
राम मंदिर मन्दिर नहीं बल्कि एक राष्ट्र मंदिर है,जिसमें भारत के करोड़ों हिंदुओं की भावनाएं जुड़ी हैं। आज की युवा पीढ़ी यदि भगवान श्री राम के चरित्र का अनुसरण कर के आगे बढ़ती है तो यह सम्पूर्ण भारत एक राष्ट्र मन्दिर के रूप में उभर कर आ जायेगा। आज सम्पूर्ण विश्व में भगवान श्री राम का नाम चारो तरफ गुंजायमान हो रहा है। आज सम्पूर्ण विश्व भगवान श्री राम के चरित्र का अनुसरण करने के लिए प्रेरित हैं। आओ हम सब मिलकर यह संकल्प करें कि स्वयं एवं अपने परिवार बच्चों को नियमित रामायण का पाठ करने का आग्रह करेंगे।
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यह आह्वाहन भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री उमाशंकर पचौरी जी ने गुरुवार को राम मंदिर से राष्ट्र मन्दिर विषय पर युवा संवाद कार्यक्रम में मुख्य वक्ता की आसन्दी से किया। रविन्द्र नाथ टैगोर सभागृह में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री श्रीराम लोकरे जी शास्त्री रहे। श्री पचौरी जी ने कहा कि हमारी पूर्व की कई पीढ़ियों ने राम मंदिर के निर्माण में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। हम लोग बहुत सौभाग्यशाली हैं कि हमारे समय में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है और 22 जनवरी को राम लला अयोध्या जी राम मंदिर में विराजमान हो जाएंगे।
श्री पचौरी जी ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को भगवान श्री राम जी के चरित्र का अनुसरण करना चाहिए। एक आदर्श पुत्र,भाई, पिता, राजा, मित्र, शिष्य का आचरण कैसा होना चाहिए, ये हमे भगवान श्री राम जी के आचरण से सीखना चाहिए। भगवान श्री राम जी ने लंका पर आक्रमण करते समय कैसे छोटे से छोटे जीव को एक साथ संगठित करके लंका पर विजय प्राप्त की। विजय प्राप्त करने के पश्चात अपने वचन अनुसार लंकापति रावण के भाई विभीषण को सौंप दी। भगवान श्री राम ने अपने पिता की आज्ञा अनुसार अयोध्या राज को ठुकराकर 14 वर्ष के लिए वर्ष के लिए वन चले गए। यह घटना यह दर्शाती है कि उनके जीवन में राज्य से बड़े पिताजी के वचन थे। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों का परिचय एवं मंच संचालन रवि सोनी द्वारा किया गया। मंच पर प्रान्त सह महाविद्यालयीन प्रमुख पीयूष स्वर्णकार, राष्ट्र सेविका समिति की विभाग कार्यवाहिका डॉ पिंकेश लता रघुवंशी मंच पर अतिथि रूप में उपस्थित थे। राम स्तुति पर कुमारी शिवानी श्रीवास्तव ने सांस्कृतिक प्रस्तुति दी.