।
 
 
उद्देश्य सही हो लक्ष्य स्पष्ट हो एवं कार्य करने की दिशा ठीक हो तो कोई भी कार्य आसानी से किया जा सकता है। कार्य का परिणाम तो ठीक होता ही है कार्य भी यशस्वी होता है इन्हीं विशेषताओं के साथ राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के व्यापक संदर्भ में शिक्षा क्षेत्र में काम करने वाले छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थापना आज ही के दिन अर्थात 9 जुलाई 1949 को हुई थी।
 
 
ज्ञान....शील....एकता की अपनी विशेषता के साथ अभाविप विगत 76 वर्षों से अपनी 60 लाख से अधिक सदस्यता 3000 से अधिक स्थानों पर 6000 से अधिक परिसरों में कार्य करते हुए निःसंदेह भारत ही नहीं विश्व के सबसे बड़े छात्र संगठन के रूप में स्थापित हुआ है। अपनी कार्यपद्धति की अनेक विशेषताओं के कारण अभाविप ने छात्र संगठन का एक पृथक दर्शन विकसित किया है। शैक्षिक परिवार की एक अभिनव कल्पना भी अभाविप ने देश के सामने रखी है परिषद के स्थापना काल के समय एवं उसके बाद भी समाज के कुछ लोगों एवं संगठनों के मन में यह विचार था कि छात्र एवं शिक्षक इनमें परस्पर द्वंद है परंतु अभाविप ने शिक्षा परिवार जिसमें छात्र शिक्षक शिक्षाविद शामिल हैं की एक नई सोच समाज के सम्मुख रखी है। द्वंद्व के स्थान पर सहकार करते हुए संपूर्ण देश में हजारों प्राध्यापक परिषद कार्य करते हुए शिक्षा जगत में अपनी उल्लेखनीय भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं।
 
 
प्रोफेसर वेद प्रकाश नंदा से लेकर आचार्य गिरिराज किशोर, दत्ता जी डिंडोलकर, प्राध्यापक यशवंत राव केलकर, राजकुमार जी भाटिया, डॉक्टर डी मनोहर राव, प्रोफेसर पी व्ही कृष्ण भट्ट, डॉक्टर कैलाश शर्मा, मिलिंद मराठे एवं वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राज शरण शाही जैसे हजारों ज्येष्ठ और श्रेष्ठ प्राध्यापकों ने छात्रों के साथ कदम ताल करते हुए अभाविप का नेतृत्व किया एवं छात्र संगठन को ऊंचाइयों तक पहुंचाया। छात्र शिक्षक एवं शिक्षाविद की त्रिवेणी का संगम अभाविप के अंदर अद्भुत एवं अनूठा है। रचनात्मक दृष्टिकोण एवं उसके फल स्वरुप रचनात्मक कार्य करने की इच्छा शक्ति भी अभाविप ने छात्रों के अंदर विकसित की है। छात्र जिसे प्रायः उद्दंड समझा जाता था उसकी इस प्रकार की छवि को बदलते हुए उसकी सोच विध्वंस की नहीं अपितु रचनात्मक है यह अभाविप ने अपने कार्यों से कर दिखाया है, आज वृक्षारोपण - रक्तदान इत्यादि अभाविप के नियमित कार्यक्रम है जो संपूर्ण देश में होते हैं।
 
 
जब भी देश पर संकट आया अभाविप के कार्यकर्ताओं ने अपनी सेवाएं देश को दीं। चाहे वह 1971 के भारत-पाक युद्ध के समय आंतरिक प्रतिरक्षा में सहयोगिता हो महाराष्ट्र - गुजरात के भूकंप हों या देश के किसी भी हिस्से में आपदा आई हो या कोरोना जैसी भयानक महामारी हो पीड़ितों की मदद करने में अभाविप के कार्यकर्ता सबसे आगे रहे। मुझे मुझे स्मरण है जब में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का प्रदेश का संगठन मंत्री था उस समय सुनामी इस देश के कुछ राज्यों में आई थी मध्य प्रदेश के छात्र संघ जिनमें अधिकांश पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता विजय हुए थे, उन्होंने वार्षिक सम्मेलनों की राशि संपूर्ण प्रदेश से लगभग 11 लाख प्रधानमंत्री राहत कोष में दान देकर अपनी इसी रचनात्मक दृष्टि का परिचय दिया था।
 
