खंडवा. वे जो चाहें कर सकते हैं, संगठित हैं, एक मन हैं, योजना बनाने में माहिर हैं, लेकिन तुम हिन्दू हो और तुम्हें किसी मुस्लिम लड़की से प्यार नहीं हो सकता। यदि हुआ तो इसकी सजा तुम्हें मौत के रूप में आज नहीं तो कल जब मौका मिलेगा दे दी जाएगी। देश भर में एक वर्ग विशेष से जहां लव जिहाद एवं आतंक के रास्ते पर चलने के मामले आम हैं तो दूसरी ओर किसी हिन्दू को खासकर मुस्लिम लड़की से प्यार करना ही उसका सबसे बड़ा अपराध साबित हो रहा है। अब तक तमाम मामले सामने आ चुके हैं जिसमें जब मौका मिला हिन्दू लड़के को इसलिए मार दिया गया क्योंकि वह किसी मुस्लिम लड़की से प्रेम करता था। कई को शादी के पहले, कई को शादी के बाद और कई को बच्चे होने के पश्चात भी मारा जा चुका है और यह सिलसिला अब भी लगातार जारी है।
मुस्लिम ससुराल पक्ष ने राजू को बेरहमी से पीटा
ताजा मामला मध्य प्रदेश के खण्डवा से जुड़ा है, जहां फिर एक बार हिन्दू लड़के को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। मुस्लिम समाज की युवती से प्रेम विवाह करने के बाद पहली बार ससुराल आए हिंदू युवक की बेरहमी से हत्या कर दी गई। पत्नी के सामने सास, ससुर और साले ने मिलकर उसकी इतनी बुरी मार लगाई कि उसकी अस्पताल में मौत हो गई। इस तरह जितेंद्र उर्फ राजू पुत्र मंगलचंद सैनी की प्रेम कहानी का अंत हो गया।
ऐसे हुई थी दोनों के बीच प्रेम की शुरुआत
आपको बताएं, जितेंद्र उर्फ राजू आज से तीन साल पहले राजस्थान के सीकर जिले के ग्राम खंडेल से चलकर मध्य प्रदेश के खण्डवा जिले के सिंगोट आया था, जहां नमकीन की दुकान पर काम करते हुए उसकी मुलाकात एक दिन अमरीन पुत्री मुमताज से हो जाती है। धीरे-धीरे समय के साथ दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगते हैं। दोनों एक साथ जीने-मरने की कसम खाते हैं और दोस्तों की मदद से शादी कर लेते हैं, इसके बाद जितेंद्र पत्नि को लेकर अपने घर राजस्थान के खंडेल चला जाता है।
पत्नि को ससुराल छोड़ना पड़ा राजू को भारी
इस बीच मुस्लिम परिवार पिपलौद थाने में अमरीन की गुमशुदगी दर्ज कराता है। पिपलौद पुलिस अमरीन को ढूंढती हुई राजस्थान जितेंद्र उर्फ राजू के घर पहुंचती है जहां उसे अमरीन मिलती है। अमरीन पुलिस को दिए बयान में साफ कहती है कि वह आगे जीवन भर राजू के साथ ही रहेगी। इसके बाद से ही दोनों साथ रहने लगते हैं। अमरीन एक बेटी को जन्म देती है। समय बीता और अमरीन को अपने घरवालों की याद आई, वह अपनी मां मुन्नीबाई और पिता मुमताज तथा भाइयों से मिलने की बात राजू से कहती है और फिर राजू उसे लेकर सिंगोट उसके पिता के घर कुछ दिन के लिए छोड़ जाता है। लेकिन जब वह उन्हें (अपनी पत्नि और बेटी को) वापिस लेने राजू अपने ससुराल पहुंचता है तो मुस्लिम परिवार उसे उसकी पत्नि और बच्ची से नहीं मिलने देता। इस पर यह युवक राजू यहीं रुक जाता है और पिछले 25 दिन से लगातार वह अपनी पत्नि अमरीन को वापिस अपने घर राजस्थान ले जाने के लिए प्रयास करता है। हर बार वह जाता है, और मुस्लिम परिवार के सदस्य उसे खाली हाथ मार-पीटकर भगा देते हैं।
अंदरूनी चोट से हो गई राजू की मौत, पुलिस की लापरवाही भी आई सामने
ऐसा नहीं है कि वह पुलिस के पास नहीं जाता, अपनी आप बीती बताने वह पिपलौद थाने में शिकायत करने पहुंचता है लेकिन यहां उसकी कोई सुनवाई नहीं होती । जब वह फिर से अपने ससुराल जाता है, तो वहां अमरीन के परिवार जनों ने मिलकर उसे 13 मई को फिर से बुरी तरह पीटा और इस बार की पिटाई उसके जीवन पर भारी पड़ गई। तब भी वह किसी तरह पिपलौद थाने पहुंचा था और अपने लिए न्याय की उसने गुहार लगाई थी, लेकिन पुलिस पर आरोप है कि इस बार भी उसकी बातों को पुलिस द्वारा गंभीरता से नहीं लिया गया। पुलिस द्वारा तत्काल आरोपितों पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। वहीं राजू की तबीयत अंदरूनी पिटाई से बहुत अधिक बिगड़ने लगी, जिसे देखते हुए सोमवार को स्थानीय लोगों द्वारा उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां दूसरे दिन मंगलवार को उसने दम तोड़ दिया ।
राजू के सास-ससुर और साले पर हत्या का केस दर्ज हुआ
इस संबंध में जब पुलिस अधीक्षक सत्येंद्र कुमार शुक्ल से जब पुलिस की लापरवाही एवं कार्रवाई के संबंध में पूछा गया तो उनका कहना था कि पुलिस द्वारा मर्म कायम कर जांच की गई है। मृतक राजू के सास-ससुर और साले पर हत्या का केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने यह बात स्वीकारी है कि राजू की मौत मारपीट के दौरान अत्यधिक घायल हो जाने के कारण से ही हुई है।
हिन्दू संगठनों में है आक्रोश की लहर
दूसरी ओर हिन्दू जागरण मंच एवं विश्व हिन्दू परिषद ने इस पूरे घटनाक्रम पर अपना आक्रोश व्यक्त किया है। इन दोनों ही संगठनों के पदाधिकारियों का आरोप है कि जब राजू पुलिस के पास अपनी शिकायत लेकर गया था, तभी पुलिस को उसकी बातों पर गौर करना चाहिए था। हिंदू जागरण मंच के जिला संयोजक डाक्टर अनीष अरझरे ने कहा कि पुलिस यदि सचेत एवं गंभीर रहती तो ये अपराध ही नहीं घटता। निश्चित ही यह मामला पिपलौद थाना पुलिस की लापरवाही का नतीजा है। यदि राजू की सुनवाई हो जाती तो वह आज हमारे सामने जीवित होता।