डॉ आनंद सिंह राणा-
एक भारतीय आत्मा"-"साहित्य देवता", राष्ट्र कवि, महान् संपादक, महान् स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्रीयुत माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल को नर्मदापुरम में हुआ था,परंतु उत्कर्ष जबलपुर से आरंभ हुआ था।
मिडिल स्कूल की परीक्षा हेतु जबलपुर आगमन हुआ था उसके उपरांत 1921 में 8 माह का कारावास - सन् 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के चलते - सेठ गोविंद दास, पं रविशंकर शुक्ल, पं द्वारका प्रसाद मिश्र और विष्णु दयाल भार्गव जी के साथ 2 वर्ष का कठिन कारावास की सजा मिली थ. प्रथमत:जबलपुर से ही महान् समाचार पत्र "कर्मवीर" का प्रकाशन आरंभ हुआ था. बाद में खंडवा से प्रकाशित हुआ।
मासिक प्रभा मासिक पत्र और महान् पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी की गिरफ्तारी के उपरांत उनके समाचार पत्र "दैनिक प्रताप" का संपादन किया. आपके साहित्यिक संसार की प्रमुख रचनाएँ हैं- हिम किरीटनी, हिमतरंगिनी, माता, युगचरण, समर्पण, साहित्य देवता, कला का अनुवाद, कृष्णार्जुन युद्ध, मरण ज्वार, समय के पांव, वेणु की गूंजे धरा आदि।
8 वर्ष की उम्र में आपने कुछ इस तरह अपनी पहली कविता लिखी- "धनीराम की पोली पाई, उसमें से निकली द्रोपदी बाई.. द्रोपदी बाई ने बिछाई खाट, उसमें से निकला काशी भाट.. काशी भाट की लंबी दाढ़ी, उसमें से निकला मुल्ला बाढ़ी"।
राष्ट्र के प्रति समर्पित ये पंक्तियाँ देखिए --"प्यारे भारत देश. गगन गगन तेरा यश फहरा. पवन पवन तेरा वक्त घहरा.. क्षिति जल नभ पर डाल हिंडोले.. चरण चरण संचरण तुम्हारा.. ओ ऋषियों के त्वेष.. प्यारे भारत देश और बेटी की विदाई पर एक मर्मस्पर्शी चित्रण देखिए-
यह क्या कि इस घर में बजे थे, वे तुम्हारे प्रथम पैजन.
यह क्या कि इस आंगन सुने थे, वे मृदुल रुनझुन.
यह क्या कि इसी वीथी,
तुम्हारे तोतले से बोल फूटे.
यह क्या कि इसी वैभव बने थे,चित्र हँसते और रुठे.
आज यादों का खजाना, याद भर रह जाएगा क्या?
यह मधुर प्रत्यक्ष,सपनों के बहाने जाएगा क्या ?
जबलपुर से कर्मवीर का प्रकाशन व्यौहार रघुवीर सिंहा ने करवाया था। यही कारण है कि जबलपुर में पं. माखनलाल चतुर्वेदी जी का निवास स्थान वर्षों तक व्यौहारनिवास-पैलेस रहा ।पुनः जयंती पर शत् शत् नमन है।