राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस एवं धन्वन्तरि जयंती कार्यक्रम मिन्टो हाल में सम्पन्न

भोपाल के मिन्टो हाल में आरोग्य भारती द्वारा राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस तथा धन्वन्तरि जयंती कार्यक्रम का आयोजित

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    30-Oct-2021
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भोपाल। आज भोपाल के मिन्टो हाल में आरोग्य भारती द्वारा राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस तथा धन्वन्तरि जयंती कार्यक्रम का आयोजित किया गया। कार्यक्रम में माननीय राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल जी, आयुष मंत्री श्री रामकिशोर (नानो) कांवरे जी, आरोग्य भारती के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. सुनील जोशी जी, राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. अशोक कुमार वार्ष्णेय जी एवं पंडित खुशी लाल आयुर्वेद महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. उमेश शुक्ला उपस्थित थे।
डॉ. उमेश शुक्ला के स्वागत भाषण के पश्चात राष्ट्रीय महासचिव डॉ. सुनील जोशी ने आरोग्य भारती का परिचय कराते हुए कहां कि नियमित दिनचर्या से प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को स्वस्थ रखते हुए परिवार और समाज के साथ-साथ सम्पूर्ण राष्ट्र को स्वस्थ रख सकता है। आयुष मंत्री श्री कांवरे जी ने कोरोना काल में आयुष के द्वारा किये गए कार्य का विशेष उल्लेख करते हुए कहां कि आयुष के बढती लोप्रियता को देखते हुए आयुष आपके द्वार अन्य योजनाओं के माध्यम से सम्पर्ण प्रदेश में स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जनजागरण का भाव लाने का कार्य किया जायेगा। मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. अशोक कुमार वार्ष्णेय जी ने कहा कि आज के समय में 83 प्रतिशत बीमारियां जीवन शैली से संबंधित है। खान-पान जीवन शैली, आहार-विहार को ठीक रखकर व्यक्ति जीवन जनित रोग से बच सकता है। उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि आजादी के 75 वें अमृत महोत्सव पर 75 व्यक्ति, 75 परिवार को स्वस्थ बनाना है।
माननीय राज्यपाल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि आरोग्य भारती स्वास्थ्य सेवा का कार्य रोग प्रतिबंधन (Prevention of Disease) के रूप में सम्पूर्ण देश में कर रही है। मात्र 19 वर्ष में देश के 85 प्रतिशत से भी अधिक जिलों में कार्य की उपस्थिति महत्वपूर्ण है। उनके प्रयासों और परिश्रम के प्रभाव स्वरूप जैसे-जैसे कार्य बढ़ रहा है, जन सामान्य में स्वास्थ्य जागरूकता के साथ-साथ उनके चिकित्सा व्यय में 70-80 प्रतिशत तक कमी आ रही है। भगवान धन्वन्तरि आदिकाल से स्वास्थ्य के देवता के रूप में जाने जाते रहे है। इसलिए हम चाहे किसी भी चिकित्सा पद्धति से संबंधित हो या समाज के सामान्य व्यक्ति सभी के लिए उनका स्थान पूजनीय है। भारत सरकार भी विगत 6 वर्षों से धन्वन्तरि जयंती जो कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को होती है। राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाता आया है। इससे यह भी ध्यान में आता है कि आयुर्वेद ही भारत की परंपरागत, प्राचीन चिकित्सा पद्धति हैय जो शाश्वत और प्रामाणिक भी है। जिसमें रोग निदान के साथ-साथ रोगों की रोकथाम की व्यवस्था भी है। इसमें केवल शरीर की चिकित्सा ही नही तो शरीर, मन, बुद्धि को प्रभावित करने वाले मूल रोग को भी पहचानकर उपचार करने की व्यवस्था है।

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भारतीय भू-भाग विविधताओं से भरा है अलग-अलग जलवायु, भूमिगत जल, प्राकृतिक संसाधन, होने के कारण तदनुसार भोजन शैली, आहार-विहार, और जीवन शैली विकसित हुई। कालांतर में ऐसे सब विषयों को एक सूत्र में जोड़ कर रीति-रिवाज, परंपराएँ, उत्सव के रूप में संस्कृति के अंग बन गए। ये सभी जनसामान्य के स्वास्थ्य को व्यवस्थित रखने में सहायक होते थे। इसी कारण अपने यहाँ कहाँ जाता था कि ’’आहार ही औषधी’’ (Your Food is Your Medicine) है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के प्रणेता Dr. Hippocrate का प्रसिद्ध वाक्य है कि Let thy your Food is your Medicine rather than your Medicine is your Food.
आज आवश्यकता है कि स्वास्थ्य और आयुर्वेद से जुड़े ऐसे सभी विषयों को तथ्य और तर्क पूर्ण पद्धति से अध्ययन करे, शोध करे और व्यवहार में पालन करे तब हम वर्तमान पीढ़ी को स्वहपबंस पद्धति से पालन करने के लिए तैयार कर सकते है, और यही पद्धति वर्तमान के जीवन शैली जनित रोगों को, जो आज 83 प्रतिशत हो गए है, ठीक करने में सहायक होगी। इससे न केवल व्यक्तियों का चिकित्सा व्यय कम होगा बल्कि अच्छा स्वास्थ्य होने के कारण उनका Happiness Index देश के Health Index में सुधार करने में सहायता होगी।
इस अवसर पर आरोग्य भारती की मासिक पत्रिका आरोग्य सम्पदा के विशेषांक ’’सर्वसमावेशी स्वास्थ्य’’ का विमोचन किया गया तथा जबलपुर निवासी होम्योपैथी चिकित्सक डॉ. एन. सोलैयप्पन एवं रीवा निवासी परम्परागत वैद्य श्री वंशवर्धन तिवारी जी को चिकित्सा सेवा कार्य के लिए धन्वन्तरि सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया।