गणेश उत्सव प्रारंभ हो गया है. इस बार गणेश उत्सव में ग्वालियर में मोटे गणेश जी को 21 हजार रुपये से तैयार की गई विशेष पोशाक पहनाई गई है. यह पोशाक विशेष आज ही के दिन के लिए बनवाई गई है. इसके अलावा वह मराठा पगड़ी पहनेंगे. यह अंचल का एकमात्र मंदिर है जहां गणेशजी को मराठा पगड़ी पहनाई जाती है. भगवान के दर्शनों को दूर दूर से लोग आते हैं.
ग्वालियर शहर के खासगी बाज़ार में लगभग 500 वर्ष प्राचीन मंदिर में भगवान गणेश जी विराजित हैं. श्रद्धालु इन्हें मोटे गणेश जी के नाम से पुकारते है. लोग बताते हैं कि इस प्रतिमा राजस्थान के मेबाड़ रियासत से स्थापित कराने के लिए लाया गया था. यहां आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि मोटे गणेश जी के दर्शन मात्र से सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है. मोटे वाले गणेशजी के संबंध में बताया जाता है कि मोटे गणेशजी की प्रतिमा धरती से प्रकट हुई थी.
नगर में सबसे प्राचीन मोटे गणेशजी के मंदिर से लोगों की आस्थाएं जुड़ी हुई हैं. यहां प्रति बुधवार को श्रद्घालु दर्शन करने के लिए आते हैं. श्रद्धालु दुर्वा के साथ मोदक का भोग लगाते हैं. मोटे गणेश जी की मूर्ति 500 वर्ष पूर्व की बताई जाती है.
कुछ लोगों का कहना है कि इस मूर्ति को राजस्थान की मेवाड़ रियासत से स्थापना के लिए लाया गया था. वहीं मंदिर के पुजारी जगदीश भार्गव का कहना है कि यहां मौजूद पाटौर की खुदाई के दौरान यह मूर्ति जमीन से प्रकट हुई थी. मूर्ति में गणेश भगवान का पेट भी निकल रहा था. तत्कालीन पंडित लल्लीराय भार्गव ने यहां मंदिर की स्थापना की और बाद में इसका जीर्णोद्घार तत्कालीन महाराज जीवाजीराव सिंधिया ने कराया था। पेट निकलने के कारण लोग उन्हें मोटे गणेश कहने लगे.
लोग मनोकामना मांग कर 11 बुधवार यहां परिक्रमा करते हैं. ज्यादातर लोगों का मानना है कि यहां एक बार मांगी गई मनोकामना जरूर पूरी होती है. इन्हें व्यापारियों के गणेश भी कहा जाता है. व्यवसायीगण अपने प्रतिष्ठान खोलने से पहले मोटे गणेश मंदिर पहुंचकर दर्शन करते हैं और मंदिर के गेट के पत्थर पर दुकान की चाबी हल्की सी रगड़कर ही दुकान खोलते हैं। व्यापारियों का मानना है कि इससे व्यवसाय में बरकत आती है.