विश्व की पहली वैदिक घडी स्थापित होगी उज्जैन में

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    15-Feb-2022
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वैदिक घडी
 
वैदिक घडी  
 
महाकाल की नगरी उज्जैन में विश्व की पहली वैदिक घड़ी लगने जा रही है, यह भारत के और उज्जैन के प्राचीन गौरव को फिर से स्थापित होने जा रही है। आगामी 2 अप्रैल चैत्र प्रतिपदा पर टावर चौक पर स्थापित की जाएगी. जिसे मोबाइल और टीवी पर भी सेट किया जा सकेगा. घडी को ग्रीन विच टाइम जोन के 24 घंटों को 30 मुहूर्त में विभाजित किया गया है। इसके लिए विक्रमादित्य वैदिक घड़ी मोबाइल एप्प भी जारी किया जाएगा। इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। इसके अलावा विक्रम पंचांग का प्रकाशन भी किया जाएगा।
 
उल्लेखनीय है कि उज्जैन को प्राचीन काल में काल गणना का केंद्र रहा है। महान सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक खगोलविद् वराह मिहिर सहित अन्य विद्वानों के प्राचीन ग्रंथों में उज्जैन से कालगणना का उल्लेख मिलता है। वहीं राजा जयसिंह द्वारा भी यहाँ पर वेधशाला निर्मित कराई गयी थी।
 
देश के प्रसिद्ध पुराविद् पद्मश्री से सम्मानित स्वर्गीय डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर ने भी उज्जैन के पास डोंगला में कर्क रेखा को खोजा था, जहां नई अत्याधुनिक वेधशाला बनाई गई है। इसमें शोध के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं उपलब्ध है। डोंगला वेधशाला अब आईआईटी के साथ मिल कर खगोल विज्ञान पर काम कर रही है।
 
ऐसी रहेगी वैदिक घड़ी
 
समय को पल, घटी में विभाजित किया गया है। हर घडी को खास अर्थों के साथ धार्मिक नाम दिए गए हैं।भारतीय समय गणना से आम लोगों को परिचित कराने तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उज्जैन की कालगणना को फिर से स्थापित करने के उद्देश्य से इस घडी को स्थापित किया जायेगा. उअज्जैन में स्थापित होने के बाद देश भर के अन्य प्रमुख शहरों में भी यह घडी स्थापित करने के लिए योजना तैयार की जायेगी।
 
मुख्यतः वैदिक घड़ी की गणना 30 घटी वाले मुहूर्त वाली इस घडी में ग्रीनविच पद्धति की समय गणना घंटे, मिनट, सेकंड आदि को भी शामिल किया गया है। मुहूर्त और समय से संबंधित ब्रह्म मुहूर्त, राहु काल आदि का पता करने के लिये उपयोग किया जा सकेगा। यह घड़ी मौजूद स्थान के सूर्योदय के आधार पर समय की गणना करेगी। वहीं वैदिक घड़ी इंटरनेट, जीपीएस से जुड़ी होने से हर जगह के लोग इसका उपयोग कर सकते हैं।