राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारक एवं श्री नर्मदा भक्त मण्डल के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र बाबा जी होलकर का गुरुवार को देहावसान हो गया. उनका सम्पूर्ण जीवन माँ नर्मदा को स्वच्छ बनाने एवं उनके संरक्षण करने हेतु समर्पित रहा. इसके लिए उनके द्वारा नर्मदा शुद्धिकरण एवं सहायक नदियों का संरक्षण पर्यावरण संवर्धन जन जागरण यात्रा निकालीं. जिसके माध्यम से वे लोगों को नर्मदा शुद्धिकरण हेतु जागरूक करने के साथ नर्मदा के धार्मिक महत्त्व से भी परिचित करवाते थे. उनके द्वारा किये गए अनेक कार्य आज भी नर्मदा नदी की दशा को परिवर्तित करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं. उन्होंने वर्ष 2009 में मां नर्मदा भक्त मंडल की स्थापना थी।
10 दिसंबर १९७२ को जन्में श्री उपेंद्र बाबा जी होलकर ने 20 वर्ष की आयु में अपने घर का त्याग करके अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया. वर्ष 2007 में हुई एक दुर्घटना में पैर निकल जाने के बाद भी उन्होंने संकल्पित होकर नर्मदा यात्रा कर जनसामान्य को नर्मदा शुद्धिकरण के प्रति जागरूक किया।
उन्होंने 12 बार के आसपास माँ नर्मदा की यात्रायें कीं. इस बीच अलीराजपुर, धार, नर्मदा पुरम, नरसिंहपुर, बड़वानी आदि जिलों के नर्मदा तटों पर पौधारोपण किया. माँ नर्मदा के लिए चलायी जनजागरण यात्रा के दौरान उपेंद्र बाबा जी होलकर ने 20 से अधिक जिलों में समितियां गठित कर के लगभग 900 सौ के ग्रामों में पहुंचकर लाखों की संख्या में छात्रों को नर्मदा बचाओ की शपथ दिलाई।
जिलों में गठित समितिओं के माध्यम से साल भर नर्मदा संरक्षण के लिए कार्य किये जाते थे. जिसमें जुलाई-अगस्त माह में कावड़ यात्रा निकालकर यात्रा के बीच में पड़ने वाले शिव मंदिर से पौधे ले जाकर नर्मदा किनारे उन्हें रोपित किया जाता था. जिनके उन्हें वृक्ष होने तक उनकी देखभाल के लिए कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी जाती थी. इसके साथ ही किसानों को जैविक खेती का बढ़ावा देने के लिए किसानों व प्रबुद्ध जनों की बैठक आयोजित करते हैं।
स्वर्गीय उपेंद्र बाबा जी होलकर द्वारा प्रत्येक वर्ष लाखों मछलियों के डालते थे बीच ताकि नदी का पानी स्वच्छ बना रहे. उनके द्वारा नर्मदा में कचरा न फेंकने और गंदा पानी न मिलाने के लिए कानून बनाने की मांग लगातार की गयी. उनका कहना था कि जल जीवन एवं नदियों के प्राण हैं प्राणों की रक्षा करना हमारा दायित्व है आइए मां नर्मदा को पुनः प्रवाह मान करने हेतु इस अभियान में जुड़ कर इसके किनारे पौधे लगाएं।
माँ नर्मदा को स्वच्छ रखने के लिए उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया. उसी की सेवा करते करते 24 फरवरी २०२२ उनका देहावसान हो गया।