ओम्कारेश्वर के एकात्म धाम में शांकरभाष्यपरायणाञ्जलि...............
मध्य प्रदेश शासन द्वारा ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य के जीवन-दर्शन के लोकव्यापीकरण को समर्पित 'एकात्म धाम' की पहली उपलब्धि के रूप में दिनांक 18 सितंबर 2023 को 108 फीट ऊंची 'एकात्मता की मूर्ति' का अनावरण होने वाला है। कार्यक्रम की तैयारी विभिन्न मोर्चों पर चल रही हैं। प्रतिमा स्थल पर देशभर से आए हुए 32 संन्यासियों व ब्रह्मचारियों द्वारा आदि शंकराचार्य द्वारा लिखित भाष्यों का पाठ शुरू हो चुका है।
क्या है प्रस्थानत्रयी?
वेदों के ज्ञान कांड को उपनिषद् कहते हैं। प्रमुख उपनिषद् 10 हैं, जैसे - केन, कठ, मुण्डक, माण्डूक्य, बृहदारण्यक, छांदोग्य आदि। उपनिषद् को ही वेदांत कहते हैं। इनमें मुख्य रूप से जीव, जगत और ईश्वर के स्वरूप तथा अन्तर्सम्बन्ध का विवरण है। उपनिषदों का ही सार भगवद्गीता है तथा उनका विश्लेषण वेदव्यास द्वारा रचित ब्रह्मसूत्र है। इन तीनों ग्रंथों यानि 10 उपनिषद्, भगवद्गीता और ब्रह्मसूत्र को प्रस्थानत्रयी कहते हैं। आदि शंकराचार्य जी ने इन तीनों का भाष्य लिखा है इसलिए उनको भाष्यकार भी कहा जाता है।
कैसे होगा पारायण?
यह पाठ कुल 108 घंटे का है जो 9 दिन तक चलेगा। अर्थात 12 घंटे प्रतिदिन। सर्वप्रथम 10 उपनिषद् फिर ब्रह्मसूत्र और अंत में भगवद्गीता के मूल श्लोक के साथ भाष्य का पाठ चलेगा। प्रतिदिन यह पारायण आदि शंकराचार्य जी की पूजन और वैदिक शांति पाठ के साथ प्रारंभ होगा तथा शंकराचार्य जी की आरती, विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ तथा तोटकाष्टकम् के साथ समाप्त होगा। विष्णुसहस्रनाम का भाष्य आदि शंकराचार्य जी ने ओम्कारेश्वर में ही लिखा था। इन 32 संतों के 6 समूह हैं और हर समूह 2 घंटे पाठ करेगा इस प्रकार एक दिन में 12 घंटे तक पाठ चलेगा जब एक समूह पाठ करेगा उसे समय दूसरा समूह उसका श्रवण करेगा मंत्र तथा श्लोक सामूहिक रूप से पढ़े जाएंगे तथा भाष्य कोई एक आचार्य पढ़ेंगे। इन 32 वैदिक विद्वानों के दल का नेतृत्व आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास के न्यासी तथा आदि शंकर ब्रह्म विद्यापीठ, उत्तरकाशी के आचार्य स्वामी हरिब्रह्मेंद्रानंद तीर्थ कर रहे हैं।
पारायण में सम्मिलित अन्य विद्वान - स्वामी श्रवणानंद गिरि जी महाराज, स्वामी गौरीशानंद, स्वामी अमृतानंद गिरी, स्वामी विश्वानंद पुरी, स्वामी देवेंद्र सरस्वती, स्वामी आत्मानंद गिरि, स्वामी सुबोधानंद, स्वामी सदाशिवानंद, स्वामी उत्तम आनंद गिरि, स्वामी अनंतात्मानंद तीर्थ, स्वामी परमानंद गिरि, स्वामी ज्योतिर्मयानंद तीर्थ, स्वामी आत्मनिष्ठानंद गिरी, स्वामी हरिओमानंद, ब्रह्मचारी चंदन, ब्रह्मचारी आत्मप्रिय, ब्रह्मचारी सोपान केशव, ब्रह्मचारी श्रीहरि, ब्रह्मचारी आलोक चैतन्य, ब्रह्मचारी भानुदास, ब्रह्मचारी कृष्ण एकनाथ बालासाहेब व ब्रह्मचारी रामदेव।