लैंड जिहाद दो प्रकार के होते है पहला प्रकार जिसमे मुस्लिम पक्ष हिन्दू बाहुल्य क्षेत्र मे मुहबोले दाम मे घर खरीदता है व रहने लगता है। धीरे धीरे वह अपने त्यौहार जैसे बकरा काटना आदि उस क्षेत्र मे अपने बाकी मुस्लिम मित्रों को बुलाकर मनाता है। कुछ दिन बाद वह अपने कुछ साथियों को मुहबोले दाम मे घर दिलवाता है। अब वह छोटी छोटी बात पर हिन्दू परिवारों से लड़ने को तैयार हो जाते है। फिर कुछ दिन बाद वह अपने आस पड़ोस मे रहने वालों पर अपना रौब झाड़ते है और गंदगी फैलते है। अगर हिन्दू महिला वहाँ रहती है तो उस पर फब्तियाँ कसना इनका रोज का कार्य बन जाता है। कुछ दिन बाद कुछ हिन्दू परिवार अपना घर छोड़कर वहाँ से निकल जाते है। कुछ दिन बाद आप देखते है क्षेत्र आपराधिक तत्वों से भर जाता है एवं आए दिन चोरी, डकैती और मर्डर होने लगते है। इससे परेशान होकर बाकी जो बचे हुए हिन्दू परिवार है वो अपना घर मुस्लिमों को कम से कम दाम मे बेचकर वहाँ से निकल जाते है और हिन्दू बाहुल्य क्षेत्र को मुस्लिम बाहुल्य बनाते है। उदाहरण के तौर पर कश्मीरी पंडित एवं वहाँ के स्थानीय हिन्दुओ को कश्मीर से रातों रात अपने घर छोड़कर जाने का विवश होना पड़ा था। जिस प्रकार मुस्लिमों द्वारा हिंदुओं के घर अनुचित तरीके से हड़पना इसे ही लैंड जिहाद कहा जाता है।
अभी तक आपने लैंड जिहाद का प्रकार एक जाना अब जानते है लैंड जिहाद के प्रकार दो के बारे मे। आप एक हिन्दू बाहुल्य क्षेत्र में की वर्षों से रहते है। एक दिन आप देखते है की एक शासकीय भूमि के छोटे से हिस्से पर एक चबूतरा बना दिया जाता है आप उस समय ध्यान नहीं देते है और कुछ दिन बाद वह चबूतरा एक मजार का रूप ले लेता है। कई लोग वहाँ उस मजार पर आते है जिसमे अधिकतम हिन्दू ही होते है। फिर कभी शासन प्रशासन शासकीय भूमि से अपना कब्जा हटाने की बात करता है तब मुस्लिम दलील देते है की यहाँ कई वर्ष से मजार बनी हुई है और मुस्लिम पक्ष एकत्रित होकर मजार न हटाने का दबाव प्रशासन पर बनाते है। तो अब आपने जाना लैंड जिहाद का दूसरा प्रकार।
जिस तरह से हिंदुस्तान मे लव जिहाद बढ़ रहा है उसी प्रकार लैंड जिहाद भी हिंदुस्तान मे अपने पैर पसार चुका है। इसका उपाय एक ही है की अपने आस पास नजर रखें, एकत्रित रहें और मुस्लिमों को घर खरीदने से रोकें ताकि भविष्य मे वे आपके ऊपर हावी ना हो सके। मुस्लिमों का आर्थिक बहिष्कार ही हिंदुस्तान को इस्लामिकरण से बचा सकता है।