 
देश में ऐसे अनेक अवसर आए हैं जब अभाविप के कार्यकर्ताओं ने अपनी राष्ट्रीय सोच और अनुशासन को प्रमाणित किया है 26 नवंबर 2002 को दिल्ली में शिक्षा एवं रोजगार की मांग को लेकर हुई रैली में आए सभी 75000 कार्यकर्ता अनुशासित तो थे ही इसके साथ-साथ दिल्ली में आए सभी लोग या तो अपने निजी वाहनों से आए थे या फिर रेल का टिकट खरीद कर। रैली में भी रेल का टिकट लेकर आना एक प्रकार से संभव दिखने वाले कार्य को करने की क्षमताओं छात्रों के अंदर अभाविप ने पैदा की है।
 
 
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने समाज के अंदर यह भी साबित करके दिखाया है की राजनीति की बैसाखी के बिना भी समाज का कार्यकिया जा सकता है एवं एक मजबूत संगठन खड़ा किया जा सकता है। इस दृष्टि से अभाविप ने अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। कुछ लोग जो नजदीक से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को नहीं जानते वह उसका संबंध राजनीति से जोड़ते हैं. परंतु उनकी यह केवल भ्रांति मात्र है अभाविप के कार्यों पर ना ही किसी दल का हस्तक्षेप है और ना ही नियंत्रण। हां केवल कुछ पूर्व कार्यकर्ता राजनीतिक क्षितिज पर चमकते हुए दिखाई देते हैं उनके आधार पर लोग यह आकलन कर लेते हैं, जबकि वास्तविकता तो यह है कि परिषद से जुड़ने वाले लाखों छात्रों में से कुछ लोग ही राजनीति में जाते हैं। अधिकतर लोग समाज के प्रति अपनी भूमिका निभाते हमे दिखाई देते हैं, बस उनकी चर्चा राजनीति में गए लोगों की तरह नहीं होती। आज परिषद से निकले कार्यकर्ता समाज के प्रत्येक क्षेत्र में अपने योगदान दे रहे हैं। वे हर क्षेत्र में हैं पत्रकार हैं, राजनेता हैं, समाज सेवा में हैं चिकित्सक हैं, इंजीनियर हैं, व्यवसायिक हैं जिन लोगों को केवल राजनीतिक कार्यकर्ता दिखाई देते हैं उन्हें समाज जीवन में कार्य कर रहे अभाविप के अन्य कार्यकर्ताओं को भी देखना चाहिए।
 
 
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने आज का छात्र आज का नागरिक है न केवल कहा अपितु से उसे साकार किया है। "छात्र शक्ति यह राष्ट्र शक्ति है "इसे अभाविप ने सुनिश्चित किया है। आपातकाल के विरोध में सत्याग्रह एवं 10000 से अधिक छात्रों की गिरफ्तारी, पूर्वांचल में देश विरोधी वातावरण को बदलने के लिए युवा विकास की स्थापना एवं अंतर्राज्यीय छात्र जीवन दर्शन (SEIL), भारत मेरा घर(my home is India) जैसे प्रकल्प जिनके परिणाम स्वरूप छात्रों में राष्ट्रीय एकात्मकता का भाव विकसित हुआ। कश्मीर हो या गोहाटी–अपना देश अपनी माटी, चेन्नई हो या अमृतसर–अपना देश अपना घर अभाविप के अधिवेशन के दौरान लगने वाले केवल नारे मात्र नहीं हैं बल्कि राष्ट्रीय एकात्मकता के भाव को सिद्ध करने वाले मंत्र बन चुके हैं। आंध्रप्रदेश में नक्सलवाद के विरोध में आंदोलन एवं नक्सलियों के हमलों 36 कार्यकर्ताओं के बलिदान के परिणाम स्वरूप आंध्र प्रदेश के परिसरों से नक्सलवाद का सफाया, बांग्लादेशी घुसपैठ के विरोध में आंदोलन, कश्मीर में तिरंगा फहराने को लेकर 1991 में उधमपुर में गिरफ्तारी, परिसर बचाओ आंदोलन के माध्यम से लाखों की संख्या की अनुशासित रैलियां, राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर बिहार के किशनगंज में चिकन नेक पर प्रदर्शन इत्यादि ऐसे अनेक कार्य हैं जो अभाविप को देश की सर्वश्रेष्ठ छात्र संस्था स्थापित करते हैं।
 
