"भाषणवीर राहुल जी" पहले धरातल पर उतरकर संघ को समझें

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    06-Mar-2021
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    - सौरभ कुमार   

राहुल गाँधी ने संघ के स्वयंसेवकों द्वारा संचालित स्कूल की तुलना पाकिस्तान के मदरसों से की है. पकिस्तान के वो मदरसे जहाँ नफरत की घुट्टी पिलाई जाती है, जहाँ जिहाद के नाम पर बेगुनाहों के सर काटना सिखाया जाता है. तमाम अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों की रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान में संचालित इन 10,000 से ज्यादा मदरसों में लाखों आतंकी ट्रेन किए जाते हैं. ये मदरसे चोला तो धार्मिक शिक्षा का ओढ़े हुए हैं लेकिन इनका काम दुनिया भर में आतंकवाद एक्सपोर्ट करना है.

वहीं विद्या भारती वर्ष 1952 से निरंतर संस्कार युक्त शिक्षा के प्रचार-प्रसार में लगा है. देश के सभी हिस्सों में विद्या भारती 12,000 से ज्यादा विद्यालयों का संचालन करता है, जिनमें 34 लाख से ज्यादा विद्यार्थी पढ़ते हैं (ये बच्चे सिर्फ हिन्दू नहीं हैं, इनमें 80,000 से ज्यादा मुस्लिम और ईसाई बच्चे भी हैं). इनमें से कई विद्यालय तो ऐसे दूरस्थ अंचलों में हैं, जहाँ स्वतंत्रता के 70 वर्षों के बाद भी आज तक सरकारें नहीं पहुँच पाई हैं. हजारों स्थानों पर एकल विद्यालय और संस्कार केंद्र संचालित किए जा रहे हैं, जिनके माध्यम से दुर्गम जनजातीय क्षेत्रों में भी शिक्षा की अलख जग रही है. इस बयान में राहुल गाँधी की गलती नहीं है, उन्होंने बचपन से कभी ये देखा ही नहीं की राष्ट्र प्रेम क्या होता है, समर्पण की भावना क्या होती है. ऐसे में उनसे ये अपेक्षा करना कि वो विद्या भारती के मूल्यों और संस्कारों को समझ सकेंगे, अतिश्योक्ति ही होगी.

राहुल गाँधी ने जिन छात्रों की तुलना पाकिस्तान के आतंकवादियों से की है, वो आज समाज जीवन के हर क्षेत्र में राष्ट्र के लिए कार्य कर रहे हैं. वो सेना की वर्दी में सीमा पर शहादत भी दे रहे हैं और देश के लिए स्वर्ण पदक भी ला रहे हैं. विद्या भारती के ये छात्र प्रशासनिक पदों पर देश का भविष्य गढ़ रहे हैं, और तो छोड़िए जिस कांग्रेस पार्टी के राहुल गाँधी राजकुमार हैं उसके भी कई विधायक, सांसद और कार्यकर्ता इसी विद्या मंदिर से पढ़े हैं. राहुल गाँधी एक बार देखें कि जिन विद्यार्थियों को उन्होंने आतंकवादी बताया है वो कौन हैं तो शायद उन्हें होश आ जाए और बिना सुप्रीम कोर्ट में गए माफ़ी मांग लें.

जब गलवान की घाटी में चीन की सेना के साथ हुए मुठभेड़ में भारत के जवानों की शहादत हुई तो पूरा देश रोया था. उस दिन जब चीन के 300 सैनिक कटीले तारों और डंडों के साथ खड़े थे, तो अपने मात्र 20 सैनिक लेकर खाली हाथ उनसे भिड़ जाने वाले, उस कड़कड़ाती ठण्ड में भी चीनी सैनिकों के छक्के छुड़ा देने वाले कर्नल बी. संतोष बाबू इसी विद्या मंदिर से पढ़े थे. राहुल जी ऐसे होते हैं विद्या भारती के छात्र, ऐसी होती है उनकी राष्ट्रभक्ति. वो राष्ट्र की रक्षा के लिए, सब जानते हुए भी अपना प्राण देने से नहीं हिचकिचाते.

राफेल तो राहुल जी आपको याद ही होगा, इसी मामले में आपकी ऊलजुलूल बयानबाजी के कारण आपको सुप्रीम कोर्ट में माफ़ी मांगनी पड़ी थी. उस राफेल को भारत लेकर आने वाली पहली टीम का हिस्सा स्क्वॉड्रन लीडर दीपक चौहान भी इसी विद्या भारती से पढ़े हैं.

एक बार प्रियंका दीदी ने टीवी पर सबको बड़े गर्व से बताया था कि आप बहुत स्पोर्टी हैं, आपके एब्स और पुशअप भी मैंने देखे, शायद खेलों में आपकी रुचि है. राहुल जी भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी नवदीप सैनी, भारतीय महिला नेट बॉल टीम की सदस्य अपर्णा सिंह, एशियाई यूथ एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2019 के स्वर्ण पदक विजेता विपिन कुमार, कांस्य पदक विजेता दीपक यादव, दुनिया भर में अपना परचम फहराने वाली कबड्डी टीम के कोच श्रीनिवास रेड्डी, एशियाई पैरा गेम्स 2018 के स्वर्ण पदक विजेता तरुण ढिल्लों भी इसी विद्या भारती से पढ़े हैं.

राहुल जी आप भले ही मंत्री न रहे हों लेकिन पारिवारिक विरासत के कारण प्रशासनिक अधिकारियों के साथ आपका मिलना-जुलना रहता ही होगा, शायद आप उनका सम्मान भी करते हों. राहुल जी, राजस्थान के पूर्व डीजीपी ओम प्रकाश गल्होत्रा, हरियाणा के आईएएस श्री रौशन लाल, कॉर्बेट नेशनल पार्क देहरादून के डायरेक्टर आईएफएस श्री सुरेन्द्र मेहरा जैसे अनेक प्रशासनिक अधिकारी भी इसी विद्या भारती से पढ़े हैं.

राहुल जी एक बार बंद वातानुकूलित कमरे से बाहर निकलिए, इस देश कोइसके समाज को देखिए. इस राष्ट्र के स्पंदन को उसकी भावना को समझिए, तब शायद आप इस तरह लाखों छात्रों और उनके परिवारों का अपमान करने से पहले, राष्ट्र के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वालों को आतंकवादी कहने से पहले एक बार सोचेंगे.