मुरैना । क्षेत्र में मौजूद धरोहरें देश की यशोगाथा के किस्सों-कहानियों में अपनी ओर से बढ़िया योगदान देते हैं. तभी तो देश-विदेश से लोग हमारी धन्य भारत भूमि पर बनीं धरोहरों को देखकर उनसे सीखने के लिए आते हैं.
दुनिया भर के लोग हमारी धरोहरों के माध्यम से हमारे गौरवशाली इतिहास से भेंट करते हैं. असली भारत दर्शन के लिए जो भी आते हैं, वह यहाँ पर मौजूद छोटी-छोटी चीजों से वह सीख लेकर जाते हैं.
ऐसे ही देश-दुनिया में भारत की यशोगाथा को पहुँचाने में मुरैना स्तिथ चौसठ योगिनी मंदिर भी अपनी ओर से महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं. माना जाता है कि इन्हीं को देखकर भारत के संसद भवन का निर्माण हुआ हो ऐसा माना जाता है.
बीते दिनों भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) अधिकारी चौसठ योगिनी मंदिर पहुंचे, जहाँ दूर से ही मंदिर को देखकर एएसआई महानिदेशक विद्यावती बोलीं कि हूबहू संसद जैसा दिखता है। मंदिर में सीढ़ियों पर कोई दीवार नहीं होने पर उन्होंने क्षेत्रीय अफसरों को रेलिंग लगवाने के लिए निर्देशित भी किया.
जानकारी के अनुसार एएसआई के अधिकारियों की टीम पास ही स्तिथ बटेश्वरा मंदिर पर जीर्णोद्धार काम के उद्घाटन करने के बाद पहुंचे थे, जिन्होंने इन मंदिरों के साथ क्षेत्र के अन्य ऐतहासिक स्थलों पर भी भ्रमण किया.
मुरैना का चौसठ योगिनी मंदिर-
मुरैना के मितावली नामक गाँव में बना चौसठ योगिनी मंदिर लगभग सौ फीट ऊँची एक अलग पहाड़ी पर स्तिथ एक प्राचीन मंदिर है। इसे एकट्टसो महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जता है। यह मंदिर भारत के उन चौसठ योगिनी मंदिरों में से एक है जो अभी भी अच्छी दशा में बचे हैं।
मंदिर में 101 खंबे और 64 कमरे हैं, जिनमें हर मंदिर के अंदर शिवलिंग बने हुए हैं. परिसर के बीचों-बीच एक बड़ा गोलाकार शिव मंदिर है। मुख्य मंदिर में 101 खंभे कतारबद्ध खड़े हैं, जो संसद भवन के गलियारे की याद दिलाते हैं। इसी आधार पर इसका नाम चौसठ योगिनी पड़ा है। मंदिर के निर्माण में लाल-भूरे बलुआ पत्थरों का उपयोग किया गया है। कमरे मे शिवलिंग के साथ देवी मूर्तियां अब दिल्ली संग्रहालय व ग्वालियर किले के संग्रहालय में सुरक्षित है।
इस मंदिर की सबसे बड़ी बात यह है कि ब्रिटिश वास्तुविद एडविन लुटियंस का बनाया गया भारत का संसद भवन भी इसी चौसठ योगिनी मंदिर के आकृति का है। मंदिर की संरचना इस प्रकार है कि इस पर कई भूकम्प के झटके झेलने के बाद भी यह मंदिर सुरक्षित है । यह भूकंपीय क्षेत्र तीन में है। लुटियंस ने संसद भवन का डिजाइन इस गुर्जर प्रतिहार के मंदिर से चुराया था। एक शिलालेख के अनुसार अनुसार यह मंदिर 9 वीं सदी मे गुर्जर प्रतिहार वंश के 10 वें शासक सम्राट देवपाल गुर्जर ने बनवाया था।