लक्ष्मण रामचरित का मेरूदण्ड - डॉ. गोस्वामी

गीत नाटिका - अहिल्या उद्घार ने किया अभिभूत

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    16-May-2022
Total Views |

shriram katha  
लक्ष्मण रामचरित का मेरूदण्ड - डॉ. गोस्वामी
गीत नाटिका - अहिल्या उद्घार ने किया अभिभूत
मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग की मध्यप्रदेश संस्कृति  परिषद जनजातीय लोककला एवं बोली विकास अकादमी की इकाई तुलसी शोध संस्थान, चित्रकूट द्वारा दिनांक 15 मई 2022 को तुलसी भवन, नयागॉव के सभागार में मासिक श्रृंखला के अंतर्गत व्याख्यान एवं भक्ति केन्द्रित सांस्कृतिक संध्या का आयोजन सम्पन्न हुआ।
आयोजन में मुख्य वक्ता के रूप में भोपाल के राष्ट्रपति पुरस्कृत डा.रघुवीर प्रसाद गोस्वामी ने श्री लक्ष्मण चरित्र को आधार बनाकर कहा कि श्री राम कथा में लक्ष्मण जी की भूमिका महत्वपूर्ण है। लक्ष्मण का चरित्र श्रीराम  के चरित को उत्कृष्टता के सोपान के रूप में देखना चाहिए। यह सम्पूर्ण रामकथा का मेरुदण्ड है । चित्रकूट में सीता तथा लक्ष्मण सहित श्रीराम का आगमन एक संयोग ही नहीं था, यह ब्रह्म की पूर्व योजना की लौकिक लीला थी। लोक मर्यादा, लोकरक्षण के साथ साथ धर्मोत्थान ही श्रीराम के अवतार का मुख्य कारण था, जिसमें श्री लक्ष्मण ने प्रत्येक कार्य में श्रीराम का सहयोग किया। लक्ष्मण समाज में निःस्वार्थ भाव से सद्कार्य में सहयोगी व्यक्तित्व के प्रतीक हैं। इस हेतु यदि व्यक्ति को अपना सर्वस्व न्यौछावर भी करना पड़े तो कर देना चाहिए। समाज सर्वोपरि है न कि व्यक्ति। आज समाज और देशहित में लक्ष्मण जैसे परम सहयोगी-सेवाभावी व्यक्तित्व की ही आवश्यकता महसूस की जा रही है।
 
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. अवधेशप्रसाद पाण्डेय, रीवा ने की। जबकि मुख्य अतिथि के रूप में श्री रामानन्द सिंह अघीक्षण यंत्री के साथ विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री अभय महाजन दीनदयाल शोध संस्थान सहित संतसमाज एवं सुधी जन उपस्थित रहे। तुलसी संस्थान की ओर से श्री दीपक कुमार गुप्ता, कार्यक्रम अधिकारी ने अतिथियों का सम्मान किया और कुशल संचालन श्री कमलेश थापक ने किया।
कार्यक्रम के द्वितीय सोपान के रूप में ''गीत नाटिका - पतित पावन राम'' आयोजित किया गया, जिसमें नूतनकला निकेतन, बालाघाट के कलाकारों द्वारा रामचरित मानस के दो प्रमुख चरितों अहिल्या उद्घार एवं लक्ष्मण रेखा पर केन्द्रित भावपूर्ण प्रस्तुति दी गई। जो स्व. श्री मोहन सिंह परिहार एवं स्व. श्री रमेश बेल के संयुक्त प्रयास से निर्मित की गई थीं।
इसमें कलादल द्वारा लोक नाट्य, पारंपरिक नाट्य एवं आल्हा का प्रयोग करते हुए राम जन्म से लेकर सीता हरण तक के कथानकों का समावेश किया गया। विश्वामित्र मुनि का दशरथ से आग्रह राम-लक्ष्मण को यज्ञ रक्षा के लिये अपने साथ ले जाना। ताड़का सुबाहु वध फिर अहिल्या उद्धार की कथा, इन्द्र द्वारा अहिल्या को पतित करने के पश्चात् गौतम ऋषि द्वारा अहिल्या को श्राप देकर पत्थर बनाना, राम चरण रज से अहिल्या का उद्धार सीता स्वयंवर में भाग लेकर सीता से विवाह, राजतिलक की तैयारी, कैकई का कोप राम वन गमन, पंचवटी से सीता हरण तक की कथा गीत नाटिका के रूप में प्रस्तुत हुई। नाटिका निर्देशन - अशोक सागर मिश्र तथा मूल स्वर स्व. श्री रमेश बेल एवं स्व. श्रीमती वीणा रामेकर का रहा। इसका संयोजन नूतन कला निकेतन बालाघाट के अध्यक्ष श्री रूपकुमार बनवाले ने किया।