कारगिल विजय दिवस: वर्तमान भारत की सैनिक शक्ति और आत्मनिर्भर राष्ट्र की पहचान

25 Jul 2025 14:50:48

kargil vijay diwas


डॉ. भूपेन्द्र कुमार सुल्लेरे

26 जुलाई 1999 — यह केवल एक तिथि नहीं, बल्कि भारतीय सैन्य शौर्य का वह स्वर्णाक्षरी प्रमाण है जिसने दुर्गम पर्वतों की चोटी पर तिरंगे को फिर से लहराकर राष्ट्र को गौरवान्वित किया। कारगिल विजय दिवस केवल अतीत के बलिदानों का स्मरण नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य के सैन्य संकल्प का भी उद्घोष है। आज भारत उस स्थिति में है जहाँ वह न केवल सीमाओं की रक्षा करने में सक्षम है, बल्कि वैश्विक सैन्य संतुलन में भी निर्णायक भूमिका निभा रहा है।

कारगिल से वर्तमान तक: सैन्य शक्ति का पुनर्निर्माण
कारगिल युद्ध के समय भारत की सैन्य तैयारियाँ कई मोर्चों पर कमज़ोर थीं—साजो-सामान, टोही तकनीक, और उच्च हिमालयी युद्ध कौशल की दृष्टि से। लेकिन इस युद्ध के बाद भारत ने अपनी सेनाओं को न केवल तकनीकी रूप से सशक्त किया, बल्कि रणनीतिक और वैश्विक दृष्टिकोण से भी आधुनिक बनाया। आज की भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना Network-Centric Warfare, ड्रोन वॉरफेयर, और AI-आधारित निगरानी प्रणाली से युक्त हैं।

‘आत्मनिर्भर भारत’ और रक्षा उत्पादन में क्रांति
भारत आज दुनिया के सबसे बड़े रक्षा आयातकों से निकलकर रक्षा निर्यातक राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत HAL द्वारा तैयार किया गया तेजस लड़ाकू विमान, DRDO द्वारा विकसित अग्नि मिसाइल श्रृंखला, और भारतीय नौसेना के लिए INS विक्रांत जैसे स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर — यह सब राष्ट्र की रक्षा स्वावलंबन की कहानी कहते हैं।
रक्षा निर्यात 2014 में जहाँ 1,500 करोड़ के आसपास था, वह आज 2025 में 17,000 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है।
रक्षा बजट, 2024-25 में ₹6.2 लाख करोड़ से अधिक हुआ, जो इस बात का संकेत है कि राष्ट्र अब सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है।

सीमाओं की सुरक्षा: ‘वन फ्रंट से टू फ्रंट’ की रणनीति
आज भारत केवल पाकिस्तान से नहीं, बल्कि चीन जैसे दोहरे खतरे वाले पड़ोसी से भी एक साथ निपटने की रणनीति पर कार्य कर रहा है। LAC (Line of Actual Control) पर सैनिक तैनाती, इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास (सड़क, हेलीपैड, सुरंगें) और S-400 मिसाइल प्रणाली जैसी तैनातियाँ यह स्पष्ट करती हैं कि भारत अब रक्षात्मक नहीं, सक्रिय नीति पर चल रहा है।

ड्रोन, साइबर और अंतरिक्ष: नई युद्धभूमियाँ
भारत अब परंपरागत युद्ध से इतर ड्रोन युद्ध, साइबर वॉर और अंतरिक्ष डिफेंस की दिशा में भी अग्रसर है।
डिफेंस स्पेस एजेंसी (DSA) की स्थापना कर भारत ने अपनी अंतरिक्ष संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित की है।
ड्रोन ऑपरेशन ‘सिन्दूर’ जैसी परियोजनाएँ यह दिखाती हैं कि भारत भविष्य की युद्ध-नीति में अग्रणी है।
स्वदेशी UGV (Unmanned Ground Vehicles) और AI आधारित surveillance systems ने सैनिकों का जोखिम घटाया है और सीमाओं की सुरक्षा पुख्ता की है।

युवाओं की भूमिका: अग्निपथ और डिजिटल सैनिक
भारत सरकार द्वारा शुरू की गई ‘अग्निपथ योजना’ केवल सैन्य भर्ती नहीं है, बल्कि युवाओं में राष्ट्रभक्ति, अनुशासन और तकनीकी कौशल का संचार है। इसके माध्यम से एक डिजिटल युग के सैनिक तैयार हो रहे हैं, जो बायोमेट्रिक वॉर, नैनो डिफेंस और रोबोटिक सैनिकों के युग की नींव रखेंगे।

अंतरराष्ट्रीय सैन्य कूटनीति और भारत
भारत अब केवल सीमाओं की रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि वह QUAD, IOR (Indian Ocean Region), और BRICS Defence Forum जैसे वैश्विक प्लेटफॉर्म्स पर सैन्य कूटनीति का नेतृत्व कर रहा है। नेपाल, भूटान, अफ्रीका और दक्षिण एशिया के कई देशों को सैन्य प्रशिक्षण, हथियार और लॉजिस्टिक्स सहायता भारत द्वारा प्रदान की जा रही है।

शौर्य की विरासत और शक्ति का पुनर्निर्माण
कारगिल विजय दिवस हमें यह याद दिलाता है कि बलिदान केवल स्मरण के लिए नहीं, बल्कि प्रेरणा के लिए होते हैं। आज का भारत, शौर्य, रणनीति और स्वावलंबन का वह त्रिकोण है जो किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है। जब विश्व भारत को देखता है, तो वह एक ऐसे राष्ट्र को देखता है जो अपने सैनिकों पर गर्व करता है और उन्हें सर्वश्रेष्ठ संसाधनों से लैस कर उन्हें 'अजेय' बनाना चाहता है।

जय हिंद। वंदे मातरम्।
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