मदनदास जी का जन्म अभाविप के स्थापना दिवस अर्थात् 9 जुलाई के दिन ही सन् 1942 ई. में हुआ था, वे मूलत: महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के करमाळा गांव से थे. प्राथमिक शिक्षा के उपरांत उच्च शिक्षा हेतु मदनदास जी ने पुणे के प्रसिद्ध बीएमसीसी कॉलेज में सन् 1959 ई. में प्रवेश लिया, एमकॉम के बाद आईएलएस लॉ कॉलेज से एलएलबी की शिक्षा प्राप्त की, एलएलबी में उन्हें स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ, उन्होंने बाद में चार्टर्ड अकाउंटेंट की शिक्षा भी प्राप्त की थी. पुणे में पढ़ाई के दौरान वरिष्ठ बंधु श्री खुशालदास देवी की प्रेरणा से वे संघ संपर्क में आए. सन् 1964 ई. से मुंबई में उन्होंने अभाविप में कार्य प्रारंभ किया व सन् 1966 ई. में अभाविप मुंबई इकाई के मंत्री हुए.
मदनदास जी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की योजना से दिए गए प्रथम प्रचारक थे. अभाविप के राष्ट्रीय संगठन मंत्री के रूप में मदनदास देवी जी की दूरदर्शिता तथा सतत् प्रयासों से अभाविप एक प्रमुख छात्र आंदोलन के रूप में स्थापित हुआ व विद्यार्थियों-युवाओं के माध्यम से राष्ट्र के प्रमुख विषयों में महत्वपूर्ण सकारात्मक व रचनात्मक हस्तक्षेप किया. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के माध्यम से युवाओं की संस्कारित पीढ़ी निर्माण में मदनदास जी की महती भूमिका रही. सन् 1992 ई. में उनकी योजना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दायित्व में हुई, उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में अखिल भारतीय सह-प्रचारक प्रमुख, सह-सरकार्यवाह जैसे गुरूतर दायित्वों का निर्वहन किया.
मदनदास देवी जी के निधन से आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं, पूर्व कार्यकर्ताओं व शुभचिंतकों ने अपना अभिभावक खो दिया है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजशरण शाही, राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल, राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान, राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री प्रफुल्ल आकांत, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रा. मिलिंद मराठे ने सभी अभाविप कार्यकर्ताओं की शोक संवेदनाओं को व्यक्त करते हुए मदनदास देवी जी की आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की. मदनदास देवी जी के जीवन-मूल्य व स्मृतियां अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सतत् प्रवाहमान यात्रा में प्रेरणा तथा पथ-प्रदर्शक के रूप में हमेशा उपस्थित रहेंगी.
श्री मदनदास जी के निधन पर प. पू. सरसंघचालक और मा. सरकार्यवाह का शोक सन्देश :
मदनदास जी के जाने से हम सबने अपना ज्येष्ठ सहयोगी खो दिया।
श्री मदनदास जी के जाने से हम सबने अपने ज्येष्ठ सहयोगी को खो दिया है। गत अनेक वर्षों से स्वयं की शारीरिक अस्वस्थता से उनका संघर्ष चल रहा था, आज भोर में उस संघर्ष का हमारे लिए अतीव दुखदायक अंत हुआ है।
श्री मदनदास जी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में संघ योजना से दिए गए पहले प्रचारक थे। अनेक वर्षों तक परिषद के संगठन मंत्री का दायित्व उन्होंने संभाला। स्वर्गीय श्री यशवंत राव केलकर जी के सानिध्य में उन्होंने संगठन कला की गुणवत्ता को परिपूर्ण बनाया। बाद में 90 के दशक में उनकी योजना संघ के दायित्व में हुई। प्रदीर्घ समय तक उस चुनौती भरे कालखंड को यशस्वी ढंग से निभाने में उनकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही।
हम सब लोग उस समय विभिन्न दायित्वों पर उनके सानिध्य में काम कर रहे थे। उनकी पैनी निरीक्षण शक्ति, उत्तम सूझबूझ, प्रचारक व्यवस्था के अनुशासन का कठोर पालन व सबके साथ घुलने मिलने वाला संवादी परंतु सजग स्वभाव हमें बहुत कुछ सिखा गया है।
स्वस्थ रहकर वे हमारा नेतृत्व करते हुए हमको आगे बढ़ाते रहें, यह हम सबकी इच्छा थी, परंतु कार्य हेतु किए हुए कठोर परिश्रम ने उनके शरीर को धीरे-धीरे जर्जर बना दिया। मनुष्य प्रयत्नों पर नियति भारी हो गई और आज का दुखद प्रसंग हमारे सामने हम देख रहे हैं। परंतु सुख-दुःख की चिंता न करते हुए कर्तव्य मार्ग पर सतत आगे बढ़ने का प्रत्यक्ष उदाहरण भी श्री मदनदास जी के जीवन के रूप में हमारे सामने है।
अपनी जीवन तपस्या के कारण उनको उत्तम गति प्राप्त होगी ही, शोक संतप्त सभी के साथ अपनी संवेदना को जताते हुए मैं श्री परमेश्वर से हम सबके लिए उचित धैर्य की याचना करता हूं तथा श्री मदनदास जी की पवित्र स्मृति में हमारी व्यक्तिगत तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से श्रद्धांजलि अर्पण करता हूं।
मोहन भागवत
सरसंघचालक
दत्तात्रेय होसबाले
सरकार्यवाह
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