डॉ. मयंक चतुर्वेदी -
सनातन हिन्दू धर्म और संस्कृति पर कई तरह से प्रहार किए जा रहे है, इसके उदाहरण भी आए दिन सामने आते हैं, किंतु जिस तरह से लैंड जिहाद, लव जिहाद, थूक जिहाद जैसे किसी भी नकारात्मक जिहाद के विरोध में उत्तराखंड सरकार द्वारा एक्शन लेने के बाद ऑपरेशन ‘कालनेमि’ शुरू किया गया है, उसने कुछ ही दिन में यह सच्चाई सभी के सामने ला दी है कि सनातन हिन्दू धर्म को बदनाम करने के लिए जो अनेक षड्यंत्र चल रहे हैं, उनमें से एक साधूवेष धारण करना भी है। एक आस्थावन सनातनी साधू वेष को देखकर अपनी क्या प्रतिक्रिया देगा, यह किसी को आज बताने की जरूरत नहीं, किंतु बदले में उसे क्या मिलेगा, यह अहम है। ऐसे में ये तमाम छद्म वेषधारी हिन्दू आस्था पर सीधे प्रहार कर रहे हैं।
वस्तुत: भारतीय शास्त्रों में देखें तो 'कालनेमि' रामायण काल का एक राक्षस था, जिसने छद्मवेश धारण कर “संजीवनी” लेने जा रहे हनुमानजी का रास्ता रोकने की कोशिश की थी। रामायण की सुप्रसिद्ध मायावी राक्षसनी ताड़का उसकी दादी थी व मारीच उसके पिता । ‘कालनेमि’ अपनी माया से किसी का भी रूप धारण कर सकता था इसलिये रावण ने उसे यह महत्वपूर्ण कार्य सौंपा कि वह किसी भी हाल में हनुमानजी को “संजीवनी” हिमालय ने न लाने दे, ताकि लक्ष्मणजी की बेहोशी मृत्यु में बदली जा सके। लेकिन जैसे ही हनुमानजी को 'कालनेमि' के एक साधु वेश में होने का पता चला, उन्होंने अत्यंत क्रोधित हो उसी समय 'कालनेमि' का वध कर दिया था।
आज के वर्तमान दौर में भी कई ‘कालनेमि’ सनातन हिन्दू धर्म को तरह-तरह से समाप्त करने का षड्यंत्र कर रहे हैं। अब हरिद्वार से पकड़े गए इन सभी इस्लामिक कालनेमियों को देखिए, जो हिन्दू साधू के वेश में सनातनधर्मियों को ठग रहे थे। मौ. अहमद पुत्र रहु निवासी ग्राम बोडिंग हाउस जिला हरदोई उत्तर प्रदेश। रशीद पुत्र बपाती निवासी वार्ड नंबर 7 फूलबाग थाना नरसिंह गढ़ जिला राजगढ़। मोहम्मद इमरान पुत्र मो. इस्लाम निवासी 11 बी तिलजला थाना कड़ाया कोलकता पश्चिम बंगाल। मोहम्मद जैनउद्दीन पुत्र शेख अब्बास निवासी बेलवारी वार्ड न0 13 अंचल पलासी पखरी बिहार। मोहम्मद सलीम (पिरान कलियर, हरिद्वार)। रुकन राकम उर्फ शाह आलम- बांग्लादेशी नागरिक, जिसने तिलक और जटा धारण कर रखे थे; वह खुद को "शिव योगी" बता रहा था। इसी तरह से अन्य अपराधी और ठग पकड़े गए हैं, जोकि हिन्दू सनातन धर्म को साधू वेश धारण कर बदनाम कर रहे थे।
इस संदर्भ में उत्तराखण्ड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कह रहे हैं कि वर्तमान समय में भी बहुत सारे ‘कालनेमि’ छद्म वेष बनाकर अनेक स्थानों पर अपनी पहचान छुपाकर के धार्मिक भावनाओं को आहत करने का काम कर रहे हैं। उनका यह कृत्य सनातन को नुकसान पहुंचाता है और जो सच्चे धर्म की खोज में, पुण्य की खोज में और अपनी आत्मा के प्रकाश को प्राप्त करने के लिए भगवान की शरण में जाते हैं। देवभूमि या अन्य स्थानों पर जाते हैं। उनका किसी न किसी रूप में मार्ग भटकाने का काम ये छद्म वेषधारी ठग करते हैं। ऐसे सभी लोगों की पहचान कर उन्हें रोकने और उनकी सच्चाई उजागर करने के लिए ही हमने ये ऑपरेशन "कालनेमि" चलाया है। हमारी सरकार जनभावनाओं, सनातन संस्कृति की गरिमा की रक्षा और सामाजिक सौहार्द बनाये रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
हाल ही में एक प्रकरण उत्तर प्रदेश की एटीएस के प्रयासों से भी छांगुर बाबा उर्फ मोहम्मद जलालुद्दीन का सामने आया है। उसके पास से एक किताब ‘शिजर-ए-तैयबा’ नाम की बरामद हुई है। जिसके बारे में कहा जा रहा है कि इस किताब का इस्तेमाल लव जिहाद और इस्लामिक कन्वर्जन के लिए किया जा रहा था। पुस्तक का मकसद कोई धार्मिक प्रचार नहीं, बल्कि विशेष एजेंडे के तहत ब्रेनवॉश करना था। पुस्तक में मुस्लिम युवकों और हिंदू युवतियों को इस्लाम के नाम पर जोड़ने और प्रेरित करने की बातें की गई हैं। यहां तक कि किताब में ‘धर्मी लोगों की सेना’ तक का जिक्र किया गया है, यानी ऐसे लोग जो इस्लाम के लिए अपनी जान देने को तैयार हों।
