संस्कार भारती मय हो गए थे निष्काम कर्मयोगी बाबा योगेन्द्र जी

संस्कार भारती के संस्थापक सदस्य, कला ऋषि, पद्मश्री बाबा योगेन्द्र जी को दी भावपूर्ण श्रद्धांजलि

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    25-Jun-2022
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baba yogendra ji
 
ग्वालियर। अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती और इसके संस्थापक सदस्य कला ऋषि, पद्मश्री बाबा योगेन्द्र जी एक-दूसरे के पर्याय थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं निष्काम कर्मयोगी बाबा योगेन्द्र जी आखिरी सांस तक समग्र भारतीय कलाओं के संवर्धन एवं प्रोत्साहन के लिए राष्ट्र के कलाकारों को एक सूत्र में पिरोने और संस्कार भारती के लिए जिए।
 
उन्होंने एक दीपक की तरह जीवन जिया जो जला भी और उसने दूर-दूर तक प्रकाश भी फैलाया। बाबा योगेन्द्र के व्यक्तिव और कृतित्व से प्रेरणा लेकर उनके बताए मार्ग पर चलना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगीयह भावपूर्ण श्रद्धांजलि समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने शुक्रवार को नईसडक़ स्थित राष्ट्रोत्थान न्यास के विवेकानंद सभागार में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में दी।
 
सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने संस्कार भारती के संरक्षक बाबा योगेन्द्र जी की स्मृति में खोते हुए कहा कि बाबा योगेन्द्र जी से उन्हें सदैव पिता तुल्य स्नेह मिला। वह जीवन भर कलाकारों को एक सूत्र में बांधने और संस्कार भारती के लिए समर्पित रहे। वह कला और संस्कार भारती को बढ़ाने में सफल भी रहे। उनका मानना था कि कला सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं है, अपितु यह संस्कृति की वाहक है। ग्वालियर में नववर्ष प्रतिप्रदा के अवसर पर होने वाले कार्यक्रम की प्रस्तुति पर वह हमेशा खुशी जताते थे।
 
राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के कुलपति श्री साहित्य कुमार नाहर ने कहा कि बाबा योगेन्द्र जी हमेशा कला साधकों के संरक्षण के लिए प्रयासरत रहे। वह आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके आत्मबल और निराकर शक्ति का जरूर साथ मिलता रहेगा। हम सभी उनके बताए मार्ग पर चलें यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
 
समाज ही उनका परिवार था
 
मध्य भारत शिक्षा समिति एवं राष्ट्रोत्थान न्यास के अध्यक्ष प्रो.राजेन्द्र बांदिल ने कहा कि बाबा योगेन्द्र का समाज का हर व्यक्ति ही उनका परिवार था। उनका व्यक्तिव चुंबकीय था। उनका जीवीन सरल और सादगीपूर्ण था। सबसे आत्मीयता से मिलते थे। वह अपने ध्येय के लिए आगे बढ़ते रहे। उन्होंने अपने जीवन काल में कभी भी मुडक़र नहीं देखा। न यू टर्न लिया।
 
अद्भुत थी स्मरण शक्ति
 
स्वदेश समाचार पत्र के समूह संपादक अतुल तारे ने कहा कि बाबा योगेन्द्र जी के अवसान से कला जगत में एक शून्य पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि वह कला के साथ स्मरण शक्ति के भी धनी थे। जो एक बार उनसे मिल लेता था,उसको वह नाम लेकर बुलाते थे। श्री तारे ने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि बाबा योगेन्द्र जी अस्वस्थ थे फिर भी मुलाकात के दौरान उन्होंने स्वदेश के विस्तार और ग्वालियर के लोगों के नाम लेकर उनके हालचाल पूछे।
 
बस हम शतायु हों
 
श्रद्धांजलि सभा का संचालन कर रहे वरिष्ठ रंगकर्मी अशोक आनंद ने बताया कि पद्मश्री मिलने के बाद ग्वालियर प्रवास के दौरान जब वह रेलवे स्टेशन पर उन्हें लेने गए तो उन्हें बधाई देते हुए कहा कि बाबा आप शतायु हों, तो उन्होंने कहा कि बस शतायु तो हमने झिझकते हुए कहा कि नहीं बाबा आपका तो हमें हमेशा साथ मिलता रहे। नीलम गुप्ता ने बाबा योगेन्द्र जी सादगी की प्रतिमूर्ति थे। वह घर पर रुकने के दौरान मना करने के बाद भी वह अपने कपड़े खुद धोते थे।
 
श्रद्धांजलि सभा में राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विवि के कुल सचिव दिनेश पाठक, आईटीटीएम के प्रोफेसर डॉ.आलोक शर्मा, संस्कार भारती के कार्यकारी अध्यक्ष दिनेश मिश्रा, मनोज दीक्षित ने भी बाबा योगेन्द्र के बारे में संस्मरण सुनाए। पांडुरंग तैलंग ने जीवन बन तू दीप समान एक भाव पूर्ण गीत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक जी,मध्य भारत प्रांत के प्रांत कार्यवाह यशवंत इंदापुरकर जी अतुल अधौलिया, अनीता करकरे , डॉ संजय धवले, श्री मनीष दीक्षित, डॉक्टर नीता पहाड़िया, आदि उपस्थित थे।
 
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