प्रकृति की गोद में बैठ कर आनंद लेते गणेश जी

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    10-Sep-2021
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गणेश चतुर्थी एक ऐसा पवित्र और आस्था का अदभुत अलौकिक अनुपम पर्व जो सभी को एक नई शुरुआत के लिए श्री गणेश करने को कहता है। यह पर्व जो भारतवर्ष के साथ सम्पूर्ण विश्व में मनाया जाता हैं।
किन्तु भारतवर्ष में मूलतः महाराष्ट्र में बहुत धूमधाम से मनाया जाता हैं। आज का दिन हिन्दू शास्त्र के अनुसार बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता हैं। हिन्दू पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन रात्रि में चाँद को नही देखा जाता हैं।
ऐसा माना जाता हैं इस दिन चाँद को देखने से कलंक लगता हैं। जो पौराणिक मान्यता के अनुसार हैं। आज के शुभ अवसर पर हम बात कर रहे प्रकृति की गोद में बैठे भगवान श्री गणेश जी की मानो जैसे साक्षात प्रभु ने दर्शन दिए हैं।
मेरी दृष्टि में बस्तर वासियों के लिए प्रभु का इससे बड़ा कोई आशीर्वाद नही हो सकता। हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर के वर्चस्व वाले ढोलकल पहाड़ पर बैठे गणेश जी की जो 1100 वर्ष से वहाँ पर विराजमान हैं।
प्रकृति का एक अनुपम दृश्य जो सबको मोहित करता है। प्रकृति का अदभुत अनोखा चमत्कार जो बताता है कि प्रभु हमेशा हमारे बीच में हैं। भगवान गणेश की ऐसी प्रतिमा जो प्रतिवर्ष अपने आकार वो वृहद करती हैं। ऐसी आस्था जो सबको स्वयं में समा ले।
10 वी. सदी में नागवंशी राजवंश के काल में ढोल के आकार वाले पहाड़ के ऊपर प्रकृति के समकक्ष स्थापित किया गया। ये केवल बस्तर का सौभाग्य नही भारतवर्ष के साथ सम्पूर्ण संसार का सौभाग्य हैं। जो प्रभु की आस्था का प्रतीक हैं। बस्तर में घने जंगलो में शांतिप्रिय मनोरम वातारवरण में विराजमान प्रभु मानो प्रकृति का आनंद ले रहे हो।
ढोलकल पहाड़ी जो जंगल से 14 किलोमीटर की दूरी पर हैं। ऐसी आस्था जो सबको बस्तर आने के लिए मोहित करे। जो छत्तीसगढ़ को प्रकृति का अदभुत हिस्सा भी बनाती हैं। पर्व आते रहेंगे किन्तु प्रकृति के प्रति विश्वास जो अनुपम और अटूट विश्वास बना रहेगा। इतिहास यहाँ ही समाप्त नही होता।
ढोलकल के पहाड़ों में बैठे गणेश जी जो प्रकृति के साथ आनंद ले रहे थे। ये आनंद कुछ असामाजिक तत्वों से देखा नही गया। ऐसी जानकारी प्राप्त हुई कि प्रतिमा चोरी हो चुकी हैं। जो आस्था रखने वालों के साथ छत्तीसगढ़ के पुरातत्व विभाग के लिए भी एक बड़ा झटका था।
लेकिन वहाँ के प्रशासन के द्वारा ऐसी जानकारी प्राप्त हुई कि वर्ष 2017 में 13000 फीट के ऊँचे पहाड़ों के नीचे प्रतिमा के टुकड़े मिले जो आस्था को ठेस पहुंचाने वाली घटना हैं। ढोलकल की पहाड़ी के साथ प्रकृति का दृश्य जो पर्यटन क्षेत्र बनते जा रहा था साथ में वहाँ के स्थानीय लोगों के विकास का मार्ग बना रहा था। जिसे असामाजिक तत्वों द्वारा देखा नही गया।
वहाँ का स्थानीय प्रशासन इसे मावोवादियो के द्वारा किया गया ये गलत कार्य ऐसा कहता हैं। और साथ में इस बात से भी इंकार नही करता है कि प्रकृति की गोद में बैठे प्रभु गणेश जी के सामने उनके गलत कार्य संभव नही थे। जिससे उन्होंने सम्पूर्ण समाज की भावनाओं को आहत करने के साथ बस्तर के विकास कार्यों को भी ठेस पहुंचाने का कार्य किया था। जो बस्तर के साथ पूरे छत्तीसगढ़ का आकर्षण का केंद्र बनते जा रहा था।
 
 
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