1500 छात्र-छात्राओं ने दी घोष की प्रस्तुति, सुभाष प्रतिमा तक किया संचलन

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा - विद्या भारती के विद्यालयों से बहुत कुछ सीखते और अनुकरण करते हैं

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    23-Jan-2023
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विद्या भारती
 
विद्या भारती मध्यभारत प्रांत के ‘सुघोष दर्शन' कार्यक्रम आयोजित
भोपाल। करीब 7 माह से विद्यालय स्तर पर चल रही अभ्यास और तैयारियों के बाद सरस्वती विद्यालयों के 1500 बच्चों ने घोष वादन की ऐतिहासिक प्रस्तुति दी। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अंतर्गत नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर ओल्ड कैंपियन क्रिकेट मैदान में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर पूरे मध्य भारत प्रांत से आए भैया-बहन विद्यार्थियों ने वंशी, आनक (साइड ड्रम), शंख (बिगुल), प्रणव (बाज ड्रम), पाइपर बैंड आदि वाद्य यंत्रों से एक लय और ताल के साथ विभिन्न प्रस्तुतियां दीं। कार्यक्रम के बाद ओल्ड कैंपियन क्रिकेट मैदान से सुभाष उत्कृष्ट विद्यालय तक घोष दल ने संचलन किया। यहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा को माल्यार्पण कर स्वागत प्रणाम का वादन किया।
 
कार्यक्रम प्रातः 11:00 बजे प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, विशिष्ट अतिथि विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री गोविंदचंद्र महंत एवं मेजर जनरल सेवानिवृत्त टीपीएस रावत, विद्या भारती मध्य भारत प्रांत के प्रांतीय अध्यक्ष श्री बनवारी लाल जी सक्सेना ने ध्वजारोहण एवं नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। ध्वजारोहण के समय वंशी की धुन पर राष्ट्रगान का वादन किया गया। इसके बाद 125 विद्यार्थी भैया बहनों ने सामूहिक रूप से पाइपर बैंड बड़ी आकर्षक प्रस्तुति दी। विद्या भारती के घोष दल में पहली बार पाइपर बैंड को शामिल किया गया है।
 
इसके बाद प्रारंभ हुआ घोष वादकों की सामूहिक प्रस्तुतियों का क्रम। इस क्रम में स्वर साधना घोष वंशी दल ने आरोह और अवरोह की प्रस्तुति दी। भारतीय सेना के लड़ाकू विमान तेजस को समर्पित व्यूह रचना तेजस का प्रदर्शन घोष दल द्वारा किया गया। भारतीय संस्कृति में शुभता के प्रतीक स्वस्तिक‌ चिन्ह कि 14 आकृतियों का निर्माण वंशी, आनक दल ने तिलंग रचना बजाकर किया। इसके अगले क्रम में विद्यार्थियों ने ॐ कि 14 विशाल आकृतियों का निर्माण किया। इस पर दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सराहना की।
 
घोष वादन करते हुए विद्यार्थी सामूहिक रूप से एक के बाद एक सुंदर रचना का निर्माण कर रहे थे। स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव में राष्ट्र की ज्ञात एवं अनाम स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित प्रस्तुति भी दी गई। इसके लिए आनक और वंशी की धुन पर 14 विशाल रचनाएं 75 की आकार की बनाई गईं। इसके बाद ‘विद्या भारती सुघोष 2023’ की रचना का निर्माण किया। घोष दलों द्वारा किया गया संपूर्ण कार्यक्रम अद्भुत, अनूठा, ऐतिहासिक रहा। इस अवसर पर कार्यक्रम स्थल पर दर्शक रहे गणमान्य नागरिक, सरस्वती शिशु मंदिरों के विद्यार्थी भैया बहन, अन्य शासकीय एवं अशासकीय विद्यालयों के विद्यार्थी, मातृशक्ति, अभिभावक एवं नागरिक इस आयोजन के साक्षी बने। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों का स्वागत विद्या भारती के प्रांतीय सचिव श्री शिरोमणि दुबे एवं प्रांत प्रमुख डॉ राम भावसार ने तुलसी का पौधा एवं प्रतीक चिन्ह भेंट किया।
 
कार्यक्रम की भूमिका विद्या भारती मध्य भारत प्रांत के सह प्रांत प्रमुख श्री चंद्रहंस पाठक ने रखी। उन्होंने बताया कि जून 2022 में इस आयोजन की योजना बनी थी। आज हुआ यह कार्यक्रम विगत 7 माह के विद्यार्थियों के कड़े परिश्रम एवं लगन का सुंदर परिणाम है। उन्होंने कहा कि 1952 से शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रही विद्या भारती बालक के सर्वांगीण विकास के लिए पांच आधारभूत विषयों में शिक्षा प्रदान करती है। शारीरिक शिक्षा में घोष एक महत्वपूर्ण अंग है। विद्या भारती में घोष हमारी विशेषता है। घोष वादकों की गुणात्मक विकास हेतु प्रदर्शन की योजना बनाई गई थी इसके अंतर्गत आनंक की 10 और वंशी की पांच रचनाएं तय की गईं।
 