साथ ही इसमें विस्तार से बताया गया है कि लोगों को इस्लाम के प्रति कैसे आकर्षित किया जाए और किस तरह धर्मांतरण की मुहिम चलाई जाए। यह किताब सोशल नेटवर्किंग और धार्मिक कार्यक्रमों के जरिए युवाओं तक पहुंचाई जाती थी, जिससे वे धीरे-धीरे कट्टरपंथी विचारधारा की ओर आकर्षित होते जाएं। ‘शिजर-ए-तैयबा’ की तरह ही आज यह सामने आया है कि देश भर में अनेक नामों से इसी प्रकार की किताबें चलन में हैं, जोकि ब्रेनवॉश का काम करती हैं। , दीने-तालीम के नाम पर मदरसों में क्या पढ़ाया जा रहा है, किसी भी राज्य सरकार को इसके बारे में पता नहीं है।
आप सोचिए; एक छांगुर बाबा उर्फ मोहम्मद जलालुद्दीन ने क्या कर दिया! उसने हजारों गैर मुसलमानों का ब्रेनवॉश, 1500 से अधिक हिन्दू महिलाओं के साथ लव जिहाद कर इस्लाम कबूल करवाना। हर हिन्दू युवतियों को लव जिहाद में फंसाने के लिए 10 से 20 लाख रुपए तक मुस्लिम युवक को देने की व्यवस्था, कई सौ करोड़ का साम्राज्य, दो हजार से अधिक स्लीपर सेल की टीम खड़ी करना, वह भी किसलिए सिर्फ इस्लाम के लिए। भारत को गजबा-ए-हिंद बनाने के लिए। आप यह भी विचार कर सकते हैं कि यह कोई अचानक नहीं हो गया है, पिछले कई सालों से यह सब चल रहा है। छांगुर, मोहम्मद जलालुद्दीन पिछले 15 वर्षों से अवैध धर्मांतरण गिरोह चला रहा था। सोचनेवाली बात यह है कि इसका पूरा यह षड्यंत्र कितना गोपनीय रहा होगा कि पुलिस का खुफिया तंत्र एवं देश की सुरक्षा एजेंसी भी इतने सालों तक उसकी भनक नहीं लगा सकीं।
गजबा-ए-हिंद की गंदी सोच सिर्फ इस बाबा छांगुर उर्फ मोहम्मद जलालुद्दीन की नहीं है, हाल ही में एनआईए राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने आईएसआईएस पुणे स्लीपर मॉड्यूल में 11 लोग गिरफ्तार किए हैं, जिसमें कि रिजवान अली (अबु सलमा / मोला) की अहम गिरफ्तारी है। ऐसे ही मोहम्मद इमरान खान, मोहम्मद यूनुस साकी पकड़ा गया। मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में एचयूटी के आतंकवादी पकड़े गए। जिसमे मुह्सिन खान (प्रमुख योजनाकार, वित्तपोषक) की गिरफ्तारी बहुत अहम है। गाज़वा‑ए‑हिंद के लिए एक पीएफआई मोड्यूल का खुलासा भी हुआ है। एनआईए द्वारा बिहार, यूपी, गुजरात व केरल में कई स्थानों पर रैड की गई और कई आरोपितों के साथ संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है। कर्नाटक से तीन लश्करएतैयबा (एलईटी) सहयोगी पकड़े गए हैं। कुछ कश्मीरी युवक भी पकड़े गए हैं। आज सोचनेवाली बात यह है कि देश भर में न जानें इस तरह के कितने षड्यंत्र सनातन के विरोध में चल रहे हैं!
सवाल यह है कि क्या यह ऑपरेशन जो मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के विचारों की उपज है, सिर्फ उत्तराखण्ड तक ही सीमित रहना चाहिए अथवा भारत के हर राज्य में इसी तरह से एक ऑपरेशन चलाया जाना चाहिए? जिसे कि उत्तराखण्ड की तरह ही राज्य सरकार हाथ में लेकर चलाए। वास्वत में आज इस अभियान में जैसी कार्रवाई फर्जी साधुओं और ठगी करने वालों के खिलाफ हो रही है, वह एक राज्य तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। सनातन धर्म या किसी भी मत, पंथ, संप्रदाय के खिलाफ देश भर में कहीं भी कुछ अपराध घट रहा है तो उस पर तुरंत अंकुश लगाना आवश्यक है, इसलिए कहना होगा कि उत्तराखण्ड में जो पुष्कर सिंह धामी “ऑपरेशन कालनेमि” के जरिए जो कर रहे हैं, वह किसी भी रूप में सही देश के हर राज्य में किए जाने की जरूरत है। क्योंकि भारतीय संविधान सभी की सुरक्षा, मौलिकता और धर्म स्वातंत्र्य की गारंटी देता है।