भारतीय शिक्षण मंडल एवं एमिटी विश्वविद्यालय ने किया व्यास पूजा कार्यक्रम

शिक्षक की गुरु के रूप में प्रतिष्ठा आवश्यक: पंकज नाफड़े

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    29-Jul-2025
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amity vyas pujan


ग्वालियर। भारत की शिक्षा व्यवस्था में जब तक शिक्षक गुरु के रूप में प्रतिष्ठित नहीं होगा और छात्र अपने गुरु का सम्मान नहीं करेंगे, तब तक वे पूर्ण ज्ञान प्राप्त नहीं कर पाएंगे। विद्यार्थियों के जीवन में सफलता की राह में बाधाएँ आएंगी। गुरु का सम्मान करने पर ही उन्हें आत्मिक, व्यावहारिक, सांसारिक एवं आध्यात्मिक सुख प्राप्त हो सकता है। यह बात भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संयुक्त महामंत्री पंकज नाफड़े ने कही। वे अमीटी विश्वविद्यालय एवं भारतीय शिक्षण मंडल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित व्यास पूजा कार्यक्रम को विशिष्ट अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय शिक्षण मंडल के प्रांत उपाध्यक्ष डॉ शिवकुमार शर्मा रहे। विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ आर. एस. तोमर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।

श्री नाफड़े ने आगे कहा कि कहा कि भारतीय शिक्षण मंडल अपने प्रमुख उत्सव व्यास पूजा का आयोजन प्रतिवर्ष गुरु पूर्णिमा पर करता है। भारत में गुरु-शिष्य परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। आज भी समाज में गुरु को सर्वोच्च माना जाता है। इसलिए गुरु पर श्रद्धा रखना परम आवश्यक है क्योंकि गुरु पर श्रद्धा रखने वाले को ही ज्ञान मिलता है इसीलिए कहा भी गया है श्रद्धावान लभते ज्ञानं।


उन्होंने कहा कि गुरु अपने शिष्य को ज्ञान से परिपूर्ण करता है। गुरु अर्थात भारी, क्योंकि गुरु ज्ञान से भरा होता है। उसका हृदय करुणा, प्रेम, स्नेह, वात्सल्य, दया और क्षमा से भरा होता है।
 
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ शिवकुमार शर्मा ने कहा कि गुरु केवल शिक्षित ही नहीं संस्कारित भी करते हैं। अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ आर एस तोमर ने कहा कि गुरु गुरु शिष्य को नैतिकता विवेक और जीवन की समझ में प्रदान करता है।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक एवं सहायक प्राध्यापक उपस्थित रहे।



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