वैश्‍विक नवाचार सूचकांक में तेजी से आगे आता भारत

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    22-Sep-2021
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  -डॉ. मयंक चतुर्वेदी    
 
किसी भी कल्याणकारी राज्य में योजनाएं बनाना और उन्हें लागू करना सरकार का काम है, किंतु उन पर अमल करते हुए उसे सफलता की ओर ले जाना निश्चित ही वहां निवासरत नागरिकों के श्रम, उनकी प्लानिंग और अपने लक्ष्य के लिए सतत उसकी पूर्ति में लगे रहने पर निर्भर करता है। भारत के लिए यह अच्छी खबर है कि वह ''वैश्विक नवाचारों'' में अपनी रैंकिंग निरंतर सुधार रहा है और जो भारत अभी पांच साल पहले तक 81 वें स्थान पर था, वह तेजी से सुधारों पर अमल करते हुए 46वें स्थान पर आ पहुंचा है। हो सकता है कि कुछ लोगों को यह बात भी पसंद ना आए और आलोचना करने वाले इसको लेकर भी सरकार तथा व्यवस्थाओं को कटघरे में खड़ा करें, और कहें कि भारत 46 वें स्थान पर क्यों आया है? वह एक से लेकर टॉप 10 में क्यों अब तक अपनी जगह नहीं बना पाया ? किंतु उनके लिए इतना ही कहा जा सकता है कि वे भारत की जो कुल आबादी पर गौर करें।
जनसंख्या में छोटे और क्षेत्रफल एवं संसाधन में बड़े देशों का अभी स्वाभाविक है भारत से आगे रहना । इसके बाद भी यदि भारत हर क्षेत्र में लगातार सुधार करते हुए आगे बढ़ता दिख रहा है तो यह मान लेना चाहिए कि भारतीयों में निरंतर आगे बढ़ने की ललक पैदा हो गई है। संसाधनों के अभाव में सतत भारतीय जन विकल्‍पों की तलाश कर रहा है, नवाचारों का स्वागत कर रहा है और सहज ही उन्‍हें अपना भी रहा है। वह नितरोज नए प्रतिमान गढ़ रहा है। अब वह रुकने वाला नहीं है।
हम देख रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 2.0 शासनकाल के पहले कार्यकाल में जिन योजनाओं को लागू किया था, उसका तेजी से असर उनके इस दूसरे कार्यकाल में दिख रहा है । वैश्‍विक बाजार में भारतीयों के नए-नए प्रयोगों और कार्य योजना में कहीं अर्थ की कमी बाधा ना बने, इसके लिए प्रधानमंत्री रोजगार योजना, मुद्रा योजना, आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना, से लेकर तमाम सकारात्मक प्रयासों एवं योजनाओं का जिक्र यहां किया जा सकता है । इनके कारण से भारत आर्थिक रूप से सुदृढ़ भी हो रहा है और दुनिया के देश भारत की श्रम शक्ति और मेधा पर विश्वास करते हुए यहां आगे बढ़कर निवेश कर रहे हैं। इसके साथ आज दुनिया के कई देशों में भारतवंशी अपने दिमाग का लोहा मनवाने में भी सफल हो रहे हैं।
विश्‍व बौद्धिक संपदा संगठन की वैश्‍विक नवाचार सूचकांक 2021 रैंकिंग के संदर्भ में विस्तृत बात करें तो एक वर्ष में भारत दो स्थान ऊपर आया है। भारत पिछले कई वर्षों में वैश्‍विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) की रैंकिंग में लगातार सुधार कर रहा है। विशाल ज्ञान पूंजी, जीवंत स्टार्ट-अप ईकोसिस्टम और सार्वजनिक तथा निजी अनुसंधान संगठनों द्वारा किए गए अद्भुत काम के कारण ही इस जीआईआई रैंकिंग में लगातार सुधार हुआ है। देश में परमाणु ऊर्जा विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग और अंतरिक्ष विभाग जैसे वैज्ञानिक विभागों ने राष्ट्रीय नवाचार इकोसिस्टम को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कोविड महामारी के कारण पैदा हुए अभूतपूर्व संकट के खिलाफ हमारी लड़ाई में कुल मिलाकर नवाचार सबसे आगे रहा है, और यह देश को विकास के पथ पर अग्रसर करने और आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है। ऐसे ही अन्य कई क्षेत्र हैं जिनमें कल तक उस क्षेत्र को लेकर देश भर में ना कोई व्यापक इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर था और ना ही उसके लिए कोई दिशा तय थी, किंतु आज कोरोना के महासंकट के बीच हम उनमें पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनने में सफल रहे हैं।
नीति आयोग भी विभिन्न क्षेत्रों, जैसे इलेक्ट्रिक वाहन, जैव प्रौद्योगिकी, नैनो प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत इत्‍यादि में नीति नेतृत्व में नवाचार लाने के लिए राष्ट्रीय प्रयासों में अनुकूलता सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास कर रहा है। वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी आर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूआईपीओ) कह रहा है कि यह रैंकिंग सरकारी एवं निजी शोध संस्थानों द्वारा शानदार काम और बेहतर स्टार्टअप इकोसिस्टम का प्रमाण है। यह इंडेक्स दुनियाभर की सरकारों के लिए अपने यहां सामाजिक एवं आर्थिक बदलावों को समझने का आधार बना है। पिछले कुछ वर्षों में इस इंडेक्स ने सरकारों के लिए पॉलिसी टूल की भूमिका निभाई है और उन्हें मौजूदा स्थिति को प्रदर्शित करने के साथ तेजी से सुधार की दिशा में आगे बढ़ते रहने में मदद प्रदान की है।
आज यह अच्छी बात है कि मोदी सरकार जल्द ही निर्यातकों के लिए चौबीसों घंटे की हेल्पलाइन सेवा शुरू करने जा रही है । यहां पर उनकी शिकायतों का निवारण किया जाएगा। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल भी कह रहे हैं कि कोरोना की शुरुआत में सरकार ने व्यापारियों के लिए 24 घंटे की हेल्पलाइन शुरू की थी, लेकिन हमने महसूस किया है कि निर्यातकों के लिए भी इसी तरह की हेल्पलाइन शुरू किए जाने की जरूरत है। अब वाणिज्य सप्ताह देश के 749 जिलों में आयोजित किए जाने पर मोदी सरकार का जोर है । इसी प्रकार से कैसे राज्‍य सरकारों के प्रयास देश को आगे ले जाने वाले कारगर सिद्ध हो रहे हैं, इसका एक उदाहरण ही यहां समझना पर्याप्‍त होगा । वस्‍तुत: एयरपोर्ट और रेलवे मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट हब जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के चलते उत्तर प्रदेश की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग दूसरे नंबर पर आ गई है। इसी प्रकार के तमाम प्रयोग मध्य प्रदेश, गुजरात, हिमाचल, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, जम्‍मू-कश्मीर सभी राज्यों में चल रहे हैं, जिनके प्रभाव से आज लगातार भारत नवाचार सूचकांक में अपना अच्छा प्रदर्शन कर पा रहा है।
लेखक फिल्‍म सेंसर बोर्ड एडवाइजरी कमेटी के पूर्व सदस्य एवं न्‍यूज एजेंसी ''हिन्‍दुस्‍थान समाचार'' की पत्रकारिता से जुड़े हैं।