भोपाल. संस्कृत भारती, मध्यभारतम् प्रान्त द्वारा तीन दिवसीय प्रान्त सम्मेलन का आयोजन केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के भोपाल में किया जा रहा है। इसमें प्रान्त भर से 350 कार्यकर्ता सम्मिलित हुए हैं।
सम्मेलन में मुख्यातिथि राज्यमंत्री श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल उपस्थित हुए और संस्कृत भाषा के महत्व पर अपने विचारों को साझा किया। पटेल ने बताया कि संस्कृत सर्वे भवन्तु सुखिन: की बात करता है किसी एक वर्ग विशेष की नहीं। इस अवसर पर विशिष्टातिथि महापौर , भोपाल, मध्यप्रदेश श्रीमती मालती राय ने कहा कि संस्कृत संस्कृति और संस्कारों को सुरक्षित रखने के लिए हम सब को संस्कृत भाषा का अध्ययन अनिवार्य रूप से करना चाहिए। इसी क्रम में सारस्वतातिथि: केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय भोपाल परिसर के निदेशक प्रो. रमाकान्त पाण्डेय जी ने भारतीय ज्ञान परम्परा एवं शास्त्र अध्ययन एवं गुरुकुल परम्परा के आदर्शों को अभिव्यक्त किया।
इस अवसर मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित अखिल भारतीय संघटन मंत्री, संस्कृत भारती श्रीमान् दत्तात्रेय वज्ज्रल्ली जी ने अपने मुख्य भाषण में सभी कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि संस्कृत हमारी विरासत है। इसे सुरक्षित रखते हुए पुष्पित पल्लवित करना हम सब का उत्तरदायित्व है। संस्कृत के प्रचार-प्रसार में हमारे कार्यकर्ताओं की महती भूमिका होती है। हम सब अपनी मातृभाषा संस्कृत को मानते हैं। अंत में संस्कृत भारती प्रान्त अध्यक्ष, संस्कृत भारती, मध्यभारतम् डॉ. अशोक भदौरिया जी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सभी कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि संस्कृत हमारी सब कुछ है। संस्कृत के बिना इस भारतवर्ष की हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। प्रान्त मंत्री दिवाकर शर्मा जी प्रस्ताविक भाषण में कार्यकर्ताओं को उत्साहित किया। प्रान्त संगठन मंत्री डॉ जागेश्वर पटले जी ने सम्मेलन के सम्पूर्ण दायित्व का निर्वाह किया।इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. पुरुषोत्तम तिवारी ने किया। इस कार्यक्रम में संस्कृत भारती मध्य क्षेत्र संयोजक श्रीमान् भरत बैरागी उपस्थित हुए। इनके अतिरिक्त अन्य पदाधिकारीयों में प्रांत उपाध्यक्ष डॉ लक्ष्मीनारायण पाण्डेय, श्रीबृजेश साहु श्री सूर्य प्रकाश जोशी, डॉ ललित मोहन पंतोला आदि उपस्थित हुए।मध्यभारत प्रान्त के विशेष अधिकारी उपस्थित हुए।
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प्रान्त सम्मेलन क्यों ?
1. समाज में संस्कृत संस्कृति एवं संस्कार के प्रचार-प्रसार के लिए ।
2. भारतीय जन समुदाय को संस्कृतमय आचरण एवं व्यवहार के ज्ञान लिए।
3. संस्कृत सम्भाषण को गति प्रदान करने के लिए
4. अधिक से अधिक संस्कृत कार्यकर्ताओं एवं संस्कृत अनुरागियों को जोड़ने के लिए।
5. संस्कृत में निहित भारतीय ज्ञान परम्परा को बढ़ाने के लिए।
6. संस्कृत कार्य को गति प्रदान करने के लिए प्रान्त सम्मेलन अनिवार्य है।
7. संस्कृत कार्यकर्ताओं के उत्साह को बढ़ाने के लिए।
8. वेद, पुराण एवं उपनिषद् को जानने के लिए।
9. पर्यावरण को संस्कृतमय बनाने के लिए।
10. संस्कृत के मंत्रों एवं श्लोकों के शुद्ध उच्चारण के ज्ञान के लिए।
11. संस्कृत भाषा के विशाल साहित्य भंडार को जानने के लिए।
12. संस्कृत को फिर से व्यवहार भाषा बनाना और संस्कृत के विकास के लिए सर्वाधिक प्रयास करना।
13. संस्कृत भाषा के द्वारा जाति, मत, पंथ, भाषा, उच्च, नीच आदि सभी भेदभावनाओं को मतकर सामाजिक समरसता लाना।
14. भारत का सांस्कृतिक पुनरुत्थान।
संस्कृत भाषा कई भारतीय भाषाओं की जननी है। इसकी अधिकांश शब्दावली या तो संस्कृत से ली गई है या संस्कृत से प्रभावित है। पूरे भारत में संस्कृत के अध्ययन-अध्यापन से भारतीय भाषाओं में अधिकाधिक एकरूपता आएगी जिससे भारतीय एकता एवं अखंडता बढ़ेगी।
इस प्रान्त सम्मेलन का मुख्य आकर्षण संस्कृत सम्भाषण, संस्कृत विज्ञान प्रदर्शनी, संस्कृत वस्तु प्रदर्शनी एवं अन्य संस्कृत ज्ञान विज्ञान से सम्बंधित प्रदर्शनियों का उद्घाटन दिनांक 03.01.2025 को किया गया। वस्तुत: "संस्कृत भारती" का मुख्य उद्देश्य नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक संस्कृत भाषा में सम्भाषण सिखाना जिससे लोग धारा प्रवाह रूप में संस्कृत में बात कर सकें। इस त्रिदिवसीय प्रान्त सम्मेलन में विविध विषयों पर संस्कृत भाषा को लेकर मन्थन एवं विचार विमर्श किया जाएगा।