भोपाल। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ मध्यभारत प्रान्त, भोपाल की ओर से रविवार को मित्तल कॉलेज परिसर में स्वर नाद संगम प्रताप भाग घोष का वार्षिकोत्सव 2025 कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रताप जिले के 110 प्रकट वादकों ने वाद्ययंत्रों की मनमोहक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में अखिल भारतीय शारीरिक शिक्षक प्रमुख जगदीश प्रसाद बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित हुए। वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध बांसुरी वादक अभय फागरे ने की। कार्यक्रम में भोपाल विभाग संघचालक सोमकांत उमालकार, प्रताप जिला संघ चालक दिलीप भूरानी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का आरंभ संघ की विभिन्न रचनाओं की सुमधुर प्रस्तुति के साथ हुआ। इस दौरान प्रकट वादकों ने श्रीराम, शिवरंजनी, मां तुझे सलाम, ए मेरे प्यारे वतन... आदि कि प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बांसुरी वादक अभय फगरे ने कहा कि लगभग 45 वर्ष बाद उन्हें इस तरह के घोष कार्यक्रम में आने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि एक समय जब मैं भी कभी इन्हीं प्रकट वादकों की भांति सामने की पंक्ति में बैठा था। अभय ने कहा कि मेरे संगीत की शुरुआत भी घोष कार्यक्रम के माध्यम से हुई थी। मुझे इस बात का अभिमान है कि मुझे आदरणीय गुरु गोलवलकर जी समक्ष प्रस्तुति देने का अवसर मिला है। प्रकट वादकों को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा कि इतने कम समय में जिस ढंग से आप सभी ने संगीत को सीखा है यह प्रशंसनीय है।
42 रचनाओं को नौसेना दल ने किया सम्मिलित :
संघ के अखिल भारतीय शारीरिक शिक्षक प्रमुख जगदीश प्रसाद ने कहा कि संघ की स्थापना वर्ष 1925 में हुई और वर्ष 1926 से पद संचलन आरंभ हुआ। यही नहीं संघ ने वर्ष 1927 में पहली बार शंख खरीदा और वर्ष 1940 तक संघ का पूरे देश में विस्तार हुआ। उन्होंने कहा कि जब स्वयंसेवकों ने वाद्ययंत्रों की प्रस्तुति देना आरंभ किया तो उन्होंने भारतीय राग, रचना का स्वदेशीकरण का क्रम शुरू किया। हमारे लिए यह गर्व की बात है कि संघ द्वारा तैयार की 42 रचनाओं को भारतीय नौ सेना के दल सम्मिलित किया और इसकी प्रस्तुति आरंभ की। जगदीश प्रसाद ने कहा कि पिछले दिनों केरल में पुलिस की पासिंग आऊट परेड में जो रचना पेश की गई वह भी स्वयंसेवकों ने तैयार की थी। यही नहीं वर्ष 1982 के एशियाई खेलों के उद्घाटन समारोह में भी संघ की रचना को नौ सेना के दल ने प्रस्तुत किया था। भारत के नए संसद भवन के शुभारंभ अवसर पर भी संघ की रचना सीआरपीएफ के जवानों ने पेश किया। उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में गणतंत्र दिवस पर होने वाली बीटिंग रिट्रीट की प्रस्तुति में ब्रिटिश शासनकाल के अत्यधिक भाग को समाप्त किया गया है।
वेणु फॉर ऑल की ओर बढ़ रहे हैं :
जगदीश प्रसाद ने कहा कि 90 प्रतिशत स्वयंसेवक आज के समय में वेणु (बांसुरी का एक प्रकार) बजाते हैं। उन्होंने कहा कि वेणु बजाने की खास बात यह है कि यह न सिर्फ मन को शांति देती है बल्कि इससे हमारे फेफड़े मजबूत रहते और शरीर स्वस्थ रहता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 में संघ अपनी 100 वर्ष की यात्रा पूरी कर लेगा। हमने देखा कि कई संस्था आईं और चली गई लेकिन संघ आज भी चल रहा है और आगे बढ़ रहा है। इस संघ को आगे बढ़ाने का कार्य शुरू होता है शाखा से। यहां खेल, व्यायाम जैसी गतिविधि और बौद्धिक विषयों पर चर्चा की जाती है। जगदीश प्रसाद ने कहा कि स्वयंसेवक प्रयागराज महाकुंभ में भोजन व्यवस्था सहित स्वास्थ्य शिविर का संचालन तो कर ही रहे थे। इसके अलावा अब 16 हजार स्वयंसेवकों के समूह ने परिवहन व्यवस्था का जिम्मा संभाला है। स्वयंसेवकों का सेवा का यही भाव उन्हें अलग बनाता है। अंत में उन्होंने कहा कि अपने शताब्दी वर्ष में संघ ने पंच परिवर्तन के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ने का निर्णय लिया है। संघ स्व, समरसता, पर्यावरण, कर्तव्य और समाज परिवर्तन के लक्ष्य को लेकर कार्य करेगा और विकसित भारत और विश्व गुरु बनाने का लक्ष्य प्राप्त करेगा।