राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में, विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान, नई दिल्ली के मार्गदर्शन में विद्या भारती मध्यभारत प्रान्त द्वारा ‘‘सप्तशक्ति संगम’’ का विराट आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन भारतीय नारी की अंतर्निहित शक्तियों के जागरण, परिवार व समाज के सशक्तीकरण और राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम सिद्ध होगा।
इस संबंध में सरस्वती शिशु मंदिर, शिवाजी नगर, भोपाल में प्रेस वार्ता आयोजित की गई। इसमें ‘‘सप्तशक्ति संगम’’ की प्रांत संयोजिका श्रीमती नीता गोस्वामी ने बताया कि विद्या भारती आज देश का सबसे बड़ा अशासकीय शैक्षिक संगठन है। वर्तमान में देशभर में 21,000 से अधिक विद्यालय संचालित हैं, जहाँ विद्या, संस्कार और राष्ट्रभावना पर आधारित शिक्षा प्रदान की जाती है।
उन्होंने बताया कि इस विशेष
‘‘सप्तशक्ति संगम’’ अभियान के अंतर्गत पूरे भारत में 30,000 से अधिक मातृगोष्ठियों का आयोजन किया जाना है। मध्यभारत प्रांत में भी इसके अंतर्गत 6,000 से अधिक मातृगोष्ठियाँ आयोजित की जा रही हैं, जिनके माध्यम से 10 लाख से अधिक माताओं के प्रबोधन का संकल्प लिया गया है। यह अभियान न केवल समाज में नारी की भूमिका को सशक्त बनाएगा, बल्कि राष्ट्र के सर्वांगीण विकास में मातृशक्ति की भागीदारी को भी सुदृढ़ करेगा।
‘‘सप्तशक्ति संगम’’ — नारी शक्ति के जागरण का राष्ट्रीय अभियान
उन्होंने बतायाकि ‘‘सप्तशक्ति संगम’’ महिलाओं की, महिलाओं के लिए और महिलाओं के माध्यम से संचालित एक अखिल भारतीय अभियान है। इसका नाम श्रीमद्भगवद्गीता के प्रसिद्ध श्लोक
‘‘कीर्तिः श्रीर्वाक् च नारीणां स्मृतिर्मेधा धृतिः क्षमा’’ से प्रेरित है, जो नारी की सात दैवीय शक्तियों कीर्ति, श्री, वाक्, स्मृति, मेधा, धृति और क्षमा का प्रतीक है।
इन सात दैवीय शक्तियों के संगम से ‘‘सप्तशक्ति संगम’’ का भाव प्रकट होता है, जिसका उद्देश्य नारी के भीतर विद्यमान आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और नैतिक सामर्थ्य का पुनर्जागरण कर एक सशक्त, संस्कारी और समृद्ध भारत का निर्माण करना है।
श्रीमती गोस्वामी ने कहा कि यह आयोजन केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह भारतीय जीवन मूल्यों के पुनर्स्थापन की दिशा में एक वैचारिक क्रांति है। मातृगोष्ठियों के माध्यम से कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण हितैषी जीवनशैली, भारतीय दृष्टि से आधुनिकता का संतुलन, तथा राष्ट्र के विकास में महिलाओं की सहभागिता एवं उत्तरदायित्व बोध को सशक्त करने का यह प्रयास है।
‘‘सप्तशक्ति संगम’’ के अंतर्गत सहभागी प्रत्येक नारी पंच परिवर्तन के रूप में निम्न पाँच जीवन-संकल्पों को अपनाएगी —
1. सामाजिक समरसता – समाज में जाति, वर्ग और भेदभाव से ऊपर उठकर एकता और सहयोग की भावना को सशक्त बनाना।
2. पर्यावरण संरक्षण – प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाकर पर्यावरण-संतुलित जीवनशैली अपनाना।
3. कुटुंब प्रबोधन – परिवार को संस्कार, संवाद और स्नेह का केन्द्र बनाना।
4. स्वदेशी – देशज उत्पादों, कुटीर उद्योगों और आत्मनिर्भर भारत की भावना को प्रोत्साहन देना।
5. नागरिक शिष्टाचार – समाज में अनुशासन, कर्तव्यनिष्ठा और मर्यादित आचरण को जीवन का अंग बनाना।
इन पंच-संकल्पों के माध्यम से नारी समाज में सकारात्मक परिवर्तन की प्रेरणा बनेगी और ‘‘सप्तशक्ति संगम’’ परिवार से राष्ट्र तक एक समरस, सशक्त और सजग समाज के निर्माण का माध्यम बनेगा।
राष्ट्र निर्माण में नारी की निर्णायक भूमिका है।
प्रेस वार्ता के अंत में श्रीमती गोस्वामी ने कहा —
“भारत माता के उत्थान में मातृशक्ति की भूमिका अनिवार्य है। जब नारी जागृत होती है, तो पूरा समाज जागृत होता है। ‘‘सप्तशक्ति संगम’’ के माध्यम से हर माता अपने परिवार से प्रारंभ होकर राष्ट्र तक परिवर्तन की प्रेरणा बनेगी।”
इस अभियान के माध्यम से विद्या भारती का उद्देश्य प्रत्येक परिवार को एक संस्कार केन्द्र के रूप में विकसित करना और मातृशक्ति के माध्यम से नव भारत के निर्माण की दिशा में ठोस कदम बढ़ाना है।
प्रेस वार्ता में श्रीमती गोस्वामी सहित प्रांत सह-संयोजिका श्रीमती पूजा उदासी, विभाग संयोजिका श्रीमती वैभवी खंडकर, जिला संयोजिका श्रीमती रुचि शुक्ला, श्रीमती दीपा चौबे एवं श्रीमती विद्या पाठक सहित अन्य मातृशक्तियों की उपस्थिति रही।