 
अभाविप द्वारा शिक्षा के भारतीयकरण हेतु अभियान चलाया गया उसका परिणाम आज सामने आ रहा है देश की नई शिक्षा नीति उसी आंदोलन का परिणाम है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों को जोड़ने के लिए सृजन, डीपेक्स, थिंक इंडिया, सविष्कार, एग्रीविज़न, मेडीविजन, जिज्ञासा, विकासार्थ विद्यार्थ , कलासंगम, खेलो भारत उड़ान, साहसी जैसे कार्यक्रम चलाए हैं जो छात्रों को परिषद की ओर सहज ही आकर्षित करते है। स्वामी विवेकानंद जयंती, महारानी लक्ष्मी बाई जयंती, बाबा साहब अंबेडकर पुण्यतिथि, राष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस एवं विकास चेतना सप्ताह अभाविप के राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम हैं जो केवल कार्यक्रम न होकर देश भर के छात्रों की जीवन दृष्टि प्राप्त करने का मध्यम बन रहे हैं।
 
 
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की बात चले और स्वर्गीय यशवंत राव केलकर जी और स्वर्गीय मदनदास जी का स्मरण न हो यह कैसे संभव है। स्वर्गीय मदन दास जी ने अपनी 22 वर्षों की संचार तपस्या से 1970 से लेकर 1992 तक राष्ट्रीय स्तर पर पर अभाविप के कार्य का विस्तार किया स्वयं के लिए कठोर दूसरे के लिए उदार का साक्षात् उदाहरण थे मदन जी। सामूहिकता, अनामिकता, पारस्परिकता यह मदन जी के व्यक्तिव की सहज विशेषता थीं जो अभाविप की कार्य पद्धति का हिस्सा बन गईं। देश भर में प्रवास करके आने के बाद पूरा वृत्त यशवंत राव जी एवं अन्य सहयोगियों को सुनाना, परिणाम स्वरूप संगठन को दिशा देने वाले वरिष्ठ कार्यकर्ता देशभर की गतिविधि और कार्यकताओं को उतना ही जानते थे जितना मदन जी। केंद्रीय टोली का हर सदस्य संगठन की गतिविधि से संपूर्ण रूप से परिचित रहता था यह मदन दास जी की विशेषता थी, संगठन में टीम या टोली की आंतरिक रचना मदन जी की देन है, उनके साथ सहयोगी की भूमिका में संगठन की आदर्श कार्यपद्धति को गढ़ने का कार्य प्राध्यापक यशवंत राव केलकर जी ने किया। यशवंत राव जी का एक वाक्य "हम सभी अपूर्णांक हैं मिलकर पूर्णांक बनना है" अभाविप के पूर्व और वर्तमान कार्यकर्ताओं के लिए जैसे जीवन मंत्र है।गुणों की चर्चा सर्वत्र कमियों की यथा स्थान, रेड पेंसिल एप्रोच नहीं, पूर्व योजना–पूर्ण योजना, सभी महत्वपूर्ण है– अपरिहार्य कोई नहीं, सर्व स्पर्शी–सर्व व्यापी, मत अनेक निर्णय एक, टीम स्प्रिट ऐसे छोटे छोटे कथन जो अभाविप की कार्यपद्धति का हिस्सा बन कार्यकर्ताओं के दिलों में उतरते गए एवं जिनसे लाखों कार्यकर्ताओं को जीवन दृष्टि प्राप्त हुई।
 
