"खजाने की शोधयात्रा" के हिंदी-गुजराती संस्करण का लोकार्पण समारोह दिल्ली में संपन्न

27 Jul 2025 15:07:33
 
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नई दिल्ली, 27 जुलाई। देश की प्राचीन ज्ञान परंपरा और सांस्कृतिक विरासत को समर्पित पुस्तक “खजाने की शोधयात्रा” के हिंदी तथा गुजराती संस्करण का लोकार्पण समारोह कल दिल्ली के केशवकुंज, झंडेवाला में एक प्रभावशाली और स्मरणीय आयोजन के रूप में सम्पन्न हुआ।
 
कार्यक्रम की शुरुआत में पुस्तक की भूमिका प्रस्तुत करते हुए लेखक प्रशांत पोल ने इसके उद्देश्य और चिंतन की पृष्ठभूमि साझा की। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक माननीय जे. नंदकुमार जी ने पुस्तक के महत्व पर गहराई से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “यह पुस्तक यह स्पष्ट करती है कि भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जो ज्ञान देने और पाने की प्रक्रिया को परमानंद का माध्यम मानता है। हमारे यहां नामकरण भी केवल परंपरा नहीं, बल्कि आंतरिक गुणों पर आधारित चिंतन प्रक्रिया है। राम और कृष्ण जैसे नाम भी गुण-संपन्नता से जुड़ते हैं। दूसरे संस्कृतियों में जहां बाहरी स्वरूप से नाम रखे जाते हैं, भारत में यह ज्ञान और चेतना से जुड़ा होता है।”
 
उन्होंने आगे कहा कि “भारतीय ज्ञान परंपरा निरंतर सुधार की प्रक्रिया (continuous corrective mechanism) पर आधारित है, जिसमें प्रमाण को महत्व दिया गया है। यह परंपरा नवाचार की प्रेरणा से आगे बढ़ती है, जिसमें समावेशिता, अंतर्संबंध और पारस्परिक आश्रय का भाव निहित है। यह पुस्तक भारतीय दृष्टिकोण से देखने की चेतना को जागृत करती है और इसमें 18 अध्यायों के माध्यम से विज्ञान, गणित, इतिहास जैसे जटिल विषयों को सहज, रुचिकर भाषा में प्रस्तुत किया गया है।”
 
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार, विचारक एवं पूर्व राज्यसभा सांसद माननीय बलबीर पुंज जी ने पुस्तक की भाषा, संरचना और शैली की सराहना करते हुए कहा, “इस पुस्तक का कलेवर अत्यंत आकर्षक है, और इसकी प्रस्तुति भी पाठकों को बांधने वाली है। यह किसी सामान्य ग्रंथ का नहीं, बल्कि एक बौद्धिक पुनरुद्धार का दस्तावेज है। यह पुस्तक दरअसल एक सिक्वल है जो भारतीय ज्ञान परंपरा पर केंद्रित एक निरंतर शोध यात्रा का हिस्सा। इसका अंग्रेजी संस्करण भी शीघ्र प्रकाशित होना चाहिए ताकि वैश्विक पाठक भी इससे लाभान्वित हो सकें।”

उन्होंने आगे कहा, “हमारी सनातन संस्कृति पर ऐतिहासिक रूप से अनेक बाह्य हमले हुए, जिसने हमारी बौद्धिक विरासत को ध्वस्त किया। यदि ये हमले न होते, तो आज विश्व का इतिहास और भूगोल दोनों भिन्न होते। अब समय आ गया है कि हम अस्तित्व की लड़ाई से आगे बढ़कर ज्ञान परंपरा की पुनर्स्थापना की दिशा में कार्य करें।”

कार्यक्रम का संचालन प्रभात प्रकाशन के प्रभात कुमार ने कुशलतापूर्वक किया। समापन में गुजरात से पधारे भारत विचार मंच के सचिव ईशान जोशी ने लेखक एवं प्रकाशक के प्रति आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया।

इस गरिमामय अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह माननीय दत्तात्रेय होसबाले जी समेत अनेक वरिष्ठ सारस्वत अतिथि उपस्थित रहे, जिनकी उपस्थिति ने इस आयोजन को विशेष गरिमा प्रदान की।
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