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में सुघोष दर्शन की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह केवल सुघोष नहीं था, सुदर्शन भी था। ॐ की रचना, स्वस्तिक की रचना, सुघोष दर्शन 2023 की रचना बच्चों ने अद्भुत तरीके से की है। उन्होंने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर उन्हें याद किया। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने कोई चांदी की तस्तरी में रखकर आजादी भेंट नहीं की थी। हजारों क्रांतिकारियों ने अपनी खून की अंतिम बूंद इसके लिए दी थी। कई क्रांतिकारी ऐसे भी थे जिन्होंने अंडमान और निकोबार के जेलों में कोल्हू और चक्की पीसते हुए अपनी जिन्दगी पूरी गुजार दी थी। उन्होंने कहा कि आज तकलीफ होती है कि आजादी के बाद लम्बे कालखंड तक ऐसे शहीदों के स्मरण नहीं किया गया।
 
उन्होंने कहा कि शिक्षा के तीन उद्देश्य होते हैं- ज्ञान, कौशल एवं नागरिकता के संस्कार देना। विद्याभारती अपने प्रारंभ काल से ही इन तीनों उद्देश्यों को पूरा करने का कार्य कर रही है। इतिहास, विज्ञान, भाषा, भूगोल, इत्यादि का सही ज्ञान देने का कार्य कर रही है। विद्याभारती विद्यार्थियों के अन्दर कि प्रतिभा का प्रकटीकरण कौशल के रूप में हो करने हेतु प्रतिबद्ध है। सरस्वती शिशु मंदिर से निकले हमारे बेटे-बेटियाँ चरित्रवान, ईमानदार, देशभक्त, कर्मठ होते हैं। विद्याभारती ऐसे विद्यार्थी तैयार कर रही है जो केवल देश ही नहीं दुनिया के लिए भी उपयोगी होंगे।‌
 
उन्होंने कहा कि ज्ञान का सही प्रकटीकरण अपनी भाषा में होता है इसलिए मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त कराना आवश्यक है, जो कार्य विद्याभारती भलीभांति कर रही है। विद्याभारती विद्यार्थियों को देने का कार्य करती है। उन्होंने कहा कि अब मध्यप्रदेश में इंजीनियरिंग और मेडिकल की शिक्षा हिंदी में दी जायेगी। उन्होने कहा कि ऐसे लोग जो महापुरुषों का अपमान करते हैं वो सहन नहीं किये जायेंगे. भारत की संस्कृति, जीवन दर्शन, महापुरुष, आध्यात्म-धर्म इत्यादि की आलोचना करने वालों को मूढ़ बताया। वह बोले कि राम के बिना इस देश की पहचान नहीं की जा सकती। राम हमारे रोम-रोम में बसे हैं। उन्होंने रामायण, महाभारत, वेद उपनिषद, श्रीमद्भगवत गीता आदि अमूल्य ग्रंथों को मनुष्य को नैतिक और पूर्ण बनाने की क्षमता रखने वाला बताया और कहा कि इन्हें पाठ्यक्रम के साथ जोड़ना चाहिए।
 
विशिष्ट अतिथि गोविंद चंद्र महंत ने कहा कि अलग-अलग रचनाओं और वादियों के साथ विद्यार्थियों ने सुंदर प्रदर्शन किया। वही कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मेजर जनरल सेवानिवृत्त टीपीएस रावत ने कहा कि एक साथ इतनी बड़ी संख्या में मिलकर वाद्य यंत्रों से धुन निकालना कठिन होता है। विद्या भारती के विद्यार्थियों ने यह अनूठा प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि हम स्वतंत्र भारत में सांस ले पा रहे हैं यह नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज की वजह से ही संभव हुआ है। अनुशासन से ही देश सुरक्षित है। पूरे विश्व में पूरे विश्व में कोई नहीं रोक सकता उन्होंने विद्यार्थियों से कहा हमेशा मेहनत करो, दूसरों की भलाई करो।
 
कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर नीलाभ तिवारी ने किया आभार कार्यक्रम के संयोजक ज्ञान सिंह कौरव ने माना। व्यक्तिगत गीत श्री मधुर शर्मा ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में विद्या भारती की अखिल भारतीय, क्षेत्रीय एवं प्रांतीय पदाधिकारी, विभिन्न संगठनों के प्रमुख विशेष रूप से उपस्थित थे।
 
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