विराट हिंदू सम्मेलन में उमड़ा आस्था का सैलाब, सामाजिक समरसता का लिया संकल्प

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    30-Dec-2025
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Khilchipur Hindu Sammelan
खिलचीपुर। खिलचीपुर खंड के दौलाज मंडल स्थित केवल्य योग आश्रम में हिंदुत्व के गौरव और सामाजिक एकता का सशक्त दृश्य देखने को मिला, जब भव्य हिंदू सम्मेलन का आयोजन किया गया। कलश यात्रा के साथ प्रारंभ हुए इस सम्मेलन में क्षेत्र के हजारों सनातनी बंधुओं ने सहभागिता कर धर्म रक्षा और राष्ट्र रक्षा का संकल्प लिया।

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कार्यक्रम का शुभारंभ सुबह 11 बजे भक्तिमय भजन-कीर्तन के साथ हुआ। इसके पश्चात भारत माता की भव्य महाआरती संपन्न हुई। जय श्रीराम, भारत माता की जय और वंदे मातरम के उद्घोष से संपूर्ण वातावरण गुंजायमान हो उठा। ग्रामीण अंचलों से आए श्रद्धालु बड़ी संख्या में बौद्धिक पांडाल में एकत्रित हुए।

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सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय अधिकारी एवं अखिल भारतीय गौसेवा प्रमुख श्री शंकर लाल जी (प्रचारक) मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। उनके साथ संत समाज से श्री मुनीशानंद जी सरस्वती (धार), श्री सत्यानंद जी त्यागी (रामनगर पहाड़ी) और श्री मोनानंद जी महाराज (काल्याखेड़ी हनुमान मंदिर) का पावन सानिध्य प्राप्त हुआ। अतिथियों का स्वागत पारंपरिक विधि-विधान से किया गया। इस अवसर पर गौसेवकों और समाजसेवियों का सम्मान भी किया गया तथा मां नर्मदा देवी गोशाला में विधिवत गौ-पूजन संपन्न हुआ।

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मुख्य वक्ता श्री शंकर लाल जी ने अपने संबोधन में कहा कि हिंदू केवल कोई पंथ नहीं, बल्कि राष्ट्र की प्राणवायु है। उन्होंने सनातन धर्म की सर्वसमावेशी परंपरा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह “सर्वे भवंतु सुखिनः” का मार्ग दिखाता है, लेकिन आज समाज को अपनी उदारता के साथ-साथ अपनी शक्ति और एकता को भी पहचानना होगा। उन्होंने जाति और भेदभाव को समाज के लिए घातक बताते हुए संगठित और समरस समाज की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही उन्होंने पड़ोसी देशों में हिंदुओं की स्थिति का उल्लेख करते हुए सजग रहने और सामाजिक एकजुटता को मजबूत करने का आह्वान किया।
 

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कार्यक्रम के अंत में संत श्री परमानंद जी भारती (गोघरपुर) ने ओजस्वी भजनों के माध्यम से भाव अभिव्यक्त किए। इसके पश्चात क्षेत्र के विभिन्न गांवों से आए ग्रामीणों ने एक साथ बैठकर समरसता भोज में प्रसादी ग्रहण की, जिसने सामाजिक भेदभाव से ऊपर उठकर एकता का संदेश दिया।

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सम्मेलन में बैलगाड़ी आकर्षण का विशेष केंद्र रही, जिसमें संत समाज और अखिल भारतीय अधिकारी ने भ्रमण किया। यह दृश्य भारतीय परंपरा, संस्कृति और सामाजिक समरसता के जीवंत प्रतीक के रूप में उपस्थित जनसमूह के लिए प्रेरणास्रोत बना।