लोकमाता अहिल्याबाई के जीवन को जानें ही नहीं अपितु आत्मसात भी करें: निवेदिता

ग्वालियर में पुण्य श्लोका देवी अहिल्याबाई होलकर जन्म त्रिशताब्दी वर्ष का शुभारंभ.

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    01-Jun-2024
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ग्वालियर। शिवजी की अनन्य भक्त लोकमाता देवी अहिल्या बाई होलकर कुशल शासक, न्यायप्रिय, कूटनीतज्ञ, परमार्थी व सैन्य प्रतिभा की धनी थीं। जिस तरह भरत ने प्रभु श्रीराम की पादुका को सिंहासन पर विराजित कर अयोध्या पर शासन किया उसी तरह अहिल्याबाई राजाज्ञाओं पर अपने हस्ताक्षर नहीं करती थीं बल्कि श्री शंकर आज्ञा लिखा करती थीं। रुपयों पर भी शिवलिंग, बेलपत्र और नंदी अंकित रहते थे। उनका मानना था कि सत्ता और संपत्ति मेरी नहीं जो कुछ भी है भगवान का है। हम प्रजा वत्सल अहिल्याबाई के जीवन को पढ़ें या जाने ही नहीं बल्कि उसे आत्मसात करें। यह बात मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ.निवेदिता शर्मा ने नई सडक़ स्थित राष्ट्रोत्थान न्यास के विवेकांनद सभागार में आयोजित पुण्य श्लोका देवी अहिल्याबाई होलकर जन्म त्रिशताब्दी वर्ष के शुभारंभ समारोह में मुख्य वक्ता की आसंदी से कही।
 

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ग्वालियर महानगर आयोजन समिति के तत्वावधान में आयोजित समारोह की विशिष्ट अतिथि मध्यभारत प्रांत आयोजन समिति की उपाध्यक्ष डॉ.प्रियंवदा भसीन थीं। अध्यक्षता सेवानिवृत्त आईएएस उपेंद्र शर्मा ने की। मुख्य वक्ता डॉ.शर्मा ने कहा कि अहिल्याबाई की 299वीं जन्मतिथि पर वर्ष भर कार्यक्रम आयोजित कर उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह आद्य शंकराचार्य ने देश के चारों दिशाओं में मठ स्थापित कर सनातन धर्म को बढ़ावा देकर लोगों को एकसूत्र में पिरोया था उसी तरह अहिल्याबाई ने भी देश में मंदिरों का निर्माण और जीर्णाेद्धार कराया था। साथ ही धर्मशालाएं, घाट, बावडिय़ां, सडक़ें बनवाकर पौधरोपण भी किया। यही नहीं न्याय की व्यवस्था उन्होंने गांव और तहसील स्तर तक उपलब्ध कराई। महिला सशक्तिकरण, सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के साथ ही और दीन दुखियों की मदद को हर समय तत्पर रहती थीं।
 
कार्यक्रम के प्रारंभ में सामूहिक गीत योगेश पाराशर ने प्रस्तुत किया। अतिथियों का स्वागत डॉ.पवन पाठक, अंजलि बत्रा, मानवता साहू ने किया। कार्यक्रम की प्रस्तावना डॉ.रामकिशोर उपाध्याय ने रखी। एकल गीत नरेंद्र कौरव ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन संजय कौरव एवं आभार अनामिका अग्रवाल ने व्यक्त किया। इस अवसर पर पुण्य श्लोका देवी अहिल्याबाई होलकर जन्म त्रिशताब्दी वर्ष आयोजन समिति के प्रांत संरक्षक सुरेंद्र मिश्रा, प्रतिभा चतुर्वेदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ग्वालियर के विभाग कार्यवाह विजय दीक्षित, सह विभाग कार्यवाह मुनेंद्र सिंह कुशवाह, निरुपम निवासकर, सेवानिवृत्त असिस्टेंट डायरेक्टर आरकेएस गुर्जर आदि उपस्थित थे।

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निष्काम भक्ति से आई दिव्यता
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उपेंद्र शर्मा ने कहा कि लोकमाता अहिल्या बाई के जीवन में निष्काम भक्ति से दिव्यता आई थी। उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई की बचपन बहुत गरीबी में बीता था। इसलिए वह विनम्र और परमार्थी थीं। उनके पिता भी धर्मनिष्ठ थे। इसलिए अहिल्याबाई के जीवन में सत्वगुण की प्रधानता रही।
 
महानगर आयोजन समिति घोषित
डॉ.प्रियंवदा भसीन ने पुण्य श्लोका देवी अहिल्याबाई होलकर जन्म त्रिशताब्दी वर्ष
मनाने के लिए महानगर आयोजन समिति घोषित की। जिसमें अध्यक्ष सेवा निवृत्त आईएएस उपेंद्र नाथ शर्मा,सेवा निवृत्त आईजी एमएल छारी, अनामिका अग्रवाल, सचिव संजय कौरव, सह सचिव डॉ.पवन पाठक, डॉ.रामकिशोर उपाध्याय, सरिता पटेल, कोषाध्यक्ष सीए अजीत बंसल को बनाया गया है। सदस्य के रूप में स्वामी आनंद गुरु जी, स्वामी रमन योगी जी, डॉ.पवन कोले, दाताराम बघेल, नितिन मांगलिक, मोनिका मिश्रा, समीर भौमिक, मूर्तिकार रामगोपाल प्रजापति, अंजलि बत्रा, चंदन पाल, राम भदौरियाा, अवधेश चांसोरिया, रामकुमार निधार, मुन्नालाल गौड़, मानवता साहू, दिनेश कुशवाह, राजेश वाधवानी, योगेश पाराशर, भानुप्रताप सिंह, चन्द्र प्रताप सिंह, रूपाली आनंद, सर्वजीत सिंह ज्ञानी, नीलेंद्र सिंह, पवन शर्मा, अहिवरण सिंह को शामिल किया गया है।