मारकोनी नहीं बसु है 'रेडियो तरंगों' के प्रणेता

29 Nov 2022 16:38:19
Radio tarang
 
जगदीश चंद्र बसु ने सूक्ष्म तरंगों (माइक्रोवेव) के क्षेत्र में वैज्ञानिक कार्य तथा अपवर्तन, विवर्तन और ध्रुवीकरण के विषय में अपने प्रयोग आरंभ कर दिये थे। लघु तरंगदैर्ध्य, रेडियो तरंगों तथा श्वेत एवं पराबैंगनी प्रकाश दोनों के रिसीवर में गेलेना क्रिस्टल का प्रयोग बसु के द्वारा ही विकसित किया गया था।
 
मारकोनी के प्रदर्शन से 2 वर्ष पहले ही 1885 में बसु ने रेडियो तरंगों द्वारा बेतार संचार का प्रदर्शन किया था. इस प्रदर्शन में जगदीश चंद्र बसु ने दूर से एक घण्टी बजाई और बारूद में विस्फोट कराया था। आजकल प्रचलित बहुत सारे माइक्रोवेव उपकरण जैसे वेव गाईड, ध्रुवक, परावैद्युत लैंस, विद्युतचुम्बकीय विकिरण के लिये अर्धचालक संसूचक, इन सभी उपकरणों का उन्नींसवी सदी के अंतिम दशक में बसु ने अविष्कार किया और उपयोग किया था।
 
बसु ने दुनिया के पहले 'हार्न एंटीना' की खोज की जो आज माइक्रोवेव आधारित सभी उपकरणों में इस्तेमाल किया जाता है। आज का रेडियो, टेलीविज़न, रडार, भूतलीय संचार रिमोट सेन्सिंग, माइक्रोवेव ओवन और इंटरनेट इन्हीं तरंगों के कारण चलते हैं. पौधों में वृद्धि की अभिरचना आज आधुनिक विज्ञान के तरीकों से सिद्ध हो गई है।
 
पौधों में वृद्धि और अन्य जैविक क्रियाओं पर समय के प्रभाव का अध्ययन जिसकी बुनियाद बसु ने डाली, आज क्रोनोबायोलॉजी कही जाती है। अलग-अलग परिस्थियों में सेल मेम्ब्रेन पोटेंशियल के बदलाव का विश्लेषण करके वे इस नतीजे पर पहुंचे कि पौधे संवेदनशील होते हैं, वे दर्द महसूस कर सकते हैं।
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