ग्वालियर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मध्यभारत प्रांत का चार दिवसीय प्रांतीय स्वर साधक संगम (घोष शिविर) का शुभारंभ आज सुबह सरस्वती शिशुमंदिर केदारधाम परिसर शिवपुरी लिंक रोड पर हुआ। इस अवसर पर घोष की ऐतिहासिक यात्रा को लेकर लगाई गई प्रदर्शनी का भी उदघाटन मध्य भारत प्रांत के संघचालक अशोक पांडे एवं राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. साहित्य कुमार नाहर ने मां भारती के चित्र पर दीप प्रज्वलित कर किया। इसके उपरांत उपस्थित अतिथियों ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
इस मौके पर प्रांत के संघचालक अशोक पांडे ने चार दिवसीय प्रांतीय स्वर साधक शिविर के बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि प्रदर्शनी मूलतः भारतीय शास्त्रीय गायको एवं वादको पर आधारित है। प्राचीन भारतीय राग न केवल प्रभावी अपितु अपनी विशिष्ट शैली व निहित शक्ति के कारण पूरे विश्व में जाने जाते है। प्रदर्शनी को पांच भागों में तैयार किया गया है।
पहले भाग में पारम्परिक अति प्राचीन एवं दुर्लभ वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन किया गया है, दूसरे भाग में देश के प्रख्यात गायको एवं वादको का जीवन परिचय चित्रांकित किया गया है, तीसरे भाग में ग्वालियर घराने के प्रसिद्ध संगीतज्ञों का जीवन परिचय चित्रमय झांकी के द्वारा दर्शाया गया है, चतुर्थ भाग में देशभर के प्राचीन वाद्यो का चित्रमय प्रदर्शन किया गया है और पांचवे भाग में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की घोष यात्रा का इतिहास एवं रचनाओं के वादन को डिजीटल के माध्यम से दिखाया गया है।
आगे प्रांत सरसंघचालक स्वर साधक संगम शिविर के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि मनुष्य जीवन के संस्कारों में संगीत का अपना विशेष महत्व होता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इसे संगठन गढ़ने का मूलमंत्र माना है। सभी स्वंयसेवकों को कदम से कदम मिलाकर चलने की प्रेरणा घोष के द्वार दी जाती है। संघ में घोष की यात्रा 1927 से प्रारम्भ हुई।
प्रारंभ में शंख, वंशी और आनक जैसे मूल वाद्यों पर वादन शुरू हुआ। संघ के स्वयंसेवकों द्वारा अपने अथक प्रयासों से शास्त्रीय रागों के आधार पर रचनाओं का निमार्ण किया गया। आज लगभग साठ से अधिक रचनाओं का वादन संघ में हो रहा है। यहाँ यह बताना उपयुक्त होगा कि 1982 के एशियाई खेलों में शिवराज भूप रचना का वादन हुआ जिसका निर्माण संघ के कार्यकर्ताओं ने किया है।
मध्यभारत प्रांत घोष का इतिहास बहुत पुराना है। वर्तमान में अनेक कार्यकर्ता घोष के विविध वाद्यो का वादन कुशलता पूर्वक कर रहे हैं। मध्यभारत प्रांत में घोष के अच्छे वादक तैयार हो इस निमित्त स्वर साधक संगम घोष शिविर ग्वालियर में सम्पन्न हो रहा है। शिविर में लगभग 500 घोष वादक, जिन्हें न्यूनतम पांच रचनाओं का वादन उत्कृष्ठ आता है उन्हें ही शामिल किया गया है। पांच रचनाएं इस प्रकार है ध्वजारोपणम, मीरा, भूप, शिवरंजनी एवं तिलंग।
शिविर के दौरान आवास व्यवस्था दो परिसर में की गई है, एक को स्वरद परिसर एवं दूसरे को सूर्य परिसर का नाम दिया गया है। 26 नवम्बर 2021 को सांय 04.45 पर शिविर के घोष वादकों द्वारा पथ संचलन का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। यह संचलन महारानी लक्ष्मीबाई की समाधी स्थल से प्रारंभ होकर फूलबाग, गुरुद्वारा, नदीगेट, इंदरगंज चौराहा होते हुए जी.वाय.एम.सी. मैदान पर समाप्त होगा। 28 नवम्बर 2021 को शिविर स्थल केदारधाम में प्रात्यक्षिक सांय 04.30 बजे होगा, जिसमें घोष वादको द्वारा व्यूह रचनाओ के माध्यम से उत्कृष्ठ वादन किया जावेगा। कार्यक्रम के अंत में सरसंघचालक मोहन भागवत का मार्गदर्शन प्राप्त होगा।