मुस्लिमों के देश से भी निकाले जा रहे मुस्लिम

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    19-Jul-2021
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   विष्णुगुप्त      
 
पाकिस्तान ने आतंकवाद और जिहादी इस्लाम का जो कुआं खोदा था, गड्ढा खोदा था उसमें पाकिस्तान आज खुद गिर रहा है। पाकिस्तान के ऊपर अब उसका खुद का आतंकवाद , खुद का जिहादी इस्लाम भारी पड़ रहा है, अपमान तिरस्कार और घृणा का पर्याय बन गया है।
पाकिस्तानी मुसलमानों की दुर्गति तो देखिए, अब उन्हें मुस्लिम देशों में अपमान मिल रहा है, उनकी दुर्गति हो रही है, उन्हें घृणा का पात्र समझा जाने लगा, भस्मासुर समझा जाने लगा, हिंसा, आतंकवाद का पर्याय समझा जाने लगा। पाकिस्तानी मुसलमानों को जेलो में रखना, पुलिस निगरानी में रखना और बलपूर्वक वापस पाकिस्तान खदेड़ देना आम घटना हो गई है। आखिर क्यों? कहावत है कि कोई कुआ, कोई गड्ढा दूसरे के लिए नहीं अपने के लिए खोदा जाता है, यह कहावत पाकिस्तान पर सच बैठती है। पाकिस्तान ने आतंकवाद और जिहादी इस्लाम का जो गड्ढा खोदा था उसमें आज खुद गिर रहा है। अब उसका खुद का आतंकवाद, खुद का जिहादी इस्लाम भारी पड़ रहा है, अपमान तिरस्कार और घृणा का पर्याय बन गया है।
आतंकवाद की आउटसोर्सिंग और जिहादी इस्लाम की मानसिकता में पाकिस्तान आज ऐसा फंसा है, जिससे बाहर निकलने का उसके पास कोई रास्ता तक नहीं है। पाकिस्तान की जिहादी इस्लाम आधारित कश्मीर की भी कोई देश बात सुनने के लिए तैयार नहीं हैं। यूरोप और अमेरिका ही नहीं बल्कि दुनिया के बड़े मुस्लिम देश जैसे सऊदी अरब, बहरीन, कतर व ईरान ने भी मुंह मोड़ लिया है। आतंकवाद और जिहादी इस्लाम के प्रति प्रेम का सबसे बड़ा शिकार पाकिस्तान के वैसे नागरिक हो रहे हैं जो विदेशों में बसे हुए हैं। पाकिस्तान फेडरल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी की एक खबर बहुत ही चौंकाने वाली है।
पाकिस्तान के नागरिकों को विदेशों में मिलने वाली अपमान, तिरस्कार, घृणा आदि की कहानी कहती है। पाकिस्तान की फेडरल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी की रिपोर्ट है कि पिछले 6 साल में 10 लाख से अधिक पाकिस्तानी मुसलमानों विदेशों से खदेड़ दिया गया। प्रतिदिन औसतन 300 पाकिस्तानी मुसलमानों को विदेशों से खदेड़ा जा रहा है। आमतौर पर यह माना जाता है कि अमेरिका, यूरोप में इस्लाम को लेकर घृणा का वातावरण कायम है और ईसाई मानसिकता उफान पर है , इसलिए अमेरिका एवं यूरोप में पाकिस्तानी मुसलमानों को घृणा का शिकार होना पड़ रहा है। पाकिस्तान के मुस्लिम कट्टरपंथी यह आरोप लगाते रहते हैं कि अमेरिका और यूरोप इस्लाम के खिलाफ अघोषित युद्ध कर रखे हैं, मुसलमानों को अमेरिका यूरोप से खदेडऩे की साजिश चल रही है।
यह सही है कि अमेरिका और यूरोप में खासकर पाकिस्तानी मुसलमानों को खदेडऩे में काफी आक्रामक देखी गई है, पाकिस्तानी मुसलमानों को जेल में डालने और उन्हें पुलिस निगरानी में रखने की घटना भी बढ़ी हैं, अमेरिका ने पिछले साल में 6 साल में 17 सौ से अधिक पाकिस्तानी मुसलमानों को अपने यहां से खदेड़ा है। लेकिन एक दूसरा पहलू भी बड़ा भीषण और खतरनाक है। दूसरा पहलू यह है कि सिर्फ अमेरिका यूरोप से ही नहीं बल्कि बड़े और चर्चित मुस्लिम देशों से भी पाकिस्तानी मुसलमान बलपूर्वक एवं तिरस्कारपूर्ण ढंग से खदेड़ा जा रहे हैं। इन आंकड़ों को देखिए फिर आपको ज्ञात होगा कि मुस्लिम देशों में भी पाकिस्तानी मुसलमानों के खिलाफ जोरदार घृणा पैदा हो चुकी है। ईरान ने पिछले छह साल में एक लाख 36 हजार 950 पाकिस्तानी मुसलमानों को खदेड़ा। सऊदी अरब ने तीन लाख 21 हजार 590, तुर्की ने 32 हजार 300, संयुक्त अरब अमीरात ने 53 हजार 649 , रूस ने 564,अफगानिस्तान ने 15 और भारत ने 243 पाकिस्तानी मुसलमानों को खदेड़ा है ।
तुर्की पाकिस्तान का मित्र देश है। पाकिस्तान जिस प्रकार से दुनिया के मुसलमानों का खलीफा बनना चाहता है उसी प्रकार से तुर्की भी मुस्लिम देशों और दुनिया की मुस्लिम आबादी का खलीफा बनना चाहता है। भारत के खिलाफ कश्मीर के प्रश्न पर तुर्की ने पाकिस्तान के पक्ष में किस प्रकार से पैतारे बाजी दिखाई थी, यह भी उल्लेखनीय है। मुस्लिम संगठन और मुस्लिम नेता यह कहते हुए नहीं थकते हैं कि दुनिया के मुसलमान एक हैं, एक मुसलमान दूसरे मुसलमान की मदद करने और शरण देने के लिए मजहबी सिद्धांत से बंधे हुए हैं, यानी कि कुरान के अनुसार एक मुसलमान दूसरे मुसलमान को शरण देने और मदद करने के लिए बाध्य है। पर पाकिस्तानी मुसलमानों को खदेडऩे को लेकर कुरान के इस सिद्धांत का मुस्लिम देश क्यों नहीं पालन करते दिखे?
आखिर मुस्लिम देशों को भी पाकिस्तानी मुसलमानों से कौन सी समस्या है , क्या पाकिस्तानी मुसलमान कानून व्यवस्था की समस्या बन गए हैं? क्या पाकिस्तानी मुसलमान आतंकवाद और हिंसा के पर्याय बन गए हैं ? क्या पाकिस्तानी मुसलमान विखंडन की हस्तक्षेपकारी राजनीति करने के गुनाहगार हैं? क्या पाकिस्तानी मुसलमानों द्वारा मुस्लिम देशों में इस्लाम के विभिन्न फिरकों , जातियों तथा समूहों के बीच घृणा उत्पन्न की जाती है? एक समय ऐसा भी था जब ईरान सऊदी अरब, बहरीन, संयुक्त अरब अमीरात, कतर,तुर्की में पाकिस्तानी मुसलमानों की बड़ी मांग होती थी, ढांचागत कार्यों में पाकिस्तानी मुसलमानों की बड़ी पूछ होती थी।
यही कारण है कि खाड़ी के देशों में पाकिस्तानी मुसलमानों की भरमार थी। खाड़ी देशों से आने वाले धन से पाकिस्तान की गरीबी घटती थी, पाकिस्तान को विदेशी मुद्रा संकट से निजात मिलता था। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भी मजबूत रहती थी। पाकिस्तान को विदेशी कर्ज की अदायगी में भी मदद मिलती थी। दरअसल मुस्लिम देशों में भी मुस्लिम आतंकवाद , मुस्लिम हिंसा और अर्थव्यवस्था के विध्वंस के कारण उत्पन्न हुई नई चेतना और खतरे के प्रति जागरूकता की बढ़ी है।
 
इनपुट - स्वदेश