 
यशवंत राव जी ने स्वयं के जीवन का आदर्श अभाविप के कार्यकर्ताओं एवं समाज के सम्मुख रखा, अभाविप स्वर्गीय यशवंतराव केलकर जी की स्मृति में "प्राध्यापक यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार "भी देश के नौजवानों को प्रदान करती है। समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे ऐसे 40 वर्ष से कम के युवा जो सामाजिक क्षेत्र में कुछ विशेष कार्य करते हैं उन्हें अभाविप के राष्ट्रीय अधिवेशन में यह पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।
 
 
जब इन पुरस्कार प्राप्त व्यक्तियों की सूची देखेंगे तो आश्चर्य चकित रह जायेंगे कोई गौ सेवा का कार्य कर रहा है, कोई कुष्ठ रोगियों की सेवा कर रहा है, किसी ने बांस की खेती से स्वरोजगार का सृजन किया है तो कोई संस्कृत के उत्थान के लिए कार्य कर रहा। कोई पॉलीथिन मुक्त भारत के लिए काम कर रहा है तो कोई ग्राम विकास के लिए कार्य कर रहा है। आई.आई.टी की पढ़ाई कर बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम न कर अपने छोटे से गांव में ही जैविक खेती कर स्वरोजगार का सृजन करने वाले भी यशवंत राव केलकर पुरस्कार से सम्मानित हुए हैं, तो देह व्यापार करने वाली महिलाओं के उत्थान का कार्य करने वाले युवा भी सम्मानित होने वालों में हैं, मुंबई के स्टेशन पर भिक्षा वृति करने वाले बच्चों को शिक्षा देकर उनका जीवन परिवर्तित करने वाले युवाओं को भी अभाविप ने सम्मानित किया है।
 
 
यह वर्ष स्वर्गीय यशवंत राव केलकर जी का जन्मशताब्दी वर्ष भी है यशवंत राव जी जहां भी होंगे जब अभाविप के इस विस्तार को सुदृढ़ीकरण को देखते होंगे तो निश्चित ही उनकी आत्मा प्रसन्न होती होगी। स्वर्गीय मदनदास जी का राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में दायित्व आने के श्री दत्तात्रेय होसवले जी, जो अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माननीय सरकार्यवाह हैं ने अभाविप के राष्ट्रीय संगठन मंत्री के रूप में अभाविप को एक नई ऊर्जा और दिशा दी। उनके बाद श्री सुनील आंबेकर जी जो वर्तमान में संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख हैं ने भी अपने परिश्रम से परिषद को सींचा। वर्तमान में श्री आशीष जी चव्हाण राष्ट्रीय संगठन मंत्री के रूप में छात्रशक्ति को राष्ट्र शक्ति बनाने में अहर्निश प्रयत्नरत हैं। स्व.मदन जी से लेकर आशीष जी तक के साथ में अब तक हजारों पूर्णकालिक कार्यकर्ता "मन मस्त फकीरी धारी है अब एक ही धुन जय जय भारत "के भाव से भारत माता की सेवा में जुटे रहे हैं।
 
 
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की यह यात्रा लगातार जारी है, समर्थन विरोध की राजनीति में न पड़ते हुए, जय–पराजय लाभ हानि की चिंता ना करते हुए, संपूर्ण छात्र जगत एवं समाज के सामने ज्ञान का दीप जलाकर शील रूपी सुमन खिलाते हुए एकता की अलख अभाविप ने जगाई है। राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के कार्य में छात्र शक्ति और यशस्वी हो 77वें स्थापना दिवस पर यही शुभकामना है।