जड़ों से जुडें बिना नहीं हो सकती पत्रकारिता: तिवारी

27 May 2024 12:37:48

नारद जयंती ग्वालिर १
ग्वालियर। घटना के पीछे भागना ही सिर्फ पत्रकारिता नहीं है, बल्कि पत्रकारिता का क्षेत्र बेहद व्यापक है। किसी समाचार या संस्कृति की जड़ों में जाकर ही असल पत्रकारिता है। ठीक यही काम आद्य पत्रकार देवर्षि नारद जी किया करते थे। हांलाकि इनके किरदार को बिगाडऩे का काम समय-समय पर होता रहा है, जिसमें कुछ फिल्मों की भी भूमिका रही है, लेकिन अब उन परिस्थितियों को बदला जा रहा है। हांलाकि कुछ विकृति अभी भी है।यह बात वरिष्ठ पत्रकार एवं मप्र के पूर्व सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने आद्य पत्रकार देवर्षि नारद जयंती पर उत्कृष्ट पत्रकारिता सम्मान एवं संवाद कार्यक्रम में मुख्य वक्ता की आसंदी से कही।
 
 
मामा माणिक चंद वाजपेयी स्मृति सेवा न्यास द्वारा बाल भवन में वर्तमान राष्ट्रीय परिदृश्य में पत्रकारिता विश्वसनीयता और नई चुनौतियां विषय पर आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.डॉ.अविनाश तिवारी, विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्य क्षेत्र के कार्यकारिणी सदस्य यशवंत इंदापुरकर थे। अध्यक्षता न्यास के उपाध्यक्ष यशवर्धन जैन ने की। कार्यक्रम संयोजक बलराम सोनी एवं चयन समिति के अध्यक्ष बृजमोहन शर्मा भी मंचासीन रहे।

vijay manohar tiwari  
 
मुख्य वक्ता श्री तिवारी ने कहा कि 50-60 के दशक में फिल्मों में देवर्षि नारद जी के चरित्र को विदूषक के रूम में प्रस्तुत किया गया। उन्होंने कहा कि आप अपनी जड़ों से कटे हुए हैं तो कोई भी आपकी धारणाओं को बदलने का काम करेगा। श्री तिवारी ने कहा कि पूरे भारत की यह त्रासदी रही है कि आजादी के बाद भी वह अपनी जड़ों से कटा रहा। इसी वजह से अयोध्या में हमारे रामलला को वर्षों तक टेंट में बैठे रहना पड़ा। इससे हमारी आस्था को चोट पहुंचती रही, लेकिन अब माहौल सकारात्मक होने लगा है और रामलला भी भव्य मंदिर में विराजमान हो गए हैं।
 
मुख्य अतिथि प्रो. अविनाश तिवारी ने कहा कि देश में आज सकारात्मक और तथ्यपरक पत्रकारिता की जरूरत है। इसी से समाज में समरसता आएगी। विशिष्ट अतिथि यशवंत इंदापुरकर ने आशा जताते हुए कहा कि नारद जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित यह कार्यक्रम भारत की चेतना जाग्रत करने में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह एनेस्थिया विशेषज्ञ जिसे संज्ञा हरण विशेषज्ञ भी कहा जाता है वह शरीर को निश्चेत कर देता है उसके बाद शरीर की शल्य चिकित्सा होती है, उसी तरह विदेशी लोगों ने रोजगार, संस्कृति देने के नाम पर हमारे देश के लोगों की संज्ञा का हरण कर लिया था, लेकिन आज देश फिर से जाग्रत होने लगा है। उन्होंने पत्रकारों से आह्वान करते हुए कहा कि वह मामा माणिकचंद वाजपेयी के आदर्शों को अपनाते हुए सकारात्मक पत्रकारिता करें। कार्यक्रम के प्रारंभ में सरस्वती वंदना रितिका प्रजापति, अतिथि परिचय गोपाल गुप्ता ने दिया। कार्यक्रम की प्रस्तावना बलराम सोनी ने रखी। कार्यक्र्रम का संचालन राजेश वाधवनी एवं आभार प्रदर्शन प्रवीण दुबे ने किया।

puraskar vijeta
 
 
इनका हुआ सम्मान -
लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार डॉ.सुरेश सम्राट,  वरिष्ठ पत्रकार सम्मान राजीव अग्रवाल,  श्रेष्ठ प्रवासी पत्रकार अनुराग उपाध्याय , श्रेष्ठ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रिपोर्टर - सुशील कौशिक , श्रेष्ठ फोटो जर्नलिस्ट - राकेश वर्मा ), श्रेष्ठ वीडियो जर्नलिस्ट - करन वारसी, बेस्ट आउटपुट - विभावसु तिवारी, श्रेष्ठ आंचलिक पत्रकार - हरिओम गौड़ , श्रेष्ठ सांध्य दैनिक/ लघु समाचार पत्र सम्मान - राजेश शर्मा, श्रेष्ठ वेब पोर्टल/ डिजिटल मीडिया - अतुल सक्सेना ,श्रेष्ठ युवा पत्रकार - अनिल शर्मा, हरपाल सिंह चौहान, श्रेष्ठ एफएम आरजे - सतेंद्र शर्मा, श्रेष्ठ महिला पत्रकार - खुशी बैशांदर कर्मवीर सम्मान (श्रेष्ठ हॉकर) - स्वामी प्रसाद पाठक  को दिया गया।
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