
पोरसा। शहर के प्राचीन एवं पावन नागजी सरोवर परिसर में रविवार को भव्य और ऐतिहासिक हिंदू सम्मेलन का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित इस सम्मेलन में समाज के सभी वर्गों, जातियों और आयु समूहों के लोगों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की। अनुमानतः 7 हजार से अधिक नागरिकों की उपस्थिति ने आयोजन को ऐतिहासिक स्वरूप प्रदान किया।
सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख विशेष रूप से उपस्थित रहे। मंच पर दंदरौआ सरकार के श्री 1008 रामदास जी महाराज, नागाजी धाम के श्री 1008 ऋषि महाराज महामंडलेश्वर राम लखन दास, राष्ट्रीय कथावाचक सुरेश शास्त्री, ईश्वर ब्रह्माकुमारी आश्रम की बीके रेखा बहन, रचना चौहान सहित अनेक संत, धर्माचार्य और समाजसेवी मौजूद रहे।
सभा को संबोधित करते हुए अरुण जैन ने कहा कि लंबे समय से हिंदू समाज को जातियों में बांटने और धार्मिक स्थलों को सुनियोजित रूप से निशाना बनाने का षड्यंत्र रचा गया है। उन्होंने कहा कि बिधर्मी ताकतों का उद्देश्य हिंदू समाज की एकता को कमजोर करना है, लेकिन संघ और संत समाज के प्रयासों से आज समाज पुनः संगठित हो रहा है। उन्होंने सामाजिक एकजुटता और जागरूकता को वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता बताया।
सम्मेलन की शुरुआत हनुमान चालीसा पाठ से हुई। इसके पश्चात कलश यात्रा, भारत माता, गौ माता एवं तुलसी पूजन के साथ विधिवत कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। आध्यात्मिक वातावरण में हजारों श्रद्धालुओं ने राष्ट्र, धर्म और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का संकल्प लिया। पूरा परिसर “भारत माता की जय” और “जय श्रीराम” के जयघोष से गूंज उठा।
अरुण जैन सहित अन्य वक्ताओं ने संघ द्वारा प्रतिपादित ‘पंच परिवर्तन’ की अवधारणा पर विस्तार से प्रकाश डाला। सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, नागरिक कर्तव्य एवं शिष्टाचार, पर्यावरण संरक्षण तथा स्व का बोध और आत्मनिर्भर भारत जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई। वक्ताओं ने कहा कि इन मूल्यों को व्यवहार में उतारकर ही सशक्त और समरस राष्ट्र का निर्माण संभव है।
कार्यक्रम के दौरान स्कूली छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने सभी का मन मोह लिया। गीत, नृत्य और नाट्य प्रस्तुतियों के माध्यम से सनातन संस्कृति और राष्ट्रभक्ति का सजीव चित्रण किया गया। कार्यक्रम का समापन भारत माता की आरती के साथ हुआ। पूरे आयोजन में अनुशासन, संगठन और सामाजिक एकता की स्पष्ट झलक देखने को मिली। पोरसा में आयोजित यह हिंदू सम्मेलन संघ के शताब्दी वर्ष के आयोजनों में एक स्मरणीय अध्याय के रूप में दर्ज हुआ।