
भोपाल। भारतीय शिक्षण मंडल के उत्सवों में व्यास पूजा प्रमुख उत्सव है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर पूरे मध्य भारत प्रांत में व्यास पूजा कार्यक्रम प्रारंभ हो गए हैं। 25 जुलाई तक विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विद्यालयों में यह आयोजन होंगे। गुरुवार को विभिन्न संस्थाओं में आयोजित कार्यक्रमों में शिक्षक, विद्यार्थी, बुद्धिजीवी, युवा, मातृशक्ति आदि उपस्थित रहे।
भोपाल के एलएनसीटी विश्वविद्यालय में व्यास पूजा कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय महामंत्री एवं निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग के अध्यक्ष प्रो. भरतशरण सिंह ने महर्षि वेदव्यास का संदर्भ देते हुए गुरू का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में गुरु शिष्य परंपरा रही है। हमें भारत को विश्व गुरु बनाना है जो भारत केंद्रित शिक्षा से ही संभव होगा। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति और विचार से पोषित शिक्षा व्यवस्था आज की आवश्यकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो नरेंद्र कुमार थापक कुलगुरु एल एन सी टी विश्वविद्यालय ने की। विशेष अतिथि पूजा श्री चौकसे कार्यपालक निदेशक एलएनसीटी ग्रुप रहीं।
15 दिन होंगे व्यास पूजा कार्यक्रम
भारतीय शिक्षण मंडल मध्य भारत प्रांत के अध्यक्ष प्रो हरिहर वसंत गुप्ता ने बताया कि मध्य भारत प्रांत में आने वाले 15 दिन तक 600 संस्थानों में व्यास पूजा कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में इन कार्यक्रमों में शिक्षक, विद्यार्थी, बुद्धिजीवी, युवा, मातृशक्ति आदि सहित भारतीय शिक्षण मंडल के कार्यकर्ता उपस्थित रहेंगे।
युगों से चली आ रही गुरु शिष्य परंपरा
उच्च शिक्षा उत्कृष्ट संस्थान (आईईएचई) में मुख्य अतिथि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलाधिपति डॉ प्रकाश सी. बरतूनिया ने भारत की महान गुरु शिष्य परंपरा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गुरु शिष्य परंपरा युगों-युगों से चली आ रही है। विशिष्ट अतिथि पूर्व प्राध्यापक डॉ मनोज शुक्ला ने कहा कि गुरु पूर्णिमा जीवन का मार्ग प्रशस्त करने वाले समस्त गुरुओं के सम्मान का पर्व है। संस्थान के संचालक डॉ प्रज्ञेश कुमार अग्रवाल कोई भी जीवन में गुरु की भूमिका में हो सकता है। डॉ सुचित्रा बनर्जी ने कहा कि गुरु शिष्य को जीवन के हर परीक्षा के लिए तैयार करता है।
अध्यापकों की शोभायात्रा निकाली
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में व्यास पूजा कार्यक्रम की अवसर पर विद्यार्थियों ने अध्यापकों की शोभायात्रा निकाली। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रज्ञा प्रवाह की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य डॉ सदानंद दामोदर सप्रे ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा से समाज को जोड़ने के लिए इस पर्व को उत्सव की तरह मनाना चाहिए। कार्यक्रम में गुरुमूर्ति ब्रह्मचारिणी कात्यायनी, आचार्य चिन्मय मिशन, विश्वविद्यालय की भोपाल परिसर के निदेशक प्रोफेसर रमाकांत पांडेय ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
