22 oct 2022. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल की चार दिवसीय बैठक 16 से 19 अक्टूबर तक प्रयागराज में संपन्न हुई है। इसके संबंध में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्यभारत प्रांत के मान. संघचालक श्री अशोक जी पांडेय ने बताया कि बैठक में जनसंख्या असंतुलन, शताब्दी वर्ष में संघ कार्य विस्तार, देश एवं अपने प्रांत में स्वावलंबी भारत योजना, पर्यावरण कार्य, समरसता, कुटुंब प्रबोधन, संघ के स्वयंसेवकों द्वारा किए जा रहे सेवा कार्यों आदि पर विस्तृत चर्चा हुई। उन्होंने बताया कि संघ अपनी स्थापना के शताब्दी वर्ष में बहुत से आयामों में कार्य को गति प्रदान कर रहा है। कोरोना की विभीषिका के कठिन समय में भी संघ ने अपने कार्यों के आयामों में अभूतपूर्व प्रगति की है।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल की यह बैठक प्रयागराज जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर यमुनापार में गौहनिया स्थित वात्सल्य विद्यालय परिसर में आयोजित हुई। पूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत, माननीय सरकार्यवाह दत्तात्रेय जी होसबाले ने प्रथम दिवस भारत माता के चित्र पर पुष्पार्चन कर बैठक का शुभारम्भ किया था। बुधवार, 19 अक्टूबर को बैठक का समापन हुआ।
मान. सरकार्यवाह दत्तात्रेय जी होसबाले का संदर्भ देते हुए श्री अशोक जी पांडेय ने बताया कि वर्ष 2024 के अंत तक भारत के सभी मंडलों में शाखा पहुंचाने की योजना बनाई गई है। कुछ प्रांतों में यह कार्य चुनिंदा मंडलों में 99 प्रतिशत तक पूरा कर लिया है। चित्तौड़, ब्रज व केरल प्रांत में मंडल स्तर तक शाखाएं खुल गई है। पहले देश में 54382 संघ की शाखाएं थीं, अब वर्तमान में 61045 शाखाएँ लग रही हैं। साप्ताहिक मिलन में भी 4000 और मासिक संघ मंडली में विगत एक वर्ष में 1800 की बढ़ोतरी हुई है।
पूर्वोत्तर राज्यों के जनजातीय समुदाय के लोगों में भी स्वाभिमान जागरण के कारण ‘‘मैं भी हिन्दू हूँ’’ का बोध विकसित हुआ है। स्वाभिमान जागरण के कारण ही पूर्वोत्तर राज्यों के जनजातीय समुदाय के लोग अब संघ से भी जुड़ना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि मेघालय और त्रिपुरा राज्य के जनजाति समुदाय के लोग संघ के सरसंघचालक जी को भी इस बोध के साथ आमंत्रित करने लगे हैं।
उन्होंने बताया कि बैठक में तीसरे दिन कुछ विशेष कार्यक्रमों के वृत्त रखे गये। इनमें पूजनीय सरसंघचालक जी की सितंबर 2022 में हुई मेघालय यात्रा का विषय भी शामिल था। इस यात्रा में मेघालय के खासी, जयंतिया व गारो लोगों द्वारा पूज्य सरसंघचालक जी का भव्य स्वागत किया गया था। पूज्य सरसंघचालक जी ने यात्रा के दौरान वहां सेंग खासी समुदाय के पारंपरिक धार्मिक पूजा स्थल का दर्शन भी किया था।
पूज्य सरसंघचालक जी ने अगस्त 2022 में दिल्ली में “सुयश” कार्यक्रम के तहत विभिन्न सामाजिक कार्य में जुड़े संस्थाओं के कार्यक्रम में भाग लिया था। बैठक में मेघालय यात्रा और सुयश कार्यक्रम को लेकर कार्यकारी मंडल ने विस्तार से चर्चा की।
इसके अतिरिक्त बैठक में संघ से ज्वाइन आरएसएस (ऑनलाइन) माध्यम से जुड़ने के लिए बड़ी संख्या में आ रहे लोगों को संघ कार्य से जोड़ने पर भी विस्तार से चर्चा हुई। बैठक में संघ कार्य विस्तार पर भी चर्चा हुई। ज्ञात हो कि संघ ने 2024 तक सभी मंडलों और एक लाख स्थानों तक कार्य पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।
जनसंख्या असंतुलन पर चिंता जताई
उन्होंने कहा कि देश में जनसंख्या विस्फोट चिंताजनक है। इसलिए इस विषय पर समग्रता से व एकात्मता से विचार करके सब पर लागू होने वाली जनसंख्या नीति बननी चाहिए। मतांतरण होने से हिन्दुओं की संख्या कम हो रही है। देश के कई हिस्सों में मतांतरण की साजिश चल रही है। कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसपैठ भी हो रही है। जनसंख्या असंतुलन के कारण कई देशों में विभाजन की नौबत आई है। भारत का विभाजन भी जनसंख्या असंतुलन के कारण हो चुका है।
2024 तक सभी मंडल शाखा युक्त होंगे
उन्होंने बताया कि वर्ष 2025 में संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस निमित्त संघ कार्य के लिए समय देने के लिए देशभर में तीन हजार युवक शताब्दी विस्तारक के नाते निकले हैं। अभी एक हजार शताब्दी विस्तारक और निकलने हैं।
बैठक में जनसंख्या असंतुलन, महिला सहभागिता, मतांतरण और आर्थिक स्वावलंबन जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई तथा संघ कार्यों को विस्तार प्रदान करने की विस्तृत कार्ययोजना के संबंध में विचार मंथन हुआ।
जनसंख्या असंतुलन से संबंधित एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि विगत 40-50 वर्षों से जनसंख्या नियंत्रण पर जोर देने के कारण प्रत्येक परिवार की औसत जनसंख्या 3.4 से कम होकर 1.9 हो गई है। इसके चलते भारत में एक समय ऐसा आएगा, जब युवाओं की जनसंख्या कम हो जाएगी और वृद्ध लोगों की आबादी अधिक होगी, यह चिंताजनक है।
उन्होंने देश को युवा देश बनाए रखने के लिए जनसंख्या को संतुलित रखने पर ज़ोर दिया। वहीं, मतांतरण और बाहरी घुसपैठ जैसे दुष्चक्र के कारण होने वाली जनसंख्या असंतुलन पर चिंता भी व्यक्त की।
मध्यभारत प्रांत में संघ कार्य
मंडलों में कार्य विस्तार - जिस प्रकार पूरे देश में कार्य बड़ा है उसी प्रकार मध्य भारत प्रांत में भी कार्य विस्तार तेज गति से हो रहा है पूरे प्रांत में संघ रचना के 1814 ग्रामीण मंडल हैं गत 1 वर्ष में 150 नए मंडलों में काम प्रारंभ हुआ है वर्तमान में 820 मंडलों में शाखा और 260 मंडलों में साप्ताहिक मिलन के माध्यम से संघ का दैनंदिन कार्य चल रहा है नगरीय क्षेत्रों को बस्ती रचना में विभाजित किया है कुल 760 बस्तियों में से 550 बस्तियों में शाखा या मिलन के माध्यम से कार्य है शताब्दी वर्ष में अगले 2 वर्षों में सभी मंडल एवं बस्तियां शाखा या साप्ताहिक मिलन युक्त करने का लक्ष्य है।
शाखा एवं मिलन- अपने मध्यभारत प्रांत में 1350 स्थानों तक संघ का कार्य है। 2080 स्थानों पर संघ की शाखाएं लग रही हैं। वहीं 350 समूहों के नियमित साप्ताहिक मिलन आयोजित हो रहे हैं।
शताब्दी विस्तारक – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 100 वर्ष आगामी वर्ष 2025 में पूरे होने जा रहे है। तदनुसार सन 2025 को संघ का शताब्दी वर्ष रहने वाला है, शताब्दी वर्ष में सभी नगरों एवं खंडों में 2 वर्षीय विस्तारक निकालने की योजना बनी है इस वर्ष 102 शताब्दी विस्तारक अपने अपने कार्य क्षेत्र में पहुंच चुके हैं,अगले वर्ष में इसे 200 तक करने का लक्ष्य है।
पर्यावरण गतिविधि – प्रांत में पर्यावरण गतिविधियों और ग्राम विकास के कार्यों को भी गति मिली है।
250 ग्राम समग्र विकास हेतु चिन्हित -समाज जीवन की सभी श्रेणियों मैं भी कार्य प्रारंभ हो इसलिए बड़ी मात्रा में श्रेणी मिलन भी प्रारंभ हुए हैं 60 स्थानों पर कृषकों के साप्ताहिक मिलन प्रारंभ हुए हैं ऐसे ही प्रांत मैं 250 ग्राम को समग्र ग्राम विकास हेतु चिन्हित किया है, इनमें विभिन्न प्रकार के ग्राम विकास के कार्य गांव के लोगों के सहयोग से प्रारंभ हुए हैं।
इसी प्रकार खंड स्तर पे समस्या चिन्हित कर सभी को साथ लेकर उनके समाधान हेतु प्रयत्न प्रारंभ किए है।