3 नवम्बर 1917 सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अन्नपूर्णा महाराणा का जन्म

चौदह वर्ष की आयु में माता पिता के बंदी : स्वतंत्रता के बाद आपातकाल में भी बंदी

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    03-Nov-2023
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annapurna devi
 
रमेश शर्मा- 
भारतीय स्वाधीनता के लिये अंग्रेजी काल में संघर्ष करने वाले कुछ ऐसे सेनानी भी हैं जिनका पूरा जीवन संघर्ष में बीता। अंग्रेजी काल में तो जेल यात्रा की ही । स्वतंत्रता के बाद भी जेल से पीछा न छूटा। अन्नपूर्णा महाराणा ऐसी ही विभूति थीं जो स्वतंत्रता के बाद 1975 केआपातकाल में भी जेल बनाईं गईं।
 
वे मूल उड़ीसा प्राँत की रहने वाली थीं। उनकी माता रमा देवी और पिता गोपाबंधु चौधरी भी सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। पिता जज की नौकरी छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम में सम्मलित हुये थे।
 
गाँधी जी के आव्हान पर 1931 में नमक सत्याग्रह आरंभ हुआ। पिता गोपाबंधु और माता रमादेवी इस आँदोलन में हिस्सा लिया। अन्नपूर्णा की आयु तब चौदह वर्ष ही थी। वे माता पिता के साथ आँदोलन में सहभागी बनीं और बंदी बनाई गई। उम्र कम होने के कारण चेतावनी देकर छोड़ दीं गईं। फिर उनका संघर्ष कभी न रुका। वे गाँधी जी के संपर्क में आईं और अपना पूरा जीवन राष्ट्रसेवा में समर्पित कर दिया।
 
1934 में उन्होंने गांधीजी के साथ पदयात्रा आरंभ की और पुरी से भद्रक तक 180 किलोमीटर पैदल चलीं। स्वतंत्रता आँदोलन में इतनी लंबी पदयात्रा करने वाली वे अकेली स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थीं। 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन, सविनय अवज्ञा आँदोलन सहित वे आँदोलनों में सहभागी बनीं और गिरफ्तार की गईं।
 
आँदोलनों के बीच ही 1942 में अन्नपूर्णा जी ने सामाजिक कार्यकर्ता शरत चंद महाराणा से विवाह किया । अब उनकी पहचान अन्नपूर्णा दास से अन्नपूर्णा महाराणा हो गई। यह अंतर्जातीय विवाह था। जो समाज में जातीय भेदभाव दूर करने का संदेश देने के लिये उन्होंने स्वयं आगे बढ़कर इस विवाह का प्रस्ताव किया था । शरत चंद महाराणा एक शिक्षाविद् और राष्ट्रसेवी थे। वे समाज में विशेषकर सेवा वर्ग और वनवासी क्षेत्रों में जाग्रति और शिक्षा प्रसार का काम कर रहे थे । स्वतंत्रता आँदोलन के दौरान अन्नपूर्णा जी की माता रमादेवी ने एक समाचार पत्र "ग्राम सेवा" प्रारंभ किया था । अन्नपूर्णा जी ने इसका संपादन संभाला।
 
स्वतंत्रता के बाद भारत विभाजन और तत्कालीन परिस्थियों में लिये गये कुछ राजनैतिक निर्णयों के चलते उनके काँग्रेस से कुछ मतभेद हुये। उन्होंने स्वयं को विभाजन से पीड़ित होकर आ रहे शरणार्थियों की सेवा में लगाया। इन सेवा कार्यों में वे पाकिस्तान की माँग के लिये मुस्लिम लीग के डायरेक्ट एक्शन के बाद लगीं थीं। विभाजन के समय वे नौवाखाली में थीं। स्थिति सामान्य होने पर अन्नपूर्णा जी ने काँग्रेस से त्यागपत्र तो न दिया पर राजनीति से दूरी बना ली और पूरी तरह समाज सेवा में लग गईं। उन्होंने विशेषकर महिलाओं, बच्चों और शोषित वर्ग में जाग्रति के सेवाकार्य आरंभ किये।
 
वे सनातन समाज के एक समरस स्वरूप की पक्षधर थीं, जातिभेद मिटाना चाहतीं थीं पर यह काम संघर्ष से नहीं अपितु समन्वय और सेवा से करना चाहतीं थीं। जैसा गाँधी जी ने सेवा बस्तियों में कार्य आरंभ किये थे । उनपर गाँधी जी के सेवा कार्यों का बहुत प्रभाव था । अन्नपूर्णा जी ने उसी प्रकार काम आरंभ किये। जनजातीय समाज के बच्चों के लिए ओडिशा के रायगढ़ जिले में विद्यालय खोला। 1951 से वे विनोबा भावे द्वारा आरंभ किये गये भूदान आन्दोलन से जुड़ीं और अनेक प्रभावशाली भूस्वामियों से भूमि दान लेकर कृषि श्रमिकों को आवंटित की । बिनोबा जी ने जब चंबल घाटी के सक्रिय डकैतो को मुख्य धारा में लौटने के लिए समर्पण अभियान चलाया तो अन्नपूर्णा जी भी इसमें सहभागी बनीं और लंबे समय तक दस्यु समर्पण आँदोलन से जुड़ीं रहीं।
 
1975 में लगाये गये आपातकाल का उन्होंने विरोध किया और अपने संपादन में प्रकाशित होने वाले "ग्राम सेवा" लेख लिखकर विरोध जताया। इस समाचार पत्र पर छापा पड़ा और समाचार पत्र पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
  
अन्नपूर्णा देवी ने आपातकाल की सख्ती का विरोध किया और कुछ समाजसेवियों की एक टोली बनाकर प्रदर्शन किया वे गिरफ्तार हुईं । उनके साथ कृष्ण चौधरी, हरिकृष्णा महाबत, मनमोहन चौधरी और जयकृष्ण मोहंती भी आपातकाल में बंदी बनाये गये । इन सभी पर मीसा कानून लगाया गया । आपातकाल के बाद उन्होंने स्वयं को विद्यालय तक सीमित कर लिया । समय के साथ उन्हें अनेक बीमारियों ने घेर लिया । उनके जीवन के अंतिम वर्ष बीमारियों में ही बीते । और 31 दिसंबर 2012 को 96 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने जीवन की अंतिम श्वाँस ली । 2 जनवरी 2012 को कटक के खन्नागर विश्राम घाट में उनका अंतिम संस्कार हुआ।
 
उनका पूरा जीवन नागरिक अधिकार, नागरिक स्वतंत्रता और स्वाभिमान जागरण के लिये समर्पित रहा। इसके लिये पहले अंग्रेजी सरकार से और फिर स्वतंत्र भारत की सरकार से भी।