भारतीय सेना को मिले वज्र, त्रिशूल, सैपर, दंड, भद्र जैसे घटक हथियार , बगैर गोलीबारी वाली झडप में होंगे कारगर

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    20-Oct-2021
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नई दिल्ली. सीमा की रक्षा में तैनात वीर सैनिकों ने गलवान घाटी संघर्ष में सर्वोच्च बलिदान दिया था. संघर्ष में भारतीय सेना के जवानों के सामने चीनी सैनिकों ने तार वाली लाठी, टेसर आदि का उपयोग किया था. लेकिन, अब भारतीय सेना भी ऐसी झड़प के लिए तैयार है. और बंदूक आदि के इतर ऐसे हथियार बनाए हैं, जो ऐसे संघर्ष में कारगर साबित होंगे. बिना गोलीबारी के होने वाली झड़प में दुश्मन सेना को करारा जवाब दे सकती है. भारतीय सेना को वज्र, त्रिशूल, भद्र, दंड और सैपर पंच हथियार मिलने वाले हैं. नोएडा की एक एपेस्टरॉन प्राइवेट लिमिटेड ने दुश्मन सैनिकों से निपटने के लिए कम जानलेवा, लेकिन खतरनाक हथियार बनाए हैं. ये हथियार मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम हैं.

वज्र

यह एक स्टिक है और इसमें लकड़ी के बीच में कीलें निकली हुई हैं. अगर इससे किसी पर वार किया जाए तो स्टिक की चोट के साथ ये कीलें चुभ भी सकती हैं. इतना ही नहीं स्टिक में करंट भी है, इसमें एक बटन है, जिसे दबाने पर स्टिक में करंट दौड़ने लगता है. और अगर इससे दुश्मन पर वार किया जाए तो करंट की वजह से जल्द ही बेहोश हो सकता है. करंट के कारण अधिक खतरनाक हो जाता है.
 

त्रिशूल

त्रिशूल, भगवान शिव के त्रिशूल की तरह ही है. दिखने में यह ठीक वैसा ही है, लेकिन यह काफी हाइटेक है. इसमें भी वज्र की तरह आगे की तरफ तेज पावर का करंट निकलता है, जिससे सैनिकों का काफी बचाव हो सकता है. साथ ही यह त्रिशूल काफी पैना भी है, जिससे दुश्मन का काफी नुकसान हो सकता है.

सैपर पंच

सैपर पंच एक तरह के दस्ताने हैं, जिसे पहनकर सैनिक दुश्मन से लड़ सकते हैं. इस दस्ताने की विशेष बात ये है कि इसमें भी करंट दौड़ता है और अगर इसे पहनकर किसी दूसरे व्यक्ति को पंच मारते हैं तो इससे पंच की मार के साथ करंट भी लगता है. इतना ही नहीं, यह वाटरप्रूफ होने के साथ ही माइनस 30 डिग्री ठंड में काम कर सकता है.

दंड

यह एक तरीके से बिजली से चलने वाला डंडा है. यह करंट के साथ हमला करने वाला डंडा है, जो दुश्मन को एक बार में लेटा सकता है.

भद्र

यह खास तरह की ढाल की तरह है और इससे पत्थर आदि के वार से आसानी से बचा जा सकता है. इसके अलावा इस ढाल में भी करंट है, जिससे अगर दुश्मन पास में आकर हमला करता है तो उसे इसका खामियाजा भुगतना होगा.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कंपनी के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर मोहित कुमार ने बताया कि गलवान स्टैंड ऑफ के बाद हल्के और कम जानलेवा हथियार बनाने के लिए कहा गया था. पारंपरिक हथियारों से प्रेरणा लेकर कम जानलेवा हथियार बनाए हैं. इन हथियारों का उपयोग करने पर किसी की मौत नहीं होगी. हथियार सिर्फ सुरक्षाबलों और लॉ इन्फोर्समेंट एजेंसियों को ही मिलेंगे.