प्रमाण सामने हैं अब हिन्दुओं को मिलें उनकी आस्था के स्थल

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    02-Feb-2024
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ज्ञानवापी परिसर
 
सौरभ तामेश्वरी :  
 
रामजन्मभूमि आन्दोलन के समय साध्वी ऋतंभरा ने बड़े मंचों से ‘कहो गर्व से हम हिन्दू हैं, हिन्दुस्थान हमारा है’ का जो नारा लगाया वो हिन्दुओं को गौरव की अनुभूति तो कराता ही है. साथ ही यह भी बताता है कि सच में यह हिन्दुस्तान हमारा ही है, जहाँ अधिकतर स्थानों पर अपने आराध्य हैं. भारत में यह कहावत सच बैठती प्रतीत होती है है जिसमें कहा जा सकता है कि यहाँ का कंकर-कंकर शंकर है. भारत में हिन्दुओं की धार्मिक आस्था से जुड़े अनेक मंदिर मौजूद हैं, इतिहास में यह भव्यता से बनते थे.
 
एक ओर जहाँ हमारे वैभवशाली इतिहास की स्मृतियों में हिन्दुओं को गौरव के अवसर मिलते हैं. वहीं दूसरी तरफ अपने इतिहास के काले पन्नों में आक्रान्ताओं के अत्याचार दर्ज हैं, इन्होनें देश में आकर देश को लूटा और देश को गौरव का अनुभव कराने वाले मंदिरों को नष्ट कर उनपर अपने अधिकार जमाए. ऐसे अनेक स्थल हैं. इनमें भी सबसे महत्वपूर्ण अयोध्या, मथुरा और काशी के स्थल हैं जहाँ मंदिरों के ऊपर मस्जिद बनाकर हिन्दुओं की आस्था को दबा दिया गया. जिन्हें इन स्थलों की सच्चाई पता है वह लम्बे समय से हिन्दुओं को यह जगहें सौंपने की मांग करते आये हैं, इनमें सिर्फ हिन्दू ही नहीं मुस्लिम भी शामिल हैं.
 
अयोध्या के मामले का बेहद शांतिपूर्ण निपटारा हो गया, अब काशी-मथुरा के मामले शेष बचे हैं. जनवरी माह में काशी से सुखद खबर आई है, यहाँ की ज्ञानवापी परिसर में हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के सर्वे में वहां भव्य हिन्दू मंदिर होने की पुष्टि हुई है. ज्ञानवापी को लेकर लम्बे समय से चल रहे मामलों में एक सफलता ज्ञानवापी परिसर के ‘व्यास तहखाने’ में पूजन की अनुमति के रूप में मिली है.
 
यहाँ वर्ष 1993 के बाद से पूजन-पाठ नहीं हो रही थी, बिना किसी लिखित आदेश के उस समय की सरकार और जिला प्रशासन ने इसे बंद करा दिया था. गत ३१ जनवरी को वाराणसी जिला कोर्ट से जिला प्रशासन को 7 दिवस के अन्दर पुजारी नियुक्त करने की बात कही थी. आदेश के अगले ही दिवस ‘व्यास तहखाने’ से पूजन की तस्वीरें सामने आयीं. लोगों ने यहाँ दर्शन भी किये, यह देख श्रद्धालु भाव-विभोर हो गये.
 
ईश्वर में आस्था के प्रतीक मंदिरों से हिन्दू समाज का जुड़ाव दुनिया समझती है. अगर इन प्रमुख स्थलों के अधिकार हिन्दुओं को मिलेंगे तो इतिहास की गलतियों में सुधार की ओर एक कदम बढ़ जायेगा. यह देश में हिन्दू धर्म एवं मुस्लिम मत को मानने वालों के बीच उम्दा समन्वय बनाने का बेहतर विकल्प है.
 
हिन्दुओं को काशी-मथुरा के लिए इतना इन्तजार कराना उचित नहीं क्योंकि इन पर उन्हीं का अधिकार है, इनकी सच्चाई ग्रंथों में दर्ज है. अब सब विभिन्न पहलुओं से इसकी सच्चाई सामने आ गयी है तो इन्हें उनके अधिकारियों को सौंप दिए जाएँ.