बात सिर्फ आरोप लगाने तक सीमित नहीं है. कट्टरपंथी जमात के साथ ही यूएलएफ जम्मू-कश्मीर सक्रिय हो गया है, जिसे आतंकी संगठन लश्कर का ही एक समूह बताया जाता है और गैर कश्मीरियों की हत्या में शामिल था. इस समूह ने 26 अक्तूबर को बयान जारी कर कहा – उन्हें खबर मिल गई है कि इन एफआईआर के पीछे किसका हाथ है. गैर स्थानीय कर्मचारी और छात्रों को चेतावनी दी जाती है कि वो ऐसी गतिविधियों में शामिल न हों.
बयान के अनुसार, “हम तत्वों को चेतावनी दे रहे हैं क्योंकि हम जानते हैं कि ये कौन हैं? 48 घंटों का समय दिया जाता है कि माफी माँग लें. वरना अंजाम भुगतना होगा…हम इन्हें पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि ये किसी गैर कश्मीरी गतिविधि में शामिल न हों. वरना हम ये फर्क नहीं करेंगे कि कौन क्या है? जिन भी गैर स्थानीय कर्मचारी और छात्रों ने डॉक्टर और छात्रों की थाना सौरा, करण नगर..में शिकायत दी है उन्हें चेतावनी दी जा रही है. हम सब देख रहे हैं. बाद में इल्जाम मत देना जो कहर तुम पर बरपेगा.”
अब्दुल्ला गाजी नाम के ट्विटर हैंडल से कई ट्वीट किए गए और मेडिकल छात्रा अनन्या जामवाल को टैग करते हुए दावा किया कि वो पुलिस की मुखबिर है. और SKIMS छात्रों के खिलाफ FIR और UAPA लगवाने की दोषी है. वह एक बाहरी डोगरा है जो इसी कॉलेज से मेडिकल कॉलेज की पढ़ाई कर रही है.
गाजी ने अनन्या के विरुद्ध कई ट्वीट किए. इसके अलावा एक और ट्वीट में सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाली मोनिका लांघे को भी निशाना बनाया है.
इन्हीं ट्वीट को शेयर करते हुए अनन्या जामवाल ने कहा – “क्या ये आदमी इन आरोपों को सिद्ध कर सकता है कि ये मुझे क्यों धमकी दे रहा है.” अनन्या ने जम्मू-कश्मीर पुलिस, देश की राष्ट्रीय जाँच एजेंसी, गृहमंत्री, रक्षामंत्री और प्रधानमंत्री सहित कुछ लोगों को टैग करते हुए कहा कि वो डरा हुआ महसूस कर रही है. वह पूछती है – इन लोगों का मकसद क्या है?
डॉ. मोनिका लांघे ने कहा कि तू किसी गलतफहमी में है, याद कर ले कश्मीर भारत का हिस्सा है और तुझे याद करवाकर रखेंगे हम. जय भारत.
इनपुट साभार – पाञ्चजन्य