
- डॉ. मयंक चतुर्वेदी
कहने को संयुक्त राज्य अमेरिका एक लोकतांत्रिक गणराज्य है। अमेरिका का संविधान दुनिया के सबसे पुराने लोकतांत्रिक दस्तावेज़ों 1789 से लागू में से एक है । यह नागरिक अधिकारों, कानून के शासन और शक्ति के विभाजन की गारंटी देता है। पर अब यहां भी इस्लामिक कट्टरपंथी खुलकर ‘जिहाद’ का समर्थन करते हुए देखे जा रहे हैं। हालांकि जो वीडियो यहां वायरल हो रहा है, वह कुछ समय पूर्व का है, किंतु जिस तरह की अभिव्यक्ति ‘जिहाद’ को लेकर व्यक्त की जा रही है, वह लोकतंत्र के लिए यहां सभी को चिंता में डाल रही है।
दरअसल, इन दिनों न्यूयॉर्क मेयर पद के उम्मीदवार जोहरान ममदानी चर्चाओं में हैं। उनकी एक पूर्व इंटर्न हदीका मलिक ने राजनीतिक सक्रियता को 'जिहाद' बताते हुए मुस्लिम समुदाय से एक अपील की है। ये सिटी कॉलेज ऑफ न्यूयॉर्क की वर्तमान छात्रा और स्टूडेंट्स फॉर जस्टिस इन फिलिस्तीन (एसजेपी) की अध्यक्ष हैं। साथ ही हदीका खुद को सीएआईआर (अमेरिकी-इस्लामिक संबंध परिषद) की आउटरीच समन्वयक और कॉलिन पॉवेल स्कूल में नस्लीय न्याय फेलो के रूप में सूचीबद्ध करती हैं। मलिक के लिंक्डइन के अनुसार , उन्होंने 2024 की गर्मियों के लिए ज़ोहरान ममदानी के राज्य विधानसभा कार्यालय में संचार, आउटरीच, नीति और संविधान सेवा प्रशिक्षु के रूप में काम किया। एक तस्वीर में दोनों को सेल्फी के लिए मुस्कुराते हुए दिखाया गया है।
ये यहां मुसलमानों से कह रही हैं कि इजरायल के खिलाफ आवाज उठाने के लिए गिरफ्तारी , निलंबन और पहचान उजागर जैसी सजाओं से न डरें। क्योंकि यह सभी कुछ "जिहाद" का हिस्सा हैं। वीडियो में हदीका कहती हैं- 'सच्चा मोमिन जानता है कि ये सब व्यर्थ नहीं है, ये सब जिहाद है, ये सब इबादत है।' उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को डॉक्सिंग, गिरफ्तारी और निलंबन जैसी चीजों की परवाह नहीं करनी चाहिए। अब वक्त आ गया है कि मुस्लिम कहें- 'ठीक है, जो करना है करो, मैं अपना काम करूंगा।' हदीका मलिक ने उन लोगों की कड़ी आलोचना की है जो फिलिस्तीन (हमास) पर हो रहे इजरायली हमलों के विरोध में आवाज नहीं उठा रहे हैं। उन्होंने कहा, 'अगर आप इसे अपना मुद्दा नहीं मान रहे हैं, तो आपके अंदर कोई बीमारी है, कोई गड़बड़ है, कुछ ऐसा जो आपके सिस्टम को यह कहने से रोक रहा है कि यह आपकी जिम्मेदारी नहीं है।'
हदीका ने अपने संदेश में मुस्लिमों से कहा कि उन्हें अल्लाह के लिए किए गए कार्यों से डरना नहीं चाहिए, चाहे वह पश्चिमी देशों में हो या कहीं और, अगर आपको सस्पेंड कर दिया जाए, अगर आपकी पहचान उजागर हो जाए क्योंकि यह तो होगा ही लेकिन जब आप अल्लाह के लिए कुछ करते हैं, तो वह कभी व्यर्थ नहीं जाता। सच्चा मोमिन नहीं डरता। जबकि आज यह ‘जिहाद’ शब्द सबसे विवादास्पद शब्दों में से एक है। जिसका का समर्थन करती हुई हदीका नजर आ रही हैं। भले ही फिर मुस्लिम विद्वान ‘जिहाद’ को लेकर कुछ भी कहें।
हकीकत में जो सामने दिखाई देता है, वह हर उस गैर मुसलमान के खिलाफ ‘जिहाद’ खुला और पीछे से हिंसक कार्य है, जो उससे उसका गैर मुसलमान (हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिख या अन्य) के होने की स्थिति में किया जा सकता है। क्योंकि यदि ऐसा नहीं होता तो अभी हाल ही में अफ्रीकी देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो (DRC) के पूर्वी क्षेत्र इरुमु में स्थित वाल्से वोनकुतु गांव में इस्लामिक स्टेट (ISIS) से जुड़े आतंकवादी समूह अलाइड डेमोक्रेटिक फोर्सेस (ADF) ने बर्बर हमला कर महिलाओं और बच्चों समेत 66 लोगों की बेरहमी से गला काटकर हत्या कर दी थी। हमलावरों ने बड़े चाकू से लोगों को मौत के घाट उतारा। इनके नजरिए से देखें तो उन्होंने गैर मुसलमानों के प्रति ‘जिहाद’ किया है।
दरअसल, ‘जिहाद’ को लेकर कई अवधारणाएं हैं। लेकिन जब ‘जिहाद’ पर अमेरिका में यह कहा जाए कि ‘जब आप अल्लाह के लिए कुछ करते हैं, तो वह कभी व्यर्थ नहीं जाता और सच्चा मोमिन उससे नहीं डरता’ तब जरूर सवाल खड़े होते हैं। ऐसे में यहां एक नई बहस शुरू होते हुए देखी जा रही है। क्योंकि दुनिया में जितने भी इस्लामिक आतंकवादी संगठन हैं, जिन्हें विभिन्न देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं (जैसे संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, यूरोपीय संघ) द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है। इन संगठनों ने इस्लाम के नाम पर हिंसा, नरसंहार, आत्मघाती हमले और ‘जिहाद’ की व्याख्या में विश्व भर में अस्थिरता फैलाई हुई है।
यहाँ कुछ प्रमुख इस्लामिक आतंकवादी संगठनों के नाम देख सकते हैं- अल-क़ायदा, इस्लामिक स्टेट, बोको हराम, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हरकत-उल-मुजाहिदीन, हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी, हिज़्बुल मुजाहिदीन, अल-शबाब, जमैआत नुसरत अल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन, अल-कायदा इन द इस्लामिक मगरेब, हिज़्बुल्लाह, हमास, अंसार अल-इस्लाम (सहेल क्षेत्र), इस्लामिक मूवमेंट ऑफ उज्बेकिस्तान, अबु सय्याफ ग्रुप (फिलीपींस), जमैआतुल मुजाहिदीन बांग्लादेश, फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद, लश्कर-ए-झांगवी, फ़ोरन फाइटर्स ग्रुप्स एवं उनके अन्य सहयोगी इस्लामिक संगठन। आज इन सभी का उद्देश्य एक ही है इस्लामी शासन (ख़िलाफ़त) की स्थापना। शरीयत आधारित कानून लागू करना। गैर-मुस्लिमों या "काफ़िरों" के विरुद्ध हिंसा और वेस्टर्न लोकतंत्र, शिक्षा और सहिष्णुता का विरोध करना। जिसमें कि इन सभी संगठनों का दावा यह है कि ये दुनिया में इस्लाम की सत्ता स्थापित करने के लिए ‘जिहाद’ के रास्ते पर चल रहे हैं। इसलिए ही आज अमेरिका में सामने आए इस वीडियो पर बहस चल रही है।
यहां ‘न्यूयॉर्क पोस्ट’ समेत मीडिया में कहा जा रहा है, यह भयावह प्रमाण है कि फिलीस्तीन समर्थक युवा कार्यकर्ताओं का एक कट्टरपंथी गुट गाजा में नागरिकों के लिए मानवीय चिंता से कम और चरमपंथी उत्साह से अधिक प्रेरित प्रतीत होता हुआ दिखाई दे रहा है। क्योंकि वह कह रही हैं, जब आप पश्चिम में अल्लाह के लिए कुछ कर रहे हैं तो यह कभी भी व्यर्थ नहीं होगा, और सच्चे आस्तिक को इससे डर नहीं लगता।
हाल ही में फिर से सामने आए एक और वीडियो में मलिक एक फ़िलिस्तीन समर्थक रैली में एक मुस्लिम न्यूयॉर्क पुलिस अधिकारी को डॉटते हुए दिखाई दे रही हैं। यह वीडियो मूल रूप से फ़रवरी में पोस्ट किया गया था, जिसमें वह नारे लगाती हुई दिखाई दे रही हैं और उनके साथ अन्य प्रदर्शनकारी भी हैं। वह कह रही हैं, "चलो सूअरों के बैज पढ़ते हैं," जैसे ही वह पुलिस लाइन की ओर मुंह करती है और पुलिस वालों के नाम जोर से पढ़ती हैं। इस दौरान उन्होंने एक ऐसे अधिकारी की ओर इशारा किया जो स्पष्ट रूप से असहज था, उससे उन्होंने कहा- वह अपने पारंपरिक मुस्लिम नाम को शर्मसार कर रहा है, अपने नाम पर कुछ सम्मान रखें!
अमेरिका में चर्चा है कि बेशक, न्यूयॉर्क मेयर पद के उम्मीदवार जोहरान ममदानी अपने सभी प्रशिक्षुओं के कार्यों के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं, लेकिन यहां मलिक की बयानबाजी से ज़ाहिर होता है कि सभी फ़िलिस्तीनी समर्थक कार्यकर्ता सिर्फ़ गाज़ा की चिंता में सड़कों पर नहीं उतर रहे हैं। कुछ लोग अपने अंदर धधकती गहरी, ज़्यादा कट्टरता की आग को भड़काकर ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने जो प्रदर्शित किया है वह साथी मुसलमानों के प्रति शत्रुता है, जैसे कि एनवाईपीडी अधिकारी, जो अमेरिका में कानून और व्यवस्था के साथ खड़े हैं। लेकिन यहां आंदोलन और शाब्दिक "जिहाद" की वकालत करने का जुनून मलिक एवं उनके साथियों में साफ दिखाई दे रहा है।अमेरिका में एक युवा कॉलेज छात्र के मुंह से इस तरह की अतिवादिता सुनना भयावह है।
उल्लेखनीय है कि इस्लामिक कट्टरता से अमेरिका भी लाख सुरक्षा के दावे करने के बाद भी बच नहीं सका है। कह सकते हैं, अमेरिका में इस्लामिक आतंकवादी हमलों की सूची लम्बी है।
वर्ष स्थान घटना
1993 वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (NYC) वर्ल्ड ट्रेड सेंटर बम विस्फोट में 6 की मौत, 1000+ घायल
1993 CIA मुख्यालय (Langley, VA) पाकिस्तानी मूल के हमलावर ने दो एजेंटों की हत्या की
2001 9/11, न्यूयॉर्क, पेंटागन, पेंसिल्वेनिया अल-क़ायदा द्वारा चार विमानों से आत्मघाती हमला, ~3,000 की हत्या
2001 American Airlines Flight 63 शू बमबागर रिचर्ड रीड ने बेस्टन में बम विस्फोट की कोशिश की
2007 Fort Dix, New Jersey (प्लॉट) अमेरिकी सैनिकों पर हमला योजना—यह योजना पकड़ी गई
2009 लिटिल रॉक, आर्कनसास एक व्यक्ति ने “अल्लाह के नाम पर” गोलीबारी की, एक सैनिक की हत्या
2009 Fort Hood, Texas निडल मलिक हसन ने 13 सैनिकों को मारा
2009 Northwest Airlines Flight 253 अंडरवियर बमबाज (उमर फरूक अब्दुलमुतल्लाब) की कोशिश जांच में आगई
2010 Times Square Bomb Plot फऐसल शाहज़ाद ने बम लगाने की कोशिश की, गिरफ्तार
2013 बोस्टन मैराथन, मैसाचुसेट्स दो बम विस्फोट, 3 की मौत, कई घायल
2014 मूर, ओकलाहोमा Vaughan Foods में सिर धड़ से अलग करने वाला हमला
2015 गार्लैंड, टेक्सास पैगंबर कार्टून प्रदर्शनी पर हमला—दो हमलावर मारे गए
2015 Chattanooga, Tennessee सैनिक केंद्र पर फायरिंग; 5 सैनिक मरे
2015 San Bernardino, CA एक दंपति ने 14 लोगों की हत्या की; उन्होंने अल्लाह की नारा लगाई
2016 Orlando, Florida पुल्स नाइट क्लब में गोलीबारी, 49 की हत्या—ISIS प्रेरित
2016 Ohio State University, Columbus छात्र ने गाड़ी से टक्कर व चाकू से हमला किया; 11 घायल
2017 NYC ट्रक हमला साइपॉव ने ट्रक से बाइक पथ पर हमला किया; 8 की मौत
2019 Pensacola, Florida सऊदी प्रशिक्षु ने नेवल स्टेशन पर गोलीबारी की; 3 की हत्या
2020 Corpus Christi, Texas Adam Alsahi ने वाहन से हमला किया; उसने ISIS का समर्थन किया
2025 न्यू ऑरलियन्स, Lousiana ट्रक हमले में 14 मरे; हमलावर ISIS झंडा लेकर था
अन्य घटनाएँ (चोट पहुँचाने वाली/प्लॉट अत्यधिक)
2006 Seattle Jewish Federation: यहूदियों पर गोलीबारी, 1 की मौत
2006 UNC SUV Attack: वाहन से हमला, 9 घायल
2007 Bronx, Manhattan प्लॉट्स: कई बम बनाने की कोशिशें
2011 Manhattan Plots: गाड़ी बम-चाकू हमले, गिरफ्तारियां