विजयादशमी उत्सव में पर्वतारोही पद्मश्री संतोष यादव जी होंगी प्रमुख अतिथि

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    17-Sep-2022
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का वार्षिक विजयादशमी उत्सव 5 अक्तूबर, 2022 को नागपुर में सम्पन्न होगा. उत्सव में प्रमुख अतिथि सुप्रसिद्ध पर्वतारोही पद्मश्री संतोष यादव जी होंगी और सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत का उद्बोधन होगा. पदमश्री संतोष यादव अपने जीवन में दो बार माउंट एवरेस्ट पर जीत पाकर विश्व कीर्तिमान स्थापित कर चुकी हैं. उनकी इसी उपलब्धि के लिए भारत सरकार की ओर से वर्ष 2000 में उन्हें ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया था.
 
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पारंपरिक तौर पर विजयादशमी उत्सव में समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान करने वाले प्रबुद्ध लोगों को आमंत्रित करता है.
 
पिछले कुछ वर्षों में विजयादशमी उत्सव में नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी (2018), एचसीएल के सीईओ शिव नाडार (2019), संघ शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष के समापन समारोह में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी सहित अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तित्व हिस्सा ले चुके हैं.
 
संतोष यादव का जन्म 10 अक्तूबर 1967 को रेवाड़ी जिले के जोनियावास गाँव में हुआ था, उन्होंने जयपुर के महारानी कॉलेज से 1987 में इकॉनोमिक्स (Honors) में स्नातक की डिग्री प्राप्त की. इसी दौरान उन्हें पहाड़ों पर चढ़ने का जनून सवार हो गया. अपने इस जूनून को हकीकत में बदलने के लिए उन्होंने उत्तरकाशी स्थित Nehru Institute of Mountaineering (NIM) से पहाड़ों पर चढ़ने का प्राथमिक कोर्स किया.
 
वे 1989 में नौ देशों के International Climbing Camp-cum-Expedition का हिस्सा बनीं. 31 सदस्यों वाले इस दल में अकेली महिला थीं.
 
माउंट एवरेस्ट – संतोष यादव एवरेस्ट पर्वत पर दो बार चढ़ने वाली विश्व की प्रथम महिला हैं. सबसे पहले उन्होंने 1993 में एवरेस्ट पर चढ़ाई कर विजय हासिल की और फिर 1994 में पुन: पर्वतारोहण किया और एवरेस्ट पर चढ़ाई करने में सफलता प्राप्त की. इसके अलावा वे कांगसुंग (तिब्बत की तरफ से एक खतरनाक रास्ता)) की तरफ से माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ने वाली विश्व की पहली महिला भी हैं.
 
कंचनजंघा – नवम्बर 1990 में संतोष यादव ITBP (गृह मंत्रालय) से जुड़ीं. अगले ही साल भारत-जापान कंचनजंघा अभियान में उनका चयन हुआ. वे इस दुर्गम पहाड़ पर 24,950 फीट की उंचाई तक पहुँच गयी, लेकिन ख़राब मौसम के कारण आगे नहीं बढ़ सकीं. वर्ष 2009 में एक साक्षात्कार में कहा कि “कंचनजंघा की चढ़ाई के वक़्त मुझे याद है कि बात लगभग तय हो चली थी कि मैं जिंदा नहीं बचूंगी. मैं नेपाल की तरफ लटक गयी थी क्योंकि तूफ़ान ने मुझे पूरे वेग से उड़ा दिया था. मैं पेंडुलम की तरह लटकी हुई थी और उस समय मैंने अपने आप को मजबूती से रस्सी में बांधे रखा. साथ ही मेरे दो साथी जिसमे में एक फुदोर्जे थे, उन्हें भी तूफ़ान उड़ा ले गया था. यह देखकर मुझे थोड़ी घबराहट हुई, लेकिन उस वक़्त मुझे मेरे मानसिक संतुलन ने बचाया.” (कंचनजंघा विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है, और उसकी कुल उंचाई 28,169 फीट है).
 
संतोष यादव ने 1990 में लद्दाख स्थित 25,170 फीट ऊँचे ससेर कांगरी-1 नाम पर्वत पर भी सफल चढ़ाई की है. वे कामेत पर्वत (25,447 फीट) पर भी चढ़ाई का प्रयास कर चुकी हैं, लेकिन जब संतोष यादव पर्वत की चोटी से मात्र 100 फीट नीचे थी तो ख़राब मौसम के चलते अभियान को वहीं समाप्त करना पड़ा. हालाँकि, इस कामेत पर्वत की सहायक चोटी – अबी गमिन (24,131 फीट) पर सफलता हासिल कर चुकी हैं. हिमालय की यह पर्वत श्रृखंला चलोमी जिले में स्थित है.
 
सम्मान–
 
 (1) 30 मार्च, 2000 को उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया.
 
(2) साल 2006 में हरियाणा सरकार ने गुरुग्राम में इनके नाम पर एक सड़क का नाम घोषित किया.
 
(3) 2007 में NCERT द्वारा इनकी जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया.
 

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