समग्र समाज को जाग्रत कर देश को बनाएं सशक्त- श्री दीपक विस्पुते जी

समाज के निर्माण में स्वयंसेवक अपनी भूमिका करें तय

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    04-Apr-2022
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मनाया वर्ष प्रतिपदा उत्सव
 
ग्वालियर। समाज के निर्माण में हर स्वयंसेवक अपनी भूमिका तय करें। संघ के शताब्दी वर्ष के निमित्त स्वयंसेवक 2 वर्ष के लिए विस्तारक के रूप में समाज के सर्वांगीण विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करें। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ.केशव बलिराम हेडगेवार जी का आज के दिन ही जन्म हुआ था। उनका लक्ष्य समग्र समाज को जगाने का था। इसलिए स्वयंसेवक समाज में समन्वय और उत्थान की संकल्पना के साथ देश को सशक्त बनाएं।
 
यह आह्वान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक दीपक विस्पुते जी ने शनिवार को शिवपुरी लिंक रोड स्थित सरस्वती शिशु मंदिर केदारपुर में आयोजित वर्ष प्रतिपदा उत्सव के दौरान किया। इस अवसर पर प्रांत संघ चालक अशोक पांडे जी एवं ग्वालियर विभाग संघचालक विजय गुप्ता मंचासीन थे। सबसे पहले स्वयंसेवकों ने आद्य सरसंघचालक डॉ.हेडगेवार जी को प्रणाम किया। ध्वज प्रणाम के बाद श्री विसपुते जी ने महानगर के विभिन्न क्षेत्रों से आए गणवेशधारी स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए उन्होंने रामसेतु निर्माण के दौरान गिलहरी के योगदान का उद्धरण देते हुए कहा कि स्वयंसेवक को भी अपनी पूर्ण क्षमता के साथ संपूर्ण समाज के उत्थान के लिए प्राणप्रण से जुट जाना चाहिए।
 
मध्य क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक श्री विस्पुते ने कहा कि संघ में बोलने का काम बिल्कुल नहीं है। संघ में काम बोलता है। यही नहीं संघ में व्यक्ति पूजा भी नहीं होती है। उन्होंने कहा कि सारा समाज अपना है। हम राष्ट्र के अंग भूत हैं। यानी सारा राष्ट्र अपना परिवार है। इसी बात को ध्यान में रखकर राष्ट्र को परमवैभव की तरफ ले जाएं।
 
संगठन, शक्ति संचय और समन्वय से बढ़ेगा भारत:- श्री विस्पुते जी ने कहा कि कई महापुरुषों ने देश में राष्ट्रभक्ति की भावना पैदा की है। आधुनिक काल में स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि संगठन, शक्ति का संचय और समन्वय से ही भारत आगे बढ़ सकता है। एक नौजवान के प्रश्र के उत्तर में स्वामी जी ने कहा था कि आने वाले 50 वर्षों के लिए अपने सारे देवी देवताओंं को लपेटकर अलग रख दिए जाएं और केवल और केवल भारत माता की आराधना के लिए संकल्पित हो जाएं।
 
हम सब एक हो जाएं तो दुनिया की कोई ताकत नहीं हरा सकती:-
 
श्री विस्पुते जी ने कहा कि पूज्य बाबा साहब अंबेडकर ने संविधान सभा में संविधान को समर्पित करते हुए कहा था हमें विदेशी आक्रांताओं ने अपनी शक्ति से हमें परास्त नहीं किया था, बल्कि अपने झगड़े, संकीर्णता का भाव, परस्पर विद्वेष से हारे। अपने ही लोगों द्वारा आक्रांताओं की मदद के कारण हारे। हम सब एकजुट हो जाएं तो दुनिया की कोई ताकत हमें डिगा और हरा नहीं सकती। बाबा साहब ने कहा था कि स्वतंत्रता, समता और बंधुता से ही हम आगे बढ़ सकते हैं। ये तीन तत्व हमने तथागत के जीवन से लिए हैं। उन्होंने कहा था कि सारे भेदभाव मिटाकर अगर हम एक देश के नागरिक होने के नाते जीवन जिया तो हम आगे की तरफ बढ़ेंगे अन्यथा ये संविधान भी हमारी रक्षा नहीं कर सकेगा।
 
उत्सव मनोरंजन नहीं, इसके पीछे का भाव समझें
 
उन्होंने कहा कि हमारा देश उत्सवों का देश है। हिमाद्रि पंडित ने अपनी पुस्तक व्रत चिंतामणि में 2 हजार से अधिक तीज, त्योहर का वर्णन किया है। संघ ने इनमें से 6 उत्सवों का चयन किया है। ये उत्सव संघ की कार्य पद्धति का अभिन्न अंग हैं। उत्सवों के बारे में हम विचार करते हैं तो हमारे प्रत्येक उत्सव के पीछे कुछ न कुछ कारण है। संस्कार के भाव हैं। उत्सव अर्थात हर्षोल्लास नहीं मनाना है। यह मनोरंजन भी नहीं है। इन उत्सवों के पीछे विचार सार है। इन्हें अपने जीवन में उतारने का प्रयत्न करना चाहिए।
 

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