-डॉ. भूपेन्द्र कुमार सुल्लेरे
न्यायिक रिपोर्ट का महत्व
उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में नवंबर 2024 में हुई सांप्रदायिक हिंसा की जाँच के लिए गठित न्यायिक आयोग ने हाल ही में अपनी 450 पृष्ठों की रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी।
यह रिपोर्ट केवल एक दंगे का विवरण नहीं है, बल्कि पिछले 75 वर्षों में संभल क्षेत्र में हुए सांप्रदायिक परिवर्तनों और डेमोग्राफिक बदलावों का भी महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है।
सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह सामने आया कि स्वतंत्रता के समय संभल में हिंदुओं की आबादी लगभग 45 प्रतिशत थी, जो अब घटकर मात्र 15–20 प्रतिशत रह गई है। इसके विपरीत मुस्लिम आबादी बढ़कर 85 प्रतिशत तक पहुँच गई है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि : संभल की पहचान और संघर्ष
संभल का इतिहास समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से भरा रहा है। यह कभी हरिहर मंदिर जैसे प्राचीन धार्मिक स्थलों का प्रमुख केंद्र था।
मुगल काल से लेकर आधुनिक भारत तक यह क्षेत्र धार्मिक सह-अस्तित्व और संघर्ष का साक्षी रहा।
1947 के बाद अपेक्षा की गई थी कि लोकतंत्र में समरसता और समानता का वातावरण बनेगा, परंतु रिपोर्ट दर्शाती है कि बार-बार के दंगे और तुष्टिकरण की राजनीति ने इस शहर को एकतरफ़ा डेमोग्राफिक परिवर्तन की ओर धकेल दिया।
स्वतंत्रता से अब तक : आबादी का बदलता संतुलन
रिपोर्ट के अनुसार, 1947 से पहले संभल में हिंदू–मुस्लिम अनुपात 45:55 था।
लेकिन सात दशकों के भीतर-
* हिंदू जनसंख्या लगातार घटी।
* मुस्लिम आबादी में तीव्र वृद्धि हुई।
आज की स्थिति यह है कि हिंदू मात्र 15–20 प्रतिशत तक सिमट गए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार यह बदलाव केवल प्राकृतिक वृद्धि का परिणाम नहीं, बल्कि योजनाबद्ध दबाव, भय और हिंसा से भी जुड़ा हुआ है।
दंगों का सिलसिला : 1947 से 2019 तक
रिपोर्ट में 1947 से 2019 तक संभल में हुए 15 से अधिक दंगों का उल्लेख है।
हर दंगे में समान पैटर्न दिखता है-
* धार्मिक स्थलों पर विवाद
* छोटी घटनाओं को भड़का कर बड़े पैमाने पर हिंसा
* प्रशासनिक शिथिलता और तुष्टिकरण
इन दंगों ने हिंदू समुदाय को असुरक्षा की स्थिति में धकेला, जिससे धीरे-धीरे प्रवास और पलायन हुआ।
तुष्टिकरण की राजनीति और परिणाम
रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि संभल का डेमोग्राफिक बदलाव केवल सामाजिक परिस्थिति का परिणाम नहीं, बल्कि दशकों से चली आ रही तुष्टिकरण की राजनीति का भी दुष्परिणाम है।
* चुनावी लाभ के लिए कुछ वर्गों को संरक्षण देना।
* सांप्रदायिक घटनाओं में दोषियों पर कार्रवाई न करना।
* योजनाओं और संसाधनों का एकतरफ़ा वितरण।
इन कारणों ने समाज में भय और असंतुलन को जन्म दिया।
हिंदू आबादी में गिरावट : सामाजिक और मनोवैज्ञानिक असर
यह मात्र आँकड़ा नहीं, बल्कि एक गंभीर सामाजिक संदेश है-
* हिंदू परिवारों का पलायन।
* धार्मिक उत्सवों का सिमटना।
* सांस्कृतिक संस्थाओं और मंदिरों का क्षरण।
* बच्चों के लिए शिक्षा व रोज़गार के अवसरों में कमी।
इन सबने असुरक्षा और हीनभावना को बढ़ाया, जिससे समाज की बुनियाद कमजोर हुई।
आतंकवादी गतिविधियों का केंद्र : अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन
रिपोर्ट में दर्ज है कि संभल धीरे-धीरे आतंकी गतिविधियों का केंद्र बनता चला गया
* अल-कायदा, हरकत-उल-मुजाहिदीन जैसे संगठनों की सक्रियता।
* दंगों में विदेशी हथियारों का उपयोग।
* स्थानीय युवाओं का कट्टरपंथी संगठनों द्वारा उकसाया जाना।
इससे यह स्पष्ट है कि इसमें केवल स्थानीय राजनीति ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क भी सक्रिय रहा।
हरिहर मंदिर और सांस्कृतिक धरोहर
रिपोर्ट में हरिहर मंदिर के ऐतिहासिक प्रमाणों का उल्लेख है। प्राचीन मंदिरों का अस्तित्व यह दर्शाता है कि यह क्षेत्र कभी हिंदू धार्मिक-सांस्कृतिक केंद्र था। लेकिन समय के साथ मंदिरों का लोप, उनकी भूमि पर अतिक्रमण और धार्मिक पहचान मिटाने के प्रयास सामने आए। यह केवल धार्मिक असंतुलन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विरासत के विनाश का भी प्रतीक है।
सरकार के सामने चुनौतियाँ
अब जबकि यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी गई है, सरकार के सामने कुछ प्रमुख चुनौतियाँ हैं—
1. रिपोर्ट को कैबिनेट और विधानसभा में प्रस्तुत कर सार्वजनिक करना।
2. दोषियों पर कड़ी कार्रवाई, चाहे वे राजनीतिक हों या प्रशासनिक।
3. हिंदू पलायन पर रोक लगाना, सुरक्षा और सामाजिक विश्वास बहाल करना।
4. सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा और प्राचीन मंदिरों का पुनर्जीवन।
5. कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों।
भविष्य के लिए चेतावनी
यह रिपोर्ट केवल संभल की कहानी नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए चेतावनी का दस्तावेज़ है।
यदि डेमोग्राफिक असंतुलन और तुष्टिकरण की राजनीति पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो इसका असर केवल संभल तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक अस्मिता के लिए भी खतरा बन जाएगा।
इसलिए आवश्यक है कि सरकार इस रिपोर्ट को केवल फाइलों में न दबाए, बल्कि ठोस और व्यवहारिक कदम उठाए, जिससे समाज में समानता, सुरक्षा और समरसता स्थापित हो सके।