नागपुर। जैन धर्म की श्वेतांबर परम्परा में तेरापंथ के 11वें आचार्य महाश्रमण जी ने गुरुवार को नागपुर में स्मृति मंदिर में पावन सानिध्य दिया इस अवसर पर सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने आचार्य श्री के दर्शन कर आशीष प्राप्त किया नागपुर के रेशमबाग स्थित डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर में यह भेंट हुई।
सरसंघचालक अपने मुख्यालय नागपुर के महाल स्थित केन्द्रीय कार्यालय पर उपस्थित थे । नागपुर विहार के दौरान पूज्य महाश्रमण जी के स्मृतिमंदिर परिसर में आगमन का समाचार प्राप्त होते ही सरसंघचालक जी भी रेशमबाग पहुंचे जहां महाश्रमण जी के दर्शन किए।
एवं सरसंघचालक भागवत ने आचार्य श्री महाश्रमण जी को हाल ही में बेंगलुरु में संपन्न राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का प्रतिवेदन सौंपा एवं वार्ता की। इस अवसर पर अ० भा० सह सम्पर्क प्रमुख सुनील देशपाण्डे भी उपस्थित थे
तेरापंथ के आचार्य व सरसंघचालक से भेंट की परम्परा रही है
तेरापंथ के आचार्य श्री व संघ के सरसंघचालक के मिलने की परम्परा दशकों से चली आ रही है। इससे पूर्व के सरसंघचालक के एस सुदर्शन ने भी लाडनु व उदयपुर में तेरापंथ समाज के आचार्य श्री महाप्रज्ञ से भेंट व चर्चा की थी
आचार्य महाश्रमण जैन धर्म के बड़े आध्यात्मिक गुरू हैं। इसके साथ ही वे अच्छे वक्ता, लेखक, कवि और दार्शनिक भी हैं। संघ भारत की उन्नती के लिए विभिन्न धर्मों के महापुरुषों से भेंट कर चिंतन मंथन करता है।
तेरापंथ की स्थापना आचार्य भीखण ने राजस्थान में की थी। इसका उद्भव वि. संवत 1817 में केलवा- मेवाड़ में हुआ था।तेरापंथ का प्रमुख केंद्र लाडनूं है, थली प्रदेश में व्यापक प्रभाव है सम्पूर्ण भारत में तेरापंथ के अनुयायियों के धार्मिक चेतना हेतु आचार्य श्री पैदल विहार करते हैं।