चंपतराय का जन्म उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के नगीना शहर के एक अत्यंत निर्धन परिवार में स्वर्गीय श्री रामेश्वर प्रसाद अग्रवाल और स्वर्गीय श्रीमती सावित्री देवी के घर में 18 नवम्बर, 1946 को हुआ । अपने माता – पिता की दस संतानों में से चंपतराय दूसरे नम्बर के हैं । ये छ: भाई और चार बहन हैं । माता – पिता धार्मिक प्रवृत्ति के होने के कारण इनको धार्मिक प्रवृत्ति विरासत में मिली । कुछ समय तक चंपतराय धामपुर के डिग्री कालेज में रसायन विभाग में अध्यापन का कार्य भी किया परंतु जल्दी ही वें स्व. ओमप्रकाश के आग्रह पर अपनी नौकरी छोड़कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक बन गए । उत्तर भारत के कई स्थानों पर जिला प्रचारक और विभाग प्रचारक रहने के बाद योजनापूर्वक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उन्हें विश्व हिन्दू परिषद् में कार्य करने के लिए भेजा । विहिप में संयुक्त महामंत्री, अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री जैसे प्रमुख दायित्वों का निर्वहन करते हुए वर्तमान में उपाध्यक्ष हैं ।
सर्वोच्च न्यायालय के जिस निर्णय के बाद अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ, उस मुकदमें से संबंधित सभी दस्तावेजों की तैयारी चंपतराय स्वयं ही करते थे । इनकी मेधाशक्ति और कार्यपद्धति को देखकर सुप्रीम कोर्ट के बडे – बडे वकील भी आश्चर्यचकित हो जाते थे । जो भी चंपतराय के निकट संपर्क में है उन्हें यह बात अच्छे से मालूम है कि इन्हें श्री राम जन्मभूमि आंदोलन की समस्त घटनाएं तिथि सहित मुँह – जुबानी याद हैं जबकि वकीलों को फाईल खोलकर देखना पडता था । श्री राम जन्मभूमि के संबंध में जब से सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया है 75 वर्षीय चंपतराय अपना अधिकतम समय अयोध्या में ही बिताते हैं । चाहे ज्येष्ठ मास की तपती गर्मी हो या माघ मास की कडाके की सर्दी, चंपतराय को अयोध्या स्थित कारसेवकपुरम और कैंप कार्यालय में निरंतर बिना थके हुए सूक्ष्म से सूक्ष्म जानकारी के साथ श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के संबंध में विभिन्न कार्ययोजना बनाते हुए देखा जा सकता है । ‘एक जीवन – एक उद्देश्य’ के इस मंत्र को चंपतराय ने पूर्णत: अंगीकार किया है । जितना विराट यह व्यक्तित्व है, उतना ही सरल, सहज और सर्वसुलभ उनका जीवन है । चकाचौंध की वर्तमान जीवन शैली जीने वालों के विपरीत मात्र मूंग की खिचडी और सिर्फ दो रोटी खाकर अपना जीवन व्यतीत करने वाले इस विराट व्यक्तित्व का अपना कोई भी निजी बैंक खाता तक नही है और तो और इनका तथा निज प्रचार – प्रसार का दूर – दूर तक कोई संबंध नही है । श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र के कारण संघ परिवार के अनेक वरिष्ठ अधिकारियों के कहने पर तथा इनसे बहुत अनुनय – विनय के बाद सोशल मीडिया पर इनके नाम से एक एकाऊंट बनाने के लिए इन्होंने अपनी स्वीकृति दिया । इनके निकट संपर्क के लोगों को यह भी भलीभाँति ज्ञात है कि इनका व्यय – पत्रक अक्सर खाली ही रहता है क्योंकि इनकी कुछ निजी दवाइयों के खर्च अलावा इनका कोई भी व्यक्तिगत खर्च ही नही है । यह बात सबको आश्चर्यचकित लग सकती है परंतु यह एक सत्य है । लगभग 492 वर्ष के संघर्ष के पश्चात् आज हिंदू समाज भगवान् श्री राम के जिस भव्य मंदिर को देखने की आस लिए हुए प्रतीक्षा कर रहा है उसे अपनी हड्डियों को गलाकर श्री राम जन्मभूमि आंदोलन को न्यायालय के माध्यम से उसको अंतिम परिणति तक पहुँचाने वाले व्यक्तित्व का नाम ही चंपतराय है ।