स्वदेशी मेला: भारत की मिट्टी की खुशबू और आत्मनिर्भरता का संदेश

विश्व संवाद केंद्र, भोपाल    08-Nov-2025
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भोपाल। मोतीलाल विज्ञान महाविद्यालय के मैदान में कुशाभाऊ ठाकरे सभागार के पास स्वदेशी जागरण मंच के तत्वावधान में दस दिवसीय स्वदेशी मेला का शुभारंभ मंत्रोच्चार, उत्साह और उमंग के साथ हुआ।
यह मेला 6 नवम्बर से 16 नवम्बर 2025 तक चलेगा। आयोजन का उद्देश्य देश में स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना, स्थानीय कारीगरों को मंच प्रदान करना, और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को जन-जन तक पहुँचाना है।
 
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि अशोक पांडेय (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मध्यभारत प्रांत के संघचालक) द्वारा किया गया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में रामेश्वर शर्मा (विधायक, हुजूर विधानसभा), जितेंद्र गुप्त (स्वावलंबी भारत अभियान के अखिल भारतीय सह-समन्वयक), सुधीर दाते (स्वदेशी जागरण मंच, क्षेत्र संयोजक), श्रीकांत दुबौलिया (प्रांत संयोजक) तथा सी.पी. शर्मा (प्रबंध संचालक, दौलतराम इंडस्ट्री) उपस्थित रहे।
सभी अतिथियों ने दीप प्रज्वलन कर मेले का उद्घाटन किया। इस अवसर पर श्रीकांत दुबेले, सुधीर दाते, सी.पी. शर्मा सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
 

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स्वदेशी केवल अर्थव्यवस्था नहीं, स्वाभिमान का आंदोलन है अशोक पांडेय
मुख्य अतिथि अशोक पांडेय ने कहा कि “स्वदेशी केवल व्यापार या अर्थव्यवस्था से जुड़ा विषय नहीं है, बल्कि यह स्वाभिमान का आंदोलन है। ‘स्व’ का अर्थ है अपना — स्वदेश, स्वभाषा, स्वाधीनता, स्वसंस्कृति और स्वराष्ट्र। जिन समाजों ने अपने ‘स्व’ को जागृत किया, उन्होंने अपने को श्रेष्ठ माना, अपनी संस्कृति, साहित्य, इतिहास और महापुरुषों का गौरव किया — वे ही राष्ट्र प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़े।
 
उन्होंने कहा, विदेशी वस्तुओं के उपयोग से केवल हमारा धन ही नहीं, बल्कि हमारी मानसिकता और आत्मविश्वास भी कमजोर होता है। आखिर हम बैसाखियों पर कब तक चलेंगे? समय आ गया है कि हम अपने स्वदेशी उत्पादों पर गर्व करें।
 
 

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भारत की मिट्टी में ही खुशबू है — रामेश्वर शर्मा
उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए हुजूर विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा, “भारत की मिट्टी में ही खुशबू है, स्वदेशी वस्तुओं में अपना अपनापन बसता है। हमें अपने परिश्रम से बनी वस्तुओं के उपयोग को जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। युवा पीढ़ी विदेशी वस्तुओं के स्थान पर भारतीय उत्पादों को अपनाएँ — यही सच्ची देशभक्ति है।”
स्वदेशी: स्वावलंबन और राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक
वक्ताओं ने कहा कि स्वदेशी केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक नहीं, बल्कि यह राष्ट्रीय चेतना और स्वाभिमान का ज्वलंत प्रतीक है। स्वदेशी उत्पादों के प्रयोग से देश की संपदा देश में ही रहेगी, जिससे किसानों, कारीगरों और महिला उद्यमियों को सशक्त बनाया जा सकेगा।
 

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मेले में झलकी भारत की परंपरा
 
मेले में देशभर के कारीगरों द्वारा बनाए गए हस्तशिल्प, मिट्टी के बर्तन, लकड़ी की कलाकृतियाँ, जैविक उत्पाद, आयुर्वेदिक औषधियाँ, स्वदेशी वस्त्र, बांस उत्पाद, घरेलू सजावट सामग्री और खाद्य वस्तुएँ प्रदर्शित की गई हैं।
सांस्कृतिक मंच पर प्रतिदिन लोकनृत्य, लोकगीत, कवि सम्मेलन और सांस्कृतिक संध्याएँ आयोजित की जा रही हैं, जिनमें कलाकार भारतीय संस्कृति की झलक प्रस्तुत कर रहे हैं। मेले में मालवा की दाल-बाटी, भाकर, लिट्टी-चोखा, दिल्ली की चाट और एकता थाली जैसे पारंपरिक व्यंजन भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
मेले का संयोजन श्री सतीश विश्वकर्मा के नेतृत्व में किया जा रहा है। सह-संयोजक दीपक वर्मा, सुधीर अग्रवाल, सीमा साहू और रमण तिवारी हैं। मुख्य सहयोगी संस्थाओं में ट्राइडेंट ग्रुप, दौलतराम इंजीनियरिंग, एलएनसीटी यूनिवर्सिटी, सेज यूनिवर्सिटी, पीपल्स यूनिवर्सिटी और मानसरोवर ग्लोबल यूनिवर्सिटी शामिल हैं।
 

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स्वदेशी अपनाएँ, भारत की खुशबू फैलाएँ
 
यह स्वदेशी मेला न केवल स्थानीय उत्पादों के प्रचार-प्रसार का माध्यम है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को जन-जन के मन में सशक्त रूप से स्थापित करने का प्रयास भी है।
मेले ने यह संदेश दिया कि जब देशवासी स्वदेशी अपनाने का संकल्प लेते हैं, तो भारत की मिट्टी की खुशबू पूरे विश्व में फैलती है।