राष्ट्र सेविका समिति की द्वितीय प्रमुख संचालिका वंदनीय सरस्वती ताई आपटे जी की पुण्यतिथि.

उन्होंने संगठन की लाखों सेविकाओं को यह सिखाया कि गृहस्थी के साथ भी देशसेवा कैसे की जा सकती है।

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    09-Mar-2024
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1936 में श्रीमती लक्ष्मीबाई केलकर उपाख्य मौसीजी ने ‘राष्ट्र सेविका समिति’ के नाम से मातृशक्ति का संगठन बनाया। आगे चलकर श्रीमती लक्ष्मीबाई केलकर समिति की प्रमुख संचालिका बनीं। 1938 में पहली बार ताई आप्टे की भेंट श्रीमती केलकर से हुई थी। इस भेंट में दोनों ने एक दूसरे को पहचान लिया। मौसी जी से मिलकर ताई आप्टे के जीवन का लक्ष्य निश्चित हो गया। दोनों ने मिलकर राष्ट्र सेविका समिति के काम को व्यापकता एवं एक मजबूत आधार प्रदान किया।
 
1945 में समिति का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ। ताई आप्टे की सादगी, संगठन क्षमता, कार्यशैली एवं वक्तृत्व कौशल को देखकर मौसी जी ने इस सम्मेलन में उन्हें प्रमुख कार्यवाहिका की जिम्मेदारी दी। जब तक शरीर में शक्ति रही, ताई आप्टे ने इसे भरपूर निभाया।
 
1948 में संघ पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया, हजारों कार्यकर्ता जेलों में ठूँस दिये गये। ऐसे में उन परिवारों में महिलाओं को धैर्य बँधाने का काम राष्ट्र सेविका समिति ने किया। 1962 में चीन के आक्रमण के समय समिति ने घर-घर जाकर पैसा एकत्र किया और उसे रक्षामन्त्री श्री चह्नाण को भेंट किया। 1965 में पाकिस्तानी आक्रमण के समय अनेक रेल स्टेशनों पर फौजी जवानों के लिए अल्पाहार एवं भोजन की व्यवस्था की।
 
सरस्वती ताई आप्टे इन सब कार्यों की सूत्रधार थीं। उन्होंने संगठन की लाखों सेविकाओं को यह सिखाया कि गृहस्थी के साथ भी देशसेवा कैसे की जा सकती है। 9 मार्च 1994 को ताई ने अपनी अनंत यात्रा पर प्रस्थान किया|