नाम, नमक और निशान के लिए जीते हैं सैनिक : सेवानिवृत्त मेजर गौरव आर्य

भारतीय विचार संस्थान न्यास की ओर से आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला में दूसरे दिन ‘भारत, कल, आज और कल’ विषय पर युवाओं के साथ संवाद

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    18-Dec-2023
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भोपाल। लोगों को यह भ्रम नहीं होना चाहिए कि 40–50 हजार की सैलरी के लिए सैनिक दुश्मनों से भिड़ जाता है। यह काम कोई और कर सकता है क्या? सैनिक देश के प्रति अपना कर्तव्य को जीते हैं, इसलिए अपने प्राणों की चिंता नहीं करते। सेना में कहा जाता है कि हम नाम, नमक और निशान के लिए जीते हैं। यानी सैनिक किसी तनख्वाह के लिए नहीं बल्कि नाम, नमक और निशान के लिए कठिनतम लड़ाई में उतर जाते हैं। ये विचार प्रख्यात वक्ता एवं लेखक सेवानिवृत्त मेजर गौरव आर्य ने ‘भारत, कल, आज और कल’ विषय पर व्यक्त किए। वे भारतीय विचार संस्थान न्यास की ओर से रवींद्र भवन, भोपाल में आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला में दूसरे दिन मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के राज्य समन्वयक नितिन चंदसोरिया ने की। मंच पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य भारत प्रांत के संघचालक एवं न्यास के अध्यक्ष अशोक पांडेय भी उपस्थित रहे।
 
मुख्य वक्ता सेवानिवृत्त मेजर गौरव आर्य ने कहा कि हमने ज्यादातर जवाबी कार्यवाहियां की हैं। इसलिए ही हमें कई लोग कमजोर समझते हैं। हमने बाद में सर्जिकल स्ट्राइक की। यदि हम पहले ही सर्जिकल स्ट्राइक कर दें तो दुश्मन की हिम्मत ही नहीं होगी कि वह हम पर हमला कर सके।
 
उन्होंने कहा कि शक्ति से ही शांति स्थापित होती है। हमारी तैयारी है कि आनेवाले समय में भारत की तीनों सेनाएं थल, जल और वायु सेना एकजुट होकर लड़ सकें। इसलिए प्रयास हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम बोफोर्स के कारण कारगिल नहीं जीते बल्कि हम अपने सैनिकों के साहस एवं रणनीति के कारण कारगिल जीते। उन्होंने भारतीय सैनिकों की शौर्य की कई गाथाएं सुनाईं।
  
उन्होंने कहा कि थल सेना, जल सेना और वायु सेना ने पिछले कुछ वर्षों में जिस प्रकार से अपनी क्षमता को बढ़ाता है, वह बहुत महत्व का है। याद रखें कि भारत के आनेवाले कल में सैन्य कूटनीति का महत्व बढ़ जायेगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की आर्मी सांप है। भारत का वास्तवित दुश्मन आतंकवाद नहीं अपितु पाकिस्तान की सेना है क्योंकि आतंकवाद वही पैदा करती है। पाकिस्तान की सेना लड़ने नहीं आती, वह आतंकियों को भेजती है।
 
भारत ने दुनिया में फहराया अपना परचम :
 
मेजर आर्य ने कहा कि हमें बच्चों को बताना चाहिए कि भारत ने दुनिया के कई हिस्सों को जीता था। रणजीत सिंह के नेतृत्व में अफगानिस्तान तक भारत का ध्वज फहराया था। डोगरा सेना तिब्बत तक पहुंची। चोल साम्राज्य ने थाईलैंड सहित आसपास के कई देशों में भारत का परचम फहराया। थाईलैंड की पुरानी राजधानी का नाम आज भी अयोध्या है। उन्होंने रेजांगला और हाइफा के युद्ध का भी उल्लेख किया। मेजर आर्य ने कहा कि हमें अपने बच्चों को बताना चाहिए कि भारत की स्वतंत्रता में महात्मा गांधीजी का योगदान था तो नेताजी सुभाष चंद्र बोस का भी बहुत योगदान था। आजाद हिंद फौज के 40 हजार सैनिकों का बलिदान हुआ, उनके नाम भी हमें नहीं पता हैं। अंग्रेज भारत से इसलिए गए क्योंकि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में 30 लाख प्रशिक्षित सैनिक भारत में घूम रहे थे।
 
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भारत जिज्ञासुओं की भूमि : नितिन चंदसोरिया
 
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे नितिन चंदसोरिया ने कहा कि गरीबी इसलिए निर्मित होती है क्योंकि संसाधनों का संतुलित ढंग से उपयोग नहीं किया जाता है। हमें चीजों का भंडारण नहीं करना चाहिए। हमें अपने उपभोग को अपनी आवश्यकतानुसार ही करना चाहिए। यदि हम ऐसा कर पाए तो अप्रत्यक्ष रूप से देश की प्रगति में योगदान दे सकेंगे। आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, जो जल्द ही दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगी। उन्होंने कहा कि भारत जिज्ञासुओं की भूमि है। हमारा दर्शन प्रश्नोत्तरी पर आधारित है। देवी पार्वती प्रश्न पूछती जाती हैं और भगवान शिव उनके उत्तर देते जाते हैं। इसे ही अनेक उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि हमारे यहां जीवनशैली की परिकल्पना में मोक्ष को उद्देश्य माना गया है। हमारे सभी कार्य मोक्ष को प्राप्त करने की दिशा में होते थे। उन्होंने कहा कि हमें अनासक्ति भाव के साथ अपना कार्य करना चाहिए। यदि आसक्ति के साथ काम करते हैं तो उसके परिणाम की चिंता हमारी कार्य क्षमता पर प्रतिकूल असल डालती है। उन्होंने कहा कि हम अपने आसपास के वातावरण के प्रभाव के अनुरूप काम करते हैं यानी एक तरह से हमारा जीवन प्रोग्राम्ड हो जाता है। प्रोग्राम्ड होने से हमारी कार्य क्षमता सीमित हो जाती है।
 
व्याख्यानमाला की प्रस्तावना एवं न्यास का परिचय उपाध्यक्ष राधेश्याम मालवीय ने कराया। कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. अंशुल राय ने किया।
 
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पुस्तक का विमोचन :
 
इस अवसर पर लेखक, पत्रकार एवं मीडिया शिक्षक लोकेंद्र सिंह की पुस्तक ‘राष्ट्रध्वज और आरएसएस’ का विमोचन भी किया गया। लेखक ने पुस्तक में राष्ट्रध्वज तिरंगा, सांस्कृतिक ध्वज भगवा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अंतर्संबंधों का विश्लेषण किया है। राष्ट्रध्वज और आरएसएस के संदर्भ में कई नए तथ्य यह पुस्तक हमारे सामने लेकर आती है। इसके साथ ही संघ के संदर्भ में चलनेवाले झूठे विमर्श को भी खंडित करती है। यह पुस्तक हमें बताती है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने कब और किन परिस्थितियों में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के सम्मान में अपने प्राणों तक की आहुति दी है। इसके साथ ही पुस्तक राष्ट्रध्वज के निर्माण की कहानी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य भी हमारे सामने लेकर आती है। पुस्तक ‘राष्ट्रध्वज और आरएसएस’ का प्रकाशन अर्चना प्रकाशन, भोपाल ने किया है।
  
आज ‘सेवा परमो धर्म:’ पर भैय्याजी का वक्तव्य :
 
व्याख्यानमाला में तीसरे दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री सुरेश जी जोशी ‘भैय्याजी’ का वक्तव्य ‘सेवा परमो धर्म:’ पर रहेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आइसर), भोपाल के निदेशक प्रो. गोवर्धन दास करेंगे।