चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर रूप में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकले महाकाल

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    21-Nov-2022
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उज्जैन
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से सोमवार को कार्तिक-अगहन मास की शाही सवारी निकली। भगवान महाकाल ने चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर रूप में सवार होकर नगर भ्रमण किया। करीब सात किलोमीटर लंबे सवारी मार्ग पर तीन घंटे भक्ति का उल्लास छाया रहा। अवंतिकानाथ के जयकारों से धर्मधानी गूंजी। शाही सवारी के दौरान बड़ी संख्‍या में भक्‍त भगवान महाकाल के दर्शन करने के लिए शहर पहुंचे। सुबह भस्‍मारती से लेकर पूरे दिन तक श्रद्धालुओं का सैलाब महाकाल मंदिर में देखा गया।
 
सभा मंडप में भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन किया गया।
 
दोपहर 3.30 बजे मंदिर के सभा मंडप में भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन हुआ। इसके बाद पालकी नगर भ्रमण के लिए निकली। सबसे आगे कर्मचारी राजाधिराज की शाही शान का प्रतीक रजत ध्वज लेकर चल रहे थे। चांदी का यह ध्वज मंदिर का प्रतिनिधि ध्वज कहलाता है। इसके साथ बड़ी संख्या में भजन मंडल, झांझ, डमरू दल भोले की भक्ति में झूमते चल रहे थे।
 
पहली बार कार्तिक-अगहन मास की आखिरी सवारी में श्रावण-भादौ मास की शाही सवारी जैसा उल्लास नजर आया। निर्धारित मार्गों से होकर सवारी शाम पांच बजे शिप्रा तट पहुंची। यहां पुजारियों ने शिप्रा जल से भगवान महाकाल का अभिषेक-पूजन किया। पश्चात सवारी पारंपरिक मार्ग से होते हुए शाम को पुन: मंदिर पहुंचेगी। भगवान महाकाल की अगली सवारी अब 10 जुलाई को श्रावण मास की प्रथम सवारी के रूप में निकलेगी। 
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