यंग थिंकर्स फोरम में आयोजित हुई साप्ताहिक पुस्तक परिचर्चा

नरसंहारों एवं पलायन के बीच की दुनिया की कल्पना

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    17-Jan-2022
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भोपाल। यंग थिंकर्स फोरम के रीडिंग क्लब द्वारा 36 वीं पुस्तक परिचर्चा का आयोजन स्वामी विवेकानंद लाइब्रेरी में किया गया। इस पुस्तक परिचर्चा में दो पुस्तकों पर समीक्षा एवं चर्चा की गई।
 
हर्ष मधुसूदन और राजीव मंत्री द्वारा लिखी गई पुस्तक "अ न्यू आइडिया ऑफ इंडिया" की समीक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय में विधि के छात्र शिवम पांडे ने की। वहीं दूसरी पुस्तक "द डिवाइडिंग लाइन " जीन अर्समायगम की रही जिसकी समीक्षा वीरेंद्र शुक्ल ने की।
 
भारत नेशन स्टेट न हो कर सिविलाइजेशन स्टेट है - शिवम
 
ए न्यू आइडिया ऑफ इंडिया की समीक्षा करते हुए शिवम ने बताया कि यह दो युवा लेखकों, विद्वानों और उद्यमियों की किताब है, जो भारत का एक नया विचार प्रस्तुत करती है।
 
'अ न्यू आइडिया ऑफ़ इण्डिया' में नए भारत की संकल्पना बताई गई है। लेखक द्वारा बताया गया है की किस प्रकार नया भारत रूप ले रहा है तथा कैसे ये पुराने भारत के नेहरूवादी समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता की संकल्पना से भिन्न है। लेखक कहते हैं किअब नए भारत में समाजवाद तथा धर्मनिरपेक्षता को नई तरह से परिभाषित करने और क्रियान्वित करने का समय आ गया है।
 
वर्तमान भारत की राजनीतिक, समाजिक तथा आर्थिक समस्याओं के मूल कारणों पर प्रकाश डालते हुए पुस्तक समस्याओं के निवारण का पथ भी प्रकाशित करती है। पुस्तक में विविध आंकड़ों और उदहारणों के प्रयोग ने विषय को प्रासंगिकता प्रदान की है तथा तुलनात्मक आकलन किया गया है। लेखक बताते हैं कि किस प्रकार नेहरूवियन दृष्टिकोण ने भारत के विकास और सामाजिक समरसता को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। पुस्तक विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वन को असरदार बनाने के लिए नए आईडिया भी देती है।
 
श्रीलंका के गृहयुद्ध के दर्द को उजागर करती पुस्तक - द डिवाइडिंग लाइन
 
वीरेंद्र शुक्ल ने बताया कि श्रीलंका में 35 वर्षों के गृहयुद्ध काल में समाज में कष्ट एवं खेद से भरी बारह लघु कथाएँ "द डिवाइडिंग लाइन" की रचना करती हैं। लेखिका जीन अरसनायगम की तीख़ी एवं विरोध भरी आवाज़ उनकी कहानियां में उत्पीड़ितों का कष्ट बयान करती है। लेखिका अपनी पुस्तक में बहुमत सिंहली जनों से प्रताड़ित भारतीय तमिल लोगों की दुनिया का चित्रण करती है जहाँ उनका शोषण और जातिसंहार हुआ।
 
फिर भी सभी नरसंहारों एवं पलायन के बीच वह एक ऐसी दुनिया की कल्पना करती है जहाँ दर्द, द्वेष और घृणा को कोई जगह नहीं मिलती है, एक ऐसा स्वर्ग जिसमें प्रेम और शांति सर्वोच्च है।
 
परिचर्चा के अंत में समीक्षकों ने दर्शकों की जिज्ञासाओं का भी समाधान